फ्रान्स अफ्रीका में सैन्य तैनाती कम करेगा – राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन का ऐलान

पैरिस/गैबॉन – ‘अफ्रीकी देशों में फ्रान्स के हित और ज़िम्मेदारियां हैं और इन देशों को फ्रान्स ने अपना भागीदार समझा था। साल २०१७ के अपने दौरे में हमने इसी बात पर जोर दिया था। फ्रान्स ने इसके अनुसार कदम उठाए थे। लेकिन अब इस नीति का अन्त करने का समय आया है’, इन शब्दों में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने ऐलान किया कि, अफ्रीका से जुड़ी अपनी नीति में फ्रान्स बदलाव करेगा। नई नीति के तहत फ्रान्स अफ्रीका में मौजूद अपनी सैन्य तैनाती काफी कम करेगा, यह जानकारी फ्रेंच अधिकारी ने साझा की है।

फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन इस हफ्ते अफ्रीका के दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान वे गैबॉन, अंगोला और डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और कांगो देश की यात्रा करेंगे। इस दौरे से पहले अपनी भूमिका रखते हुए राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने फ्रान्स की बदलती नीति के संकेत दिए। अफ्रीका में मौजूद अपने सैन्य ठिकानों की रचना में फ्रान्स बदलाव करेगा, ऐसा मैक्रॉन ने कहा। फिहलाल मौजूद सैन्य ठिकानों पर फ्रान्स के साथ ही अफ्रीकी देशों की फौज भी तैनात होगी, ऐसी जानकारी फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने प्रदान की।

फ्रान्स ने अफ्रीका के जिबौती, गैबॉन, आयवरी कोस्ट, सेनेगल में स्थायी सैन्य ठिकाने बनाए हैं। इसके अलावा ‘साहेल’ क्षेत्र के देशों में भी फ्रान्स ने सैन्य अड्डे स्थापित किए थे। इनमें से माली और बुर्किना फासो में सत्ता परिवर्तन होने के बाद फ्रेंच अड्डे और तैनाती का विरोध तीव्र हुआ था। फ्रान्स के सैन्य ठिकाने के बाहर भारी मात्रा में प्रदर्शन हुए थे। माली और बुर्किना फासो ने फ्रेंच सेना को अड्डा बंद करके देश से निकलने के आदेश दिए थे।

बढ़ाता दबाव और देश के अंदरुनि स्तर पर हो रही आलोचना की पृष्ठभूमि पर फ्रेंच सेना ने दोनों देशों से बाहर निकलने की तैयारी दर्शायी थी। इन देशों में तैनात फौज अफ्रीका के अन्य अड्डों पर तैनात करने के संकेत दिए गए थे। पिछले हफ्ते ही बुर्किना फासो से फ्रेंच सेना देश से बाहर निकलने की जानकारी सामने आयी थी। इस पृष्ठभूमि पर फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष का अफ्रीका नीति में बदलाव करने का ऐलान ध्यान आकर्षित कर रहा है।

अफ्रीकी महाद्वीप में फ्रान्स के विरोध के पीछे रशिया और चीन का हाथ होने का आरोप विश्लेषकों ने लगाया था। अफ्रीकी देशों में पिछले कुछ सालों से रशिया ने अपना प्रभाव बढ़ाया है। इसमें रशिया की निजि सैन्य कंपनी ‘वैग्नर ग्रूप’ का समावेश है। इस गुट ने अफ्रीका के कई देशों में सैन्य दलों की  तैनाती की है। साथ ही रशिया द्वारा अफ्रीकी देशों को रक्षा एवं आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इसी वजह से इन देशों ने यूरोपिय देशों के दबाव तले झुके बगैर रशिया और चीन की ओर झुकाव शुरू किया है। इसका अहसास रखनेवाला फ्रान्स अब अपनी नीति में बदलाव करने के संकेत देकर अफ्रीका में प्रभाव बनाए रखने के लिए नई कोशिश शुरू कर रहा है।

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