यूरोपिय ईंधन क्षेत्र में आपातस्थिति – हंगरी ने किया ‘एनेर्जी इमर्जन्सी’ का ऐलान

बुडापेस्ट/बर्लिन – यूरोप के ईंधन क्षेत्र में आपातस्थिति निर्माण हुई है और इसका असर हंगरी पर भी हो रहा है, ऐसी चेतावनी देकर हंगरी के प्रधानमंत्री व्हिक्टर ऑर्बन ने देश में ‘एनर्जी इमर्जन्सी’ का ऐलान किया। इसके अनुसार अगले महीने से हंगरी ईंधन वायु का निर्यात पूरी तरह से बंद करेगा और कोयला एवं परमाणु ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाएगा। हंगरी अपने ज़रूरतों में से लगभग ७० प्रतिशत ईंधन रशिया से आयात करता है। पिछले कुछ दिनों में रशिया द्वारा यूरोप की ईंधन सप्लाई कम किए जाने की वजह से संबंधित देशों में बेचैनी का माहौल बना है।

‘एनेर्जी इमर्जन्सी'फरवरी में रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यूरोपिय देशों ने रशिया पर काफी प्रतिबंध लगाए थे। यूरोपिय महासंघ ने मौजूदा वर्ष के अन्त तक रशिया से हो रहा ईंधन आयात भारी मात्रा में घटाने का ऐलान भी किया है। इस पृष्ठभूमि पर कुछ देशों ने रशिया से ईंधन आयात करना बंद कर दिया है। साथ ही नए नियमों का पालन ना करने पर रशिया ने कुछ देशों की ईंधन सप्लाई रोक दी है। लेकिन, यूरोप के कई प्रमुख देश अब भी रशियन ईंधन पर निर्भर हैं और ईंधन का आयात कर रहे हैं।

रशिया ने इस मुद्दे पर अपनी नीति अधिक आक्रामक करना शुरू किया है। पिछले महीने तकनीकी वजह बताकर रशिया ने यूरोप के प्रमुख देश जर्मनी की ईंधन आपूर्ति कम कर दी थी। उसी समय फ्रान्स, इटली और ऑस्ट्रिया की कंपनियों को हो रही ईंधन सप्लाई भी कम करने का कदम उठाया गया था। कुछ दिन पहले रशिया ने यूरोपिय देशों को ईंधन वायु की सप्लाई करनेवाली ‘नॉर्ड स्ट्रीम १’ ईंधन पाईपलाईन बंद करने का ऐलान किया था। मरम्मत और रखरखाव के काम के लिए इस ईंधन पाईपलाईन से १० दिन ईंधन सप्लाई नहीं होगी, यह रशिया ने कहा।

‘एनेर्जी इमर्जन्सी'रशिया की ईंधन सप्लाई में हो रही कमी यूरोपिय देशों को बेचैन कर रही है। इस वजह से यूरोपिय महासंघ ने ‘इमर्जन्सी प्लैन’ की तैयारी शुरू की है। इसका अधिकृत ऐलान अगले हफ्ते होगा। लेकिन, इस ऐलान से पहले ही हंगरी में ‘एनर्जी इमर्जन्सी’ का ऐलान करके यूरोप के सामने खड़ा ईंधन संकट अधिक गंभीर होने के संकेत दिए हैं। पिछले कुछ महीनों में रशिया से सबसे ज्यादा ईंधन आयात कर रहे जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया जैसे देशों ने स्थानीय स्तर पर विभिन्न ‘इमर्जन्सी प्लैन’ सक्रिय करने की दिशा में कदम उठाए हैं।

इसमें बंद पड़े हुए ऊर्जा प्रकल्प शुरू करना, कोयला और कच्चे तेल का इस्तेमाल बढ़ाना। उद्योग क्षेत्र पर ईंधन इस्तेमाल करने के प्रतिबंध लगाने के साथ ‘एनर्जी राशनिगं’ करने जैसे प्रावधानों का समावेश है। अधिकांश देशों ने अपने नागरिकों को भी ऊर्जा का इस्तेमाल घटाने की बिनती की है। इसके पीछे रशिया यूरोप की ईंधन आपूर्ति रोकेगी, यही प्रमुख ड़र है। रशिया ने हंगरी की ईंधन सप्लाई अभी बंद नहीं की है, इसके बावजूद इस देश ने ‘एनर्जी इमर्जन्सी’ का ऐलान करने के पीछे यही ड़र होने की बात बतायी जा रही है।

रशिया पर प्रतिबंध लगाकर यूरोप ने आत्मघात किया है – हंगरी के प्रधानमंत्री की चेतावनी

बुड़ापेस्ट – रशिया पर गलत तरीके से लगाए गए प्रतिबंध यानी यूरोप ने स्वयं के फेफड़ों में गोली मारने का मामला है, ऐसी तीखी आलोचना हंगरी के प्रधानमंत्री व्हिक्टर ऑर्बन ने की। यदि रशिया पर लगाए गए प्रतिबंध हटाएं नहीं गए तो यूरोपियन अर्थव्यवस्था नष्ट होगी, यह इशारा भी ऑर्बन ने दिया।

‘शुरू में यूरोप ने अपने पैरों पर गोली चलाई है, हमारा यह विचार था। लेकिन यूरोपिय अर्थव्यवस्था ने अपने ही फेंफड़ों पर गोली चलाई है और अब हवा लेने की कोशिश में यह अर्थव्यवस्थाएं जुटी हैं। रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों से यूक्रेन का लाभ नहीं हुआ, लेकिन, यूरोपियन अर्थव्यवस्था काफी बिगड़ी है। फिलहाल जो कुछ हो रहा है, वह बर्दाश्त करने से परे है’, ऐसा प्रधानमंत्री ऑर्बन ने कहा।

रशिया पर लगाए गए प्रतिबंध गलत विचारों की बुनियाद पर लगाए गए हैं और अब इसे स्वीकारने का अवसर बना है, ऐसी फटकार भी ऑर्बन ने लगायी। यूरोपिय महासंघ के सदस्य हंगरी ने लगातार रशियन प्रतिबंधों का विरोध किया है। ईंधन पर लगाए गए प्रतिबंधों के मुद्दे पर भी हंगरी ने दबाव बनाकर सहुलियत पाने की कामयाबी हासिल की है।

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