नेताजी- १३४

नेताजी- १३४

कड़ी धूप में काफ़ी दूरी पैदल ही तय करने के कारण अब सुभाषबाबू बहुत ही थक चुके थे। अब उनके पैरों में दर्द भी होने लगा था। मग़र तब भी एक अभूतपूर्व ज़िद के कारण जैसे तैसे पैर खींचते हुए उस वीरान पहाड़ी इला़के में से वे आगे गुज़र रहे थे। एक तो पहले ही […]

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नेताजी- १३३

नेताजी- १३३

अब इसके बाद सरहद स्थित पहाड़ी टोलियों के प्रदेश में ‘भगतराम तलवार’ मेरे साथ जायेगा, यह सुनकर सुभाषबाबू ने मियाँसाहब की ओर प्रश्‍नसूचक नज़रिये से देखा। शुरुआत में मियाँसाहब जब कोलकाता आये थे, तब उनके मुँह से ‘भगतराम तलवार’ यह नाम पहली बार सुनते ही यह कोई तगड़ा, हट्टाकट्टा मनुष्य रहेगा, ऐसी उनकी धारणा बन […]

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नेताजी- १३२

नेताजी- १३२

धनबाद के नज़दीक के गोमोह स्टेशन पर सुभाषबाबू को अलविदा करके और वे ‘दिल्ली-कालका मेल’ में चढ़ गये हैं यह देखने के बाद शिशिर, अशोकनाथ और उसकी पत्नी दिल पर पत्थर रखकर घर की ओर रवाना हुए। गाड़ी में सभी चूप थे। लेकिन घर पहुँचने पर सोते समय शिशिर और अशोकनाथ देर रात तक ‘रंगाकाकाबाबू’ […]

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नेताजी- १३१

नेताजी- १३१

इस तरह पहरा देनेवाले गुप्तचरों को चकमा देकर १६ जनवरी १९४१ की देर रात घर से निकले सुभाषबाबू की गाड़ी १७ तारीख़ की सुबह साढ़े-आठ बजे बराड़ी पहुँच गयी। इस मुहिम के पहले पड़ाव को यशस्वी रूप में पार करने के बाद अब सुभाषबाबू का मन इस मुहिम के दूसरे पड़ाव के बारे में सोच […]

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नेताजी- १३०

नेताजी- १३०

इस तरह जिस मुहिम की तैयारी में गत महीना भर का हर दिन और हर रात बीत रहे थे, उस मुहिम की शुरुआत हो चुकी थी। नियति भी शायद उस वक़्त मुस्कुरायी होगी। भारतीय स्वतन्त्रतासंग्राम का एक तेजस्वी अध्याय शुरू हो चुका था। लेकिन कम से कम उस वक़्त तो भविष्य की सड़क क्या मोड़ […]

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नेताजी- १२९

नेताजी- १२९

१६ जनवरी, १९४१ इस दिन के ख़त्म होने में चन्द कुछ ही घण्टें बाक़ी रह गये थे। सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी थीं। सुभाषबाबू ने अपने कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया। फिर चण्डिका माता का स्मरण करके तेज़ी से अपने भतीजों के साथ स्वयं की तैयारियाँ करना शुरू कर दिया। ढीला-सा पायजमा, बन्द गले […]

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नेताजी-१२८

नेताजी-१२८

मिया अक़बर शाह और शिशिर द्वारा लाया गया वह पठानी पोषाक़ एक रात सुभाषबाबू ने पहनकर देखा। आईने में देखकर वे स्वयं ही खुश हो गये। इससे तो अब पुलीस को बिलकुल शक़ नहीं होगा, यह विचार उनके मन में आया। सारी सिद्धता हो चुकी थी। अब वे ‘उस’ दिन की राह देखने लगे। साथ […]

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नेताजी-१२७

नेताजी-१२७

सुभाषबाबू के विदेशगमन की तैयारी आहिस्ता आहिस्ता, किसी को भनक तक न लगने देते हुए चल रही थी। अब शिशिर अपनी वाँडरर गाड़ी लेकर बराड़ी तक भी जाकर लौट आया था। उसने एक्स्ट्रॉ टायर भी ख़रीदा था। ‘उस’ रात को पुलीस की नज़र में न आयें, इसलिए आजकल वह हररोज़ रात को वाँडरर लेकर निकलता […]

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नेताजी-१२६

नेताजी-१२६

विदेश जाने की अपनी योजना के हर त़फ़सील को गहराई से जाँचकर वह कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही सुभाषबाबू एक एक कदम आगे बढ़ा रहे थे। इस अद्भुत मुहिम में मेरा सहभाग रहेगा, इस कल्पना से खुश हुआ उनका भतीजा शिशिर बड़े जोश के साथ भूख-प्यास भूलकर अपने काम में जुट गया था। […]

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नेताजी- १२५

नेताजी- १२५

सुभाषबाबू के खिलाफ़ दायर किये गये मुकदमों में न्यायमूर्ति ने २७ जनवरी, १९४१ यह आख़िरी तारीख़ दे दी थी और इसीलिए सुभाषबाबू के लिए एक महीने के भीतर निर्धारित योजना की कार्यवाही करना ज़रूरी बन गया था। वैसे तो उनके कहीं जाने-आने पर किसी प्रकार की पाबन्दी तो नहीं लगायी गयी थी, लेकिन घर से […]

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