चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ योजना जागतिक वित्त व्यवस्था के लिए ख़तरे की घंटी- अर्थतज्ञो का संकेत

बीजिंग:चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने का महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड योजना जागतिक व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी होने का इशारा अर्थ विशेषज्ञों ने दिया है। इस योजना के अंतर्गत परियोजनाओ के लिए चीन के सरकारी बैंक बड़े पैमाने पर अर्थसहयोग देने का प्रयत्न कर रहे हैं। जिसके द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर एवं संकटमय देशों को कर्ज प्रदान किया जाएगा। इन देशोंने कर्जे नहीं लौटाए तो चीन के बैंकिंग क्षेत्र को बड़ा झटका लगेगा जिसका परिणाम अन्तराष्ट्रीय वित्त व्यवस्था पर होगा यह इशारा शु चेनगैंग एवं जॉन कौनरैड इन विशेषज्ञों ने दिया है।

कुछ दिनों पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चीन की अर्थव्यवस्था; अनियंत्रित कर्ज और अर्थ सहायता की चंगुल में जोखिम भरे मोड़ पर पहुंचने का गंभीर इशारा दिया था। मुद्रा कोष के इस संकेत की चीन के कई अर्थ विशेषज्ञों ने पुष्टि की है। इस पृष्ठभूमि पर ‘वन बेल्ट वन रोड’ योजना के मुद्दे का यह इशारा ध्यान खींच रहा है।

चीन में अग्रणी बैंक के तौर पर पहचाने जाने वाले ‘चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक’, ‘बैंक ऑफ चाइना’, ‘इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना’ एवं ‘एग्रीकल्चर बैंक ऑफ़ चाइना’ निधि जमा करने का वृत कुछ दिनों पहले प्रसारित हुआ था। ‘वन बेल्ट वन रोड’ के अंतर्गत परियोजनाओ के लिए अर्थ सहायता के तौर पर निधि जमा करने की जानकारी सूत्रों से आयी थी। चीन सरकार अपने महत्वकांक्षी योजनाओं के लिए करीब एक लाख करोड़ डॉलर खर्च करेंगे, जिनमें बहुतांश निधि विविध देशों के परियोजनाओ को अर्थसहाय्यता के तौर पर दिया जाएगा।

चीन अपने ‘वन बेल्ट वन रोड’ योजना के अंतर्गत रशिया, युरोप एवं अफ्रीका के करीब ७ देशों में १०० से अधिक परियोजनाए हाथ ले रहा है। जिनमें आशिया और अफ्रीका के आर्थिक रूप से कमजोर तथा राजकीय दृष्टि से अस्थिर माने जाने वाले अनेक देशों का समावेश है। इन देशों के परियोजनाओ को प्रदान होने वाले कर्ज किन बैंकों के लिए डूबंत कर्ज के रूप में उभर सकता है, यह इशारा ‘मर्केटर इंस्टिट्यूट फॉर चाइना स्टडीज’ के उपाध्यक्ष कौनरैड ने दिया है। उसी समय चीन के बैंकिंग क्षेत्र को निर्माण होने वाला खतरा जागतिक बैंकिंग क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है, यह कौनरैड ने कहकर आगाह किया है।

चीन के अर्थ विशेषज्ञ प्राध्यापक शु चेनगैंग ने इस बात की पुष्टि की है। पिछले दशक से चीन में निजीकरण की प्रक्रिया कम हो रही है। चीनी उद्योग की अतिरिक्त क्षमता एवं डूबने वाले सरकारी कंपनियों का बढ़ता प्रमाण यह बातें अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी समस्या बनने की बात से उन्होंने आगाह किया है। यह समस्या ‘वन बेल्ट वन रोड’  की योजना के पीछे एक कारण होने का दावा प्राध्यापक चेनगैंग ने किया।

पिछले साल चीन पर होने वाले कर्जे का बोझ ‘सकल राष्ट्रीय उत्पादन’ अर्थात ‘जीडीपी’ २३५ प्रतिशत पर पहुंचने का इशारा दिया गया और आनेवाले ५ वर्षों में यह प्रमाण करीब ३०० प्रतिशत पर जा सकता है, यह आशंका व्यक्त की। इस पृष्ठभूमि पर ‘वन बेल्ट वन रोड’ में कर्जे का महाकाय प्रमाण चीन एवं जागतिक व्यवस्था के लिए खतरे का संकेत दे रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.