अफ्रीका में बने चीन और रशिया के खतरे से निपटने के लिए ‘आफ्रिकॉम’ की योजना – वरिष्ठ अमरिकी अफसर का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंग्टन: ‘अफ्रीका का भविष्य तबाह कर रहे आतंकी गुटों के विरोध में शुरू मुहीम में चीन और रशिया का कोई भी योगदान नही है| यह देश सीर्फ उनके आर्थिक लाभ के लिए अफ्रीकी देशों को हथियारों की बिक्री कर रहे है, यह एहसास रखना होगा’, इन शब्दों में अमरिका की ‘आफ्रिकॉम’ ने अफ्रीका में जारी चीन और रशिया की गतिविधियों पर आलोचना की है| साथ ही अफ्रीका में बढ रहे चीन और रशिया के खतरे से निपटने के लिए योजना तैयार की है, यह संकेत भी ‘आफ्रिकॉम’ के वरिष्ठ अफसर ने दिए है|

पिछले वर्ष जुलाई महीने में चीन ने अफ्रीका के विषय में आयोजित की हुई परिषद में ५० देशों के लष्करी और राजनयिक अफसर शामिल हुए थे| इस परिषद के बाद अक्टुबर महीने में रशिया ने सोची शहर में पहली ‘रशियाअफ्रीका समिट’ का आयोजन किया था| रशिया की इस बैठक में लगभग ३५ अफ्रीकी देश शामिल हुए थे| दोनों देशों ने थोडे समय में इन परिषदों का आयोजन करना अफ्रीकी महाद्विपिय क्षेत्र में इन देशों के बढते प्रभाव के संकेत समझे जा रहे है|

इस विषय में सामने आए आंकडे भी इसी की पुष्टी कर रहे है| चीन और अफ्रीकी देशों का व्यापार २०० अरब डॉलर्स से भी अधिक हुआ है| वर्ष २०१७ में अफ्रीका के ‘जिबौती’ में लष्करी अड्डे का निर्माण करनेवाले चीन ने अफ्रीकी देशों को प्रदान हो रहे हथियारों में से लगभग २० प्रतिशत हिस्सा काबीज किया है| इसी दौरान अफ्रीका के ५२ देशों में चीन के दूतावास कार्यरत हुए है और महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऍण्ड रोड’ परियोजना में अफ्रीका के ३९ देश शामिल हुए है|

रशिया ने पिछले पांच वर्षों में लगभग २० अफ्रीकी देशों के साथ द्विपक्षीय लष्करी समझौते किए है| फिलहाल अफ्रीकी देशों से खरीद हो रहे रक्षा सामान में से ३९ प्रतिशत हिस्सा रशिया का है| रशिया और अफ्रीका का व्यापार भी लगभग १८ अरब डॉलर्स तक जा पहुंचा है और इजिप्ट, अल्जेरिया, सुदान और अंगोला में रशिया ने बडी परियोजनाओं की भी शुरूआत की है| वर्ष २०१८ में रशिया ने सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में लष्करी सलाहाकारों का दल तैनात करने की बात भी स्पष्ट हुई थी|

चीन और रशिया का यह बढता प्रभाव अमरिका की सुरक्षा के लिए खतरा साबित होगा, यह स्वर पिछले वर्ष से कई लष्करी अफसर और विशेषज्ञ लगा रहे है| ‘अफ्रीका चीन और रशिया के प्रभाव में जाने की संभावना है| रशिया ने कई अफ्रीकी देशों में अपनी गतिविधियां बढाई है और अफ्रीकी देशों में नए अड्डे स्थापित करने की तैयारी चीन कर रहा है’, इन शब्दों में अमरिकी अफसरों ने खतरें की ओर ध्यान केंद्रीत किया था|

अब अफ्रीका में स्थापित अमरिका की लष्करी कमांड ‘आफ्रिकॉम’ ने यह खतरा कम करने के लिए कदम बढाना शुरू किया है| इसके लिए अफ्रीकी देशों के साथ मजबूत भागीदारी स्थापित करना यह पहला स्तर रहेगा, यह जानकारी ‘आफ्रिकॉम’ के वरिष्ठ अफसर मेजर जनरल विल्यम गेलर ने साझा की| सीर्फ हथियारों की बिक्री करने के बजाए ऐसी भागीदारी लंबे समय के लिए असरदार साबित होगी, यह दावा मेजर जनरल गेलर ने किया| अच्छी भागीदारी का निर्माण हुआ तो अफ्रीकी देश अगले समय में अमरिका को ही प्राथमिकता देंगे, यह भरोसा भी अमरिकी लष्करी अफसर ने व्यक्त किया| इसके लिए अमरिका ने पांच वर्ष की योजना तैयार की है और इसमें लष्करी सहयोग का भी समावेश रहेगा, यह जानकारी सूत्रों ने साझा की है|

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