नेताजी- १४४

नेताजी- १४४

उस अ़फ़गाणी सीआयडी पुलीस की बला से छुटकारा पाने के लिए भगतराम ने ठहरने के बारे में अब काबूल में बस चुके अपने पुराने सहकर्मी – उत्तमचन्द मल्होत्रा से दऱख्वास्त करने का तय किया और दूसरे दिन सुबह की वह उत्तमचन्द की दुकान में पहुँच गया। सुबह का समय होने के कारण रास्ते पर कुछ […]

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नेताजी-१४३

नेताजी-१४३

काबूल स्थित सिमेन्स के अफ़सर हेर थॉमस से मिलने के बाद सुभाषबाबू और भगतराम सिमेन्स की कचहरी में से बाहर निकले। थॉमस ने तीन दिन बाद बुलाया था। तीन दिन तक रुकने के लिए सुभाषबाबू को कोई ऐतराज़ नहीं था, लेकिन उस रिश्‍वतख़ोर अफ़गाणी सीआयडी पुलीस के बारे में वे बार बार सोच रहे थे। […]

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नेताजी-१४२

नेताजी-१४२

काबूल स्थित जर्मन राजदूत हॅन्स पिल्गर से मुलाक़ात करके सुभाषबाबू जब जर्मन एम्बसी से बाहर निकले, तब पिल्गर ने सुभाषबाबू को बर्लिन तक ले जाने के लिए, उस समय जर्मनी के मित्रराष्ट्र रहनेवाले रशिया और इटाली से सहायता माँगने की दृष्टि से उन देशों के राजदूतों के साथ सम्पर्क किया। इटालियन राजदूत तो सुभाषबाबू को […]

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नेताजी- १४१

नेताजी- १४१

सुभाषबाबू ठेंठ जर्मन एम्बसी के बाहर पहरा दे रहे अ़फ़गाणी पुलीस से मिलने जा रहे हैं, यह देखकर भगतराम की तो साँस ही फ़ूल गयी। लेकिन मौ़के की नज़ाकत को देखते हुए वह भी आगे जाकर उनसे बात करने लगा। उसने स्थानिक भाषा में – ‘ये मूकबधीर गृहस्थ बहुत बीमार हैं और इनका भतीजा तेहरानस्थित […]

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नेताजी-१४०

नेताजी-१४०

लाख कोशिशें करने के बावजूद भी रशिया के दरवाज़ें नहीं खुल रहे हैं, यह देखकर परेशान हुए सुभाषबाबू ने रशिया जाने का प्लॅन रद करके जर्मनी के दरवाज़े पर दस्तक देने की बात तय कर ली। और ताज्जुब की बात यह थी कि जिस दिन वे जर्मन एम्बसी में जाकर कोशिश करने की ठानकर निकल […]

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नेताजी- १३९

नेताजी- १३९

आख़िर काबूल की रशियन एम्बसी की इमारत से रूबरू हो जाने के बाद उस रात सुभाषबाबू चैन की नीन्द सोये। लेकिन उससे पहले उन्होंने अपने मक़सद एवं अगली योजना के बारे में सुस्पष्ट जानकारी देनेवाला एक खत रशियन उच्चायुक्त को देने के लिए रात को ही लिखकर तैयार रख दिया था। सुबह जल्दी उठकर वे […]

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नेताजी- १३८

नेताजी- १३८

इस तरह गत दस दिनों से पहाड़ी इला़के में पहाड़ जितनी मुसीबतें उठाते हुए, कड़ी धूप में लगातार पैदल चलना, खानपान की असुविधा, बर्फ़बारी इन जैसी विभिन्न भयानक मुश्किलों का सामना करते हुए आख़िर सुभाषबाबू काबूल पहुँच गये। उनकी मुहिम के अगले पड़ाव की शुरुआत यहीं से होनेवाली थी। बुदखाक से तांगा पकड़कर सुभाषबाबू भगतराम […]

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नेताजी- १३७

नेताजी- १३७

शुरुआत तो अच्छी हो गयी थी। सुभाषबाबू एल्गिन रोडस्थित घर से अचानक ग़ायब हो चुके हैं और इससे परिवारवालों को गहरा सदमा पहुँचा है, यह ‘ख़बर’ अनौपचारिक रूप से अब पूरे कोलकाता को ज्ञात हुई थी। अब आशंका थी, पुलीस की प्रतिक्रिया की! पुलीस जब इस वाक़ये के बारे में जान गयी, तब वह आगबबूला […]

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नेताजी- १३६

नेताजी- १३६

२४ तारीख़ की दोपहर से सुभाषबाबू और भगतराम ने ट्रक स्थित चाय के बक़्सों पर बैठकर अपनी अगली यात्रा का आरंभ किया। ट्रक ढूँढ़ने के चक्कर में दोपहर का खाना तक न खाने के कारण अब पेट में चूहें दौड़ने लगे थे। बीच रास्ते में ही बारीकोट में ड्रायव्हर ने चाय पीने के लिए गाड़ी […]

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नेताजी-१३५

नेताजी-१३५

प्रार्थनास्थल में रात बिताकर अब सुभाषबाबू का अगला सफ़र खच्चर पर से शुरू हो गया। उस वीरान मुल्क़ में खच्चर का ही सहारा था। गत दिन एक घण्टे में एकाद मील इस ‘गति’ से मार्गक्रमणा हुई थी। लेकिन अब एक घण्टे में ३-४ मील ऐसी ऱफ़्तार आ चुकी थी। लेकिन थोड़ी देर में समतल ज़मीन […]

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