चीन की अर्थव्यवस्था इतनी जल्दी पहले जैसी नहीं होगी – अभ्यासगुट का दावा

china-economyवॉशिंग्टन/बीजिंग – पिछले कुछ महीनों में, अपनी अर्थव्यवस्था पटरी पर आने लगी है ऐसे दावे चीन द्वारा किये जा रहे हैं। लेकिन वास्तव में चित्र अलग है, ऐसी जानकारी एक नयी रिपोर्ट से सामने आयी है। सन २०२१ की पहली तिमाही (फर्स्ट क्वार्टर) ख़त्म होने से पहले अर्थव्यवस्था पहले जैसी होना मुश्किल है, ऐसा दावा ‘चायना बीज बुक’ इस अभ्यासगुट ने किया है। चीन के तीन हज़ार से अधिक उद्यमियों से इकट्ठा की हुई जानकारी के आधार पर यह दावा किया जा रहा है, ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है।

कोरोना की महामारी, लॉकडाऊन और ठप पड़ा हवाई प्रवास इनके कारण इस साल की शुरुआत से ही जागतिक अर्थव्यवस्था को लगातार झटके लग रहे हैं। दुनिया की अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अभी भी गिरावट शुरू होकर, साल के अन्त में नकारात्मक विकासदर रहेगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। कोरोना महामारी आने से पहले का विकास दर हासिल करने के लिए कम से कम एक से दो साल लगेंगे, ऐसा दावा भी किया जाता है। इस पृष्ठभूमि पर, पिछले कुछ महीनों में अपनी अर्थव्यवस्था में पुन: तेज़ी आ रही होने के दावें चीन ने किये थे।

china-economyलेकिन इन दावों को झूठा साबित करनेवालीं घटनाएँ गत कुछ हफ़्तों में सामने आ रहीं होकर, ‘चायना बीज बुक’ की रिपोर्ट, उसीका भाग दिख रहा है। ‘चायना बीज बुक’ ने चीन के तीन हज़ार से भी अधिक उद्यमियों से संवाद किया होने की जानकारी दी है। इस समय उन्हें उत्पादनों की बिक्री, मुनाफ़ा, साथ ही नये कर्मचारियों की भर्ती ऐसे मुद्दों पर प्रश्‍न पूछे हए। उनमें से दो तिहाई उद्यमियों ने बिक्री, मुनाफ़ा और भर्ती ये बातें पहले जैसीं होने के लिए कुछ महीं इन्तज़ार करना होगा, ऐसा मत दर्ज़ किया है।

इसके अलावा ‘चायना बीज बुक’ ने यह भी दावा किया है कि साल की आख़िरी तिमाही में चीन में उत्पादनों की बिक्री तेज़ी से घट रही है। चीन के बैंक्स् तथा वित्तसंस्थाओं ने रिटेल क्षेत्र को कर्ज़ देने का प्रमाण कम किया होने की बात भी सामने आ रही है और चौथीं तिमाही में लगभग ३८ प्रतिशत कर्ज़ नकारे गये हैं। चीन से होनेवाली निर्यात हालाँकि बढ़ रही होने का चित्र सामने आ रहा है, फिर भी आयात फिर से घटने की शुरुआत होने का उल्लेख भी ‘चायना बीज बुक’ की रिपोर्ट में किया गया है।

china-economyपिछले महीने में चीन की सरकारी तथा निजी क्षेत्र में कई कंपनियों ने बाँड्स से संबंधित कर्ज़े चुकते करने से इन्कार किया होने की जानकारी सामने आयी थी। यह आँकड़ा छ: अरब डॉलर्स के पार गया है, ऐसा बताया गया था। उनमें सरकारी नियंत्रण होनेवालीं कंपनियों का समावेश होने के कारण निवेशकारों में खलबली मची थी। चीन में बाँड्स का मार्केट लगभग २० ट्रिलियन डॉलर्स का होकर्फ़, इसमें ७५ प्रतिशत हिस्सा सरकारी बाँड्स का है।

इससे पहले ऐसीं कंपनियों की ज़िम्मेदारी सत्ताधारी हुक़ूमत द्वारा उठायी जाती थी। लेकिन अब नीति में बदलाव आने के कारण, सरकारी कंपनियाँ भी दिवालिया बन सकतीं हैं, ऐसे संकेत मिले हैं। चीन की अर्थव्यवस्था पर होनेवाला कुल कर्ज़े का बोझ भी इससे बढ़ रहा होकर, वह लगभग ३३५ प्रतिशत के पार गया, ऐसा बताया जाता है। यह बोझ तेज़ी से बढ़ रहा है और उसका झटका आन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को लग सकता है, ऐसी चेतावनियाँ ‘वर्ल्ड बँक’ एवं ‘आन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोश’ जैसीं प्रमुख संस्थाओं द्वारा इससे पहले ही दिये गए हैं।

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