जर्मन अर्थव्यवस्था मंदी टाल नहीं सकेगी – डॉईश बैंक के प्रमुख की चेतावनी

बर्लिन – ‘रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर वैश्विकीकरण की प्रक्रिया को ब्रेक लगा है और यह दोबारा सामान्य होने की संभावना नहीं है। इसी बीच ईंधन की किल्लत निर्माण होने का खतरा निर्माण हुआ है और महंगाई में उछाल कायम रहने की भी संभावना है। इस वजह से जर्मन अर्थव्यवस्था में मंदी की संभावना है और इसे टालना नामुमकिन है’, ऐसी चेतावनी डॉईश बैंक के प्रमुख क्रिसचन सेविंग ने दी है। साथ ही जर्मन अर्थव्यवस्था काफी हद तक चीन पर निर्भर है और इस निर्भरता को कम करने के लिए जर्मन सरकार को कोशिश करनी पडेगी, यह आवाहन भी सेविंग ने किया है। कुछ ही दिन पहले जर्मन अध्ययन मंड़ल ‘इन्स्टीट्यूट फॉर एम्प्लॉएमेंट रिसर्च’ (आईएबी) ने अगले साल तक जर्मनी की जीडीपी की १.७ प्रतिशत गिरावट होगी और लगभग ढ़ाई लाख लोग रोज़गार खो देंगे, यह अनुमान जताया था।

रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर जर्मनी में ईंधन की कीमतें काफी बढ़ी हुई हैं और बिजली की आपूर्ति भी सीमित हुई है। रशिया द्वारा ईंधन सप्लाई में कटौती करने पर ठंड़ के मौसम के लिए जर्मनी में नैसर्गिक ईंधन वायु का पर्याप्त भंड़ार होना असंभव होने की चेतावनी पहले ही दी गई है। इसकी वजह से जर्मनी में ईंधन और ऊर्जा का रेशनिंग शुरू हुआ है। आम जनता के साथ उद्योगक्षेत्र में तीव्र नाराज़गी है। अगले कुछ समय में इस नाराज़गी के गंभीर परिणाम जर्मनी को महसूस होने लगेंगे, ऐसे संकेत वरिष्ठ अधिकारी एवं विश्लेषक दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर सेविंग की चेतावनी ध्यान आकर्षित करती है।

जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में आयोजित ‘बैंकिंग समिट’ में डॉईश बैंक के प्रमुख ने जर्मन अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान व्यक्त किया। ‘पिछले कुछ दशकों में तय मुद्दों के आधार पर वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान जताया जा रहा था। लेकिन, रशिया-यूक्रेन युद्ध ने इसे बदल दिया। भू-राजनीतिक तनाव के कारण वैश्विकीकरण को ब्रेक लग गए हैं और यह प्रक्रिया पहले के स्तर पर लाना कठिन है। वैश्विक स्तर पर सप्लाई और कीमत की चेन बिगड़ गई हैं। मनुष्यबल की बाज़ार में भी मुश्किलें निर्माण हुई हैं। ईंधन और ऊर्जा की किल्लत के कारण भी उत्पादनों की कीमतें काफी बढ़ रही हैं। इस वजह से यूरोप में भी महंगाई में उछाल चरम स्तर पर है। इन सभी मुद्दों के मद्देनज़र जर्मनी अपना मंदी का संकट टाल नहीं सकेगा’, यह चेतावनी सेविंग ने दी है।

इस दौरान डॉईश बैंक के प्रमुख ने जर्मनी की चीन पर निर्भरता पर भी ध्यान आकर्षित किया। जर्मनी के आठ प्रतिशत निर्यात और १२ प्रतिशत आयात चीन पर निर्भर हैं। रशियन ईंधन की आयात घटाना जितना अहम है, उतना ही अहम है चीन पर निर्भरता को घटाना, इसका अहसास सेविंग ने कराया। अमरीका और चीन में निर्माण हुआ तनाव जर्मन अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन रहा है, यह दावा भी डॉईश बैंक के प्रमुख ने किया।

कोरोना, रशिया-यूक्रेन युद्ध और चीन की अर्थव्यवस्था की गिरावट के कारण यूरोप की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं जर्मनी, फ्रान्स और इटली जैसे देशों के निर्यात को नुकसान पहुँचा है। पिछले कुछ महीनों में यूरोप के उत्पादन क्षेत्र में भी गिरावट आई है और इस क्षेत्र का निदेशांक फ़रवरी २०२१ के बाद न्यूनतम स्तर पर पहुँचा है। ऊर्जा संकट का बढ़ता दायरा, महंगाई में उछाल, उत्पादन और निर्यात में नुकसान और शेअरबाज़ारों के अलावा युरो की गिरावट यूरोपिय महासंघ की अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत देते हैं, यह दावा विश्लेषकों ने पहले ही किया है। ऐसे में डॉईश बैंक के प्रमुख का बयान इसकी पुष्टि करता दिख रहा है।

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