नेताजी-४

नेताजी-४

सुभाषबाबू के जीवन में दाखिल हो चुके स्वामी विवेकानन्दजी ने उन्हें बाह्य-आभ्यन्तर भारित कर दिया था। अपने जीवन का हेतु ही मानो स्वामीजी समझा रहे हैं, ऐसा उन्हें लगा। विवेकानन्दजी के विचार पुरोगामी ही थे। भोगवादी संस्कृतिप्रधान पश्चिमी देशों में जब भारत के बारे में रहनेवाले घोर अज्ञान के कारण भारत से संबंधित ग़लत धारणाएँ […]

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सुभाषबाबू पर स्वामी विवेकानन्दजी का बढ़ता प्रभाव

सुभाषबाबू पर स्वामी विवेकानन्दजी का बढ़ता प्रभाव

सुभाषबाबू के जीवन में दाखिल हो चुके स्वामी विवेकानन्दजी ने उन्हें बाह्य-आभ्यन्तर भारित कर दिया था। अपने जीवन का हेतु ही मानो स्वामीजी समझा रहे हैं, ऐसा उन्हें लगा। विवेकानन्दजी के विचार पुरोगामी ही थे। भोगवादी संस्कृतिप्रधान पश्चिमी देशों में जब भारत के बारे में रहनेवाले घोर अज्ञान के कारण भारत से संबंधित ग़लत धारणाएँ […]

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सुभाषबाबू और निर्धार इस अटूट समीकरण का स्कूली जीवन में पहला दर्शन

सुभाषबाबू और निर्धार इस अटूट समीकरण का स्कूली जीवन में पहला दर्शन

रेव्हॅनशॉ कॉलेजिएट स्कूल में सुभाषबाबू का व्यक्तित्व धीरे धीरे सुघटित होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी| दकियानुसी स्कूली अभ्यासप्रणाली में सुभाषबाबू का मन नहीं लग रहा था| लेकिन केवल अपनी कुशाग्र बुद्धिमत्ता के बल पर पूरी क्लास में वे अच्छे नंबरों से पास होते थे| अँग्रे़जी में तो वे हमेशा ही क्लास में अव्वल […]

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नेताजी -०१

नेताजी -०१

‘मुझे वाकई बहुत मज़ा आ रहा है, एक गोरे अँग्रेज़ को मेरे जूतें पॉलिश करते हुए देखकर|’ सन १९१९ में अपने इंग्लैंड़ के निवास के दौरान नेताजी ने अपने परिवार को लिखे हुए एक ख़त में यह कहा था। आयसीएस की सम्मानित डिग्री अर्जित करने इंग्लैंड़ आये सुभाषबाबू केंब्रिज युनिव्हर्सिटी में शिक्षा हासिल कर रहे […]

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