नेताजी-११४

नेताजी-११४

इस तरह अध्यक्ष की स्वतन्त्रता को संकुचित करनेवाला ‘पंतप्रस्ताव’ पारित होने के बाद ही त्रिपुरी काँग्रेस अधिवेशन समाप्त हुआ। हालाँकि ऊपरि तौर पर इसमें सुभाषविरोधकों की जीत हुई है, यह भले ही दिखायी दे रहा हो, लेकिन इससे आख़िर ‘नोबडी विन्स-ऑल-लूज’ ऐसे ही हालात बन चुके थे। अब सुभाषबाबू इस परिस्थिति का मुक़ाबला किस तरह […]

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नेताजी-११३

नेताजी-११३

त्रिपुरी अधिवेशन ने अब अपने रंग दिखाना शुरू कर दिया था। बीमारी से गलितगात्र अध्यक्ष एक तरफ़; वहीं, उनके विरोध में संकुचित राजनीतिक शतरंज की चालें चलनेवाले १२ माहिर बुज़ुर्ग नेता, सारी की सारी पक्षयन्त्रणा, सभी प्रांतीय मन्त्रिमण्डल (‘कुर्सी छोड़कर काँग्रेस को सड़क पर उतरना चाहिए’ यह सुभाषबाबू द्वारा किया जा रहा आग्रही प्रतिपादन नामंज़ूर […]

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नेताजी-११२

नेताजी-११२

सिर्फ़ अपने बलबूते पर ही त्रिपुरी अधिवेशन के अध्यक्षीय चुनाव जीतने पर भी ऐन मौ़के पर गंभीर बीमारी से शक्तिहीन हो चुके सुभाषबाबू, अधिवेशन का पहला दिन शिविर में विश्राम करने में व्यतीत करने के बाद दूसरे दिन किसी की भी न सुनते हुए ज़िद से अधिवेशनमंडप में दाखिल हुए। कुर्सी पर बैठने जितनी ताकत […]

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नेताजी-१११

नेताजी-१११

त्रिपुरी अधिवेशन की स्वागत समिति ने अधिकृत रूप से किये हुए ऐसे ‘स्वागत’ की अपेक्षा अनधिकृत, यानि जनसागर ने किया हुआ स्वागत तो काफ़ी उत्साहपूर्ण था। अधिवेशन के लिए दो लाख से भी ज़्यादा लोग इकट्ठा हुए थे। डॉक्टर तथा परिवारजनों द्वारा सुभाषबाबू की तबियत के बारे में साफ़ साफ़ चेतावनी दी जानेपर सुभाषबाबू ने […]

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नेताजी-११०

नेताजी-११०

१० मार्च १९३९ को जबलपुर ज़िले में त्रिपुरी अधिवेशन सम्पन्न होने जा रहा था। सुभाषबाबू की अजीबोंग़रीब बीमारी के विलक्षण लक्षणों के चर्चे अख़बारों में हो रहे थे। अधिवेशन के अध्यक्ष ही अधिवेशन में उपस्थित रहेंगे या नहीं, इस बारे में चर्चाएँ हो रही थीं। आख़िर सुभाषबाबू की मूल इन्क़िलाबी प्रवृत्ति ने सिर उठाया और […]

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नेताजी-१०९

नेताजी-१०९

वर्धा जाकर गाँधीजी से हुई सुभाषबाबू की प्रत्यक्ष मुलाक़ात में उन दोनों के बीच खुले दिल से चर्चा हुई, जिससे कि तनाव अब काफ़ी हद तक दूर हो चुका है, ऐसा सुभाषबाबू को लगने लगा। इतने दिनों से मन पर रहनेवाला बोझ अचानक से उतर जाने से कहिए या फिर किसी अन्य वजह से कहिए, […]

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नेताजी-१०८

नेताजी-१०८

सन १९३९ के त्रिपुरी काँग्रेस अध्यक्षपद के चुनाव में हुए टक्कर के मुक़ाबले में सुभाषबाबू को २०३ व्होटों से जीत हासिल हुई। कम से कम दो सौ व्होटों की बढ़त से मैं यह चुनाव जीत जाऊँगा, यह उनके द्वारा निर्धारित अँदाज पूरी तरह अचूक साबित हुआ था, लेकिन सुभाषबाबू के तर्कनिष्ठ मन की संरचना को […]

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नेताजी-१०७

नेताजी-१०७

सन १९३९ साल के त्रिपुरी काँग्रेस अधिवेशन के लिए अध्यक्षपद के लिये चुनाव की ज़रूरत पड़ना, यह काँग्रेस के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना थी। हालाँकि काँग्रेस की घटना में अध्यक्षपद के लिए चुनाव किये जाने की व्यवस्था थी, मग़र फिर भी काँग्रेस यह एकसामायिक संगठन हो, उसमें कोई गुटबाज़ी न हो, इस बात का […]

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नेताजी-१०६

नेताजी-१०६

त्रिपुरी काँग्रेस के अध्यक्षपद के मुद्दे पर माहौल गरमा चुका था। कई सहकर्मियों के सुस्पष्ट सुझाव के बाद जब निरुपाय होकर सुभाषबाबू ने अध्यक्षपद के लिए पुनः पर्चा भरने का निर्णय ले लिया, तब तो वह उनके विरोधकों को उन्हें मात देने के लिए एक अच्छा अवसर प्रतीत हुआ। उन्होंने इस प्रश्‍न को प्रतिष्ठा का […]

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नेताजी- १०५

नेताजी- १०५

१९३९ वर्ष की त्रिपुरी काँग्रेस के अध्यक्षपद पर कौन विराजमान होगा, इस बारे में अटकलें लगाना शुरू हो गया था। वैसे तो १९३८ यह वर्ष सुभाषबाबू के लिए काफी़ भागदौड़ भरा रहा था। देश भर में किये गये दौरें, सभाएँ, चर्चाएँ इस व्यस्तता में स्वयं की ओर ध्यान देने तक की फु़रसत उन्हें नहीं मिली […]

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