अमरीका के प्रतिबंधों ने रशियन अर्थव्यवस्था को लाभ ही पहुँचाया – अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञ हडसन का अनुमान

वॉशिंग्टन – अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया पर लगाए प्रतिबंध उन्हीं को नुकसान पहुँचा रहे हैं और इससे रशियन अर्थव्यवस्था को अधिक मज़बूती प्राप्त हुई, ऐसा अनुमान अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञ मायकल हडसन ने दर्ज़ किया है। पश्‍चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से रशियन अर्थव्यवस्था पर निर्भरता खत्म हुई, इसके अलावा डी-डॉलराइजेशन यानी डॉलर के कारोबार पूरी तरह से बंद करने की रशिया की कोशिशों को कल्पना से भी ज्यादा कामयाबी प्राप्त हुई, यह दावा हडसन ने किया।

अमरीका और यूरोपिय देशों ने प्रतिबंध लगाने के बाद रशिया को इससे लाभ ही प्राप्त हुआ क्योंकि, अब जर्मनी से वाहनों का आयात करने के बजाय रशिया चीन की सहायता से अपने ही देश में वाहनों के निर्माण को गति दे रही है। इसके साथ ही पश्‍चिमी उत्पादनों का आयात करने के बजाय रशिया अब घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ा रही है। सिर्फ वॉल्ट डिस्नी के स्टुडियो से तैयार होनेवाले सिनेमाज्‌ और इटालियन हैंडबैग्ज्‌ का निर्माण करना ही रशिया के लिए मुमकिन नहीं होगा। शेष ज़रूरी सभी सामान रशिया तैयार कर सकती है, ऐसी फटकार हडसन ने लगाई।

रशिया के ईंधन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय अमरीका और पश्‍चिमी देशों ने किया। इस वजह से रशिया को ईंधन के निर्यात से प्राप्त होनेवाला महसूल कम होगा, यही अनुमान इसके पीछे था। लेकिन, कम मात्रा में ईंधन निर्यात करके उससे रशिया अधिक आय प्राप्त कर रही है, ऐसा हडसन ने कहा। रशियन र्इंधन का निर्यात कम होने का मतलब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की कीमतें चोटी पर ही रहेंगीं। इस वजह से र्इंधन का निर्यात कम हुआ तो इन बढ़ती कीमतों के कारण रशिया को इससे प्राप्त होनेवाले महसूल की काफी बड़ी गिरावट नहीं होगी, यह बात आर्थिक विशेषज्ञ सामने रख रहे हैं।

यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले से ही रशिया ने डॉलर का कारोबार कम करने के कदम उठाए थे। लेकिन, यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका ने रशिया के डॉलर के कारोबार पर प्रतिबंध लगाए और बाद में रशिया के ‘डी-डॉलराइजेशन’ को अधिक गति प्राप्त हुई। इसे काफी बड़ी सफलता प्राप्त होती दिख रही है। इसी कारण रशिया ने उससे ईंधन खरीद रहे यूरोपिय देशों को इसका भुगतान रुबल से ही करने के लिए कहने लगी है, इस पर भी हडसन ने ध्यान आकर्षित किया। इसके अलावा रशिया के खिलाफ अपनाई गई इस भूमिका की वजह से यूरोपिय देशों को ही सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है, ऐसा कहकर हडसन ने इसके पीछे अमरीका की साज़िश होने का आरोप लगाया।

यूक्रेन में जारी युद्ध में रशिया विजयी होती है या हारती है, इससे अमरीका को कोई लेना-देना नहीं है। यूक्रेन युद्ध की वजह से अपने यूरोपिय प्रतिद्वंद्वी देशों का, इसमें भी जर्मनी जैसे मज़बूत प्रतिद्वंद्वी को किनारे लगाना ही अमरीका का ध्येय था, ऐसा ध्यान आकर्षित करनेवाला दावा मायकल हडसन ने किया है।

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