नेताजी-१५४

नेताजी-१५४

सुभाषबाबू को मॉस्को से बर्लिन ले आनेवाले विशेष हवाई जहाज़ का इन्तज़ाम हो जाने के बाद ३ अप्रैल को सुभाषबाबू बर्लिन पहुँचे। तक़रीबन २ महीने ११ दिनों की भागदौड़ करके रोमहर्षक एवं हैरत अंगेज़ घटनाओं से भरा प्रवास करते हुए, आशा-निराशा का झूला झूलते हुए, एक दुर्दम्य लगन के बल पर और अपनी ध्येयपूर्ति के […]

Read More »

नेताजी-१५३

नेताजी-१५३

सुभाषबाबू को ले जानेवाली गाड़ी तेज़ी से दौड़ रही थी। अब हिन्दुकुश पर्वतपंक्तियाँ शुरू हो चुकी थीं। बीच में ही आड़े-टेढ़े मोड़ों सा रास्ता, बीच में ही मीलों दूर तक फ़ैले हुए पठारों में से गुज़रनेवाला सरहरा रास्ता ऐसे मार्ग से गाड़ी रशिया की सीमा की ओर दौड़ रही थी। सदियों से अफ़ग़ानिस्तान यह पूर्वीय […]

Read More »

नेताजी-१५२

नेताजी-१५२

उत्तमचन्द के परिवार को भावपूर्ण रूप से अलविदा कहकर सुभाषबाबू गाड़ी में बैठ गये। उस रात कारोनी ने सुभाषबाबू के क़रिबी लोगों के लिए एक छोटीसी दावत रखी थी। भगतराम तथा उत्तमचन्द भी उसमें शरीक रहनेवाले थे। इसलिए वे भी सुभाषबाबू के साथ गाड़ी में बैठ गये। खाने के बाद उत्तमचन्द कलेजे पर पत्थर रखकर […]

Read More »

नेताजी-१५१

नेताजी-१५१

कारोनी के साथ हुई मीटिंग के बाद वक़्त न गँवाते हुए सुभाषबाबू धीरे धीरे युरोप के वास्तव्य की तैयारियाँ कर ही रहे थे। जर्मन एम्बसी में जाने से पहले, शरदबाबू को देने के लिए अपनी खुद की बंगाली लिखावट में लिखी हुई चिठ्ठी और अपने सहकर्मी शार्दूल कवीश्‍वर इन्हें देने के लिए ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ के […]

Read More »

नेताजी-१५०

नेताजी-१५०

कारोनी के साथ सुभाषबाबू की चर्चा का़फ़ी हद तक सफ़ल हुई और सुभाषबाबू खुशी से उत्तमचन्द के घर लौट आये। अब उनके मन पर का बोझ का़फ़ी कम हो चुका था और वे युरोपीय भेस में काबूल में खरीदारी वगैरा के लिए घुम-फ़िरने भी लगे थे। कुछ भी नया सन्देश आनेपर, हर दो-तीन दिन बाद […]

Read More »

नेताजी- १४९

नेताजी- १४९

सुभाषबाबू के दिमाग में से साकार हो रही योजना को सुनते हुए कारोनी को तो वे रशियन राज्यक्रान्ति के प्रणेता रहनेवाले लेनिन के समान ही प्रतीत होने लगे थे। इस प्रचण्ड हिमालय जितने महत्कार्य को दुर्दम्य आत्मविश्‍वास के साथ एकाकी रूप में करने जा रहे इस आदमी को मुझसे जितनी हो सके उतनी सहायता मैं […]

Read More »

नेताजी-१४८

नेताजी-१४८

निर्धारित समय पर ठीक सात बजे सुभाषबाबू भगतराम के साथ इटालियन एम्बसी के दरवाज़े पर पहुँच गये। कारोनी का सेक्रेटरी आन्झालोती वहाँ पर उन्हीं की राह देख रहा था। वह उन्हें कारोनी के पास ले गया। सुभाषबाबू ने पहले भारतीय ढ़ंग से नमस्कार किया और फ़िर पश्चिमी स्टाईल में हार्दिकता से ‘शेकहँड’ किया! कारोनी उनकी […]

Read More »

नेताजी- १४७

नेताजी- १४७

सुभाषबाबू को जर्मनी ले जाने में बर्लिन से हो रही टालमटोल बर्दाश्त के बाहर हो गयी थी और उन्होंने एक टोलीवाले राहबर – या़कूब के साथ स्वयं ही अ़फ़गाणिस्तान-रशिया सरहद के पहाड़ी इला़के में से बहती नदी को पार कर रशियाप्रवेश की कोशिश करने का तय किया था। उत्तमचन्द की दुकान में भगतराम और उत्तमचन्द […]

Read More »

नेताजी- १४६

नेताजी- १४६

उत्तमचन्द के घर की मेहमाननवाज़ी में सुभाषबाबू के दो-तीन दिन बड़े मज़े से गुजरे। वे कमरे से बाहर नहीं निकलते थे। उनके लिए खाना, चाय-नाश्ता वगैरा उनके कमरे में भेजा जाता था। कई बार उत्तमचन्द की छोटी-सी बेटी ही उन्हें कॉफ़ी लाकर देती थी। उस नन्ही-सी परी के साथ उनकी अच्छी-ख़ासी दोस्ती भी हो चुकी […]

Read More »

नेताजी- १४५

नेताजी- १४५

सुभाषबाबू को घर में पनाह देनी चाहिए या नहीं, इस मामले में उत्तमचन्द के मन में विचारों का बवण्ड़र उठा हुआ था। उनके दोस्त ने भी उन्हें ‘हम बालबच्चेवालों को इस व्यर्थ झमेले में नहीं पड़ना चाहिए’ यह परामर्श भी दिया था। इस तरह विचारों के आन्दोलन में चक्कर खाते हुए उत्तमचन्द खाना खाकर फिर […]

Read More »
1 3 4 5 6 7 20