बुजुर्ग नागरिकों की बढ़ती आबादी चीन के सामने खड़ी सबसे भीषण समस्या – अमरिकी विश्‍लेषक का दावा

वॉशिंग्टन – कोरोना का विस्फोट और राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने अपनाई ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ के भयंकर परिणाम चीन की अर्थव्यवस्था पर हो रहे हैं। इसी कारण इस वर्ष चीन की अर्थव्यवस्था का विकास दर मात्र ३ प्रतिशत ही रहेगा। चीन की सरकार ने निर्धारित किए ५.५ प्रतिशत विकास दर का ध्येय यह देश इस साल हासिल नहीं कर पाएगा। यह पिछले ४० सालों में चीन द्वारा दर्ज़ दूसरे क्रमांक का खराब प्रदर्शन होगा। इससे पहले कोरोना की महामारी के दौर में साल २०२० के दौरान चीन की अर्थव्यवस्था ने इससे भी खराब प्रदशन किया था। लेकिन, कोरोना के कारण गिरावट का सामना कर रही अर्थव्यवस्था ही चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती नहीं है बल्कि, चीन की समस्या इससे कई गुना अधिक भयानक है। युवाओं की घटती हुई मात्रा और बुज़ुर्गों की बढ़ती हुई आबादी एवं जन्मदर में गिरावट चीन की अधिक भयंकर समस्या होने की बात अब सामने आने लगी है।

नामांकित अमरिकी लेखक डॉयल मैक्‌मैन्यूस ने चीन के समक्ष भीषण समस्या पर यथावत ध्यान आकर्षित किया है। चीन में बेरोज़गारी की मात्रा तकरीबन २० प्रतिशत बढ़ी है। यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन की कीमतों में उछाल का विपरित परिणाम चीन की अर्थव्यवस्था पर हो रहा है। माँग की मात्रा ध्यान दिए बिना चीन ने कई गुना अधिक घरों का निर्माण करके अपनी अर्थव्यवस्था को खतरे में डाला है। ऐसे में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ के कारण चीन के उत्पादन क्षेत्र को नुकसान पहुँचा है। इन सभी चुनौतियों के साथ-साथ अब चीन की जनता में युवाओं की घटती हुई संख्या और बुज़ुर्गों बढ़ती हुई आबादी इस देश के सामने सबसे बड़ी समस्या है, यह दावा मैक्‌मैन्यूस ने किया।

इस सदी के अन्त तक चीन की जनसंख्या १.४ अरब से घटकर ८० करोड़ हो जाएगी। कुछ विशेषज्ञ तो चीन की जनसंख्या इससे भी अधिक तेज़ी से घटेगी, ऐसे दावे कर रहे हैं, इस पर मैक्‌मैन्यूस ने ध्यान आकर्षित किया। साल २०५० तक चीन की २५ प्रतिशत जनसंख्या ६५ से अधिक आयु वाली होगी। इस वजह से अगले तीन दशकों तक चीन का विकास दर तीन प्रतिशत के इर्दगिर्द रहेगा, यह अनुमान ऑस्ट्रेलिया के लौवी इन्स्टीट्यूट की रपट में दर्ज़ किया गया था। इसकी याद भी मैक्‌मैन्यूस ने ताज़ा करायी। सबसे अहम बात तो यह है कि, चीन के नेताओं को भी देश की गिरावट ज्ञात है, यह दावा मैक्‌मैन्यूस ने किया है।

इसी वजह से चीन की हुकूमत अगले दिनों में अधिकाधिक आक्रामक नीति अपना सकती है, इस खतरे पर मैक्‌मैन्यूस ने ध्यान आकर्षित किया। इसी कारण चीन अपने लगभग सभी पड़ोसी देशों के साथ विवाद शुरू करके युद्ध का खतरा स्वीकारने के लिए आमादा है क्योंकि, अपना सामर्थ्य कम होने से पहले यह गतिविधियाँ करना आवश्‍यक होने का अहसास चीन के नेताओं को हुआ है, ऐसी चेतावनी विश्‍लेषकों ने दी है। मैक्‌मैन्यूस ने इस अनुमान की भी याद दिलायी।

इसकी वजह से आनेवाले समय में चीन ताइवान के प्रति अधिक आक्रामक नीति अपना सकता है। अमरीका के साथ युद्ध का खतरा भी मोल लेगा। इसी कारण चीन की ताकत कम हो रही है, फिर भी इस देश की वजह से विश्‍व के सामने चुनौतियां नहीं बदलेंगी, केवल इसका स्वरूप बदलेगा, यह दावा मैक्‌मैन्यूस ने किया है।

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