नेताजी – ४४

नेताजी – ४४

सुभाषबाबू के साथ बातचीत ख़त्म होने के बाद सिर चकरा गया माऊंटबॅटन अन्य किसी से भी न मिलते हुए सीधे विश्राम कक्ष में चला गया। लेकिन वहाँ जाने से पहले उसने टेगार्ट से, यह मनुष्य – सुभाष – मुझे बंगाल के क्रान्तिकारी संगठनों से सम्बन्धित रहनेवाला लगता है, यह कहकर उससे चौकन्ना रहने के लिए […]

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नेताजी – ४३

नेताजी – ४३

आख़िर इतनी नाट्यपूर्ण घटनाओं के बाद युवराज २४ दिसम्बर को कोलकाता में दाखिल हो गये। लेकिन तब तक गाँधीजी का निर्णय नहीं हो पाया और ‘प्रिन्स ऑफ वेल्स’ के कोलकाता दाखिल हो जाने के बाद भी समझौते के कोई आसार ऩजर न आने के कारण अब सरकार को ही उस समझौते के प्रस्ताव में कोई […]

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नेताजी – ४२

नेताजी – ४२

जैसे जैसे युवराज के कोलकाता पधारने का दिन क़रीब आ रहा था, वैसे वैसे सरकार एक के बाद एक आत्मघाती फैसले करते ही जा रही थी। सबसे पहले वासंतीदेवी को गिऱफ़्तार कर आन्दोलन को शिथिल करने के दाँवपेंच नाक़ाम हो जाने के बाद, आन्दोलन को जड़ से उखाड़ने की दृष्टि से सरकार ने दासबाबू को […]

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नेताजी- ४१

नेताजी- ४१

वासंतीदेवी की गिऱफ़्तारी से आन्दोलन शिथिल पड़ जायेगा ऐसी अपेक्षा रखनेवाले गव्हर्नर रोनाल्डसे की स्थिति, इस गिऱफ़्तारी के कारण शहर के खौले हुए माहौल को देखकर ‘करने गया कुछ, हुआ और कुछ’ ऐसी हो गयी थी और उन्होंने उसी सहमी हुई स्थिति में ही फ़ौरन  दासबाबू के पास समझौते का प्रस्ताव भेज दिया, जिसमें आन्दोलन […]

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नेताजी- ४०

नेताजी- ४०

काँग्रेस के स्वयंसेवक दल पर सरकार द्वारा लगायी गयी पाबंदी के निषेध में वासंतीदेवी और दासबाबू की बहन उर्मिलादेवी इन्होंने बंदीहुक़्म को तोड़कर ज़ुल्मी अँग्रे़ज सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए सड़क पर आंदोलन करना शुरू कर दिया। उनके साथ ही युनियन लीडर जे.एम. सेनगुप्ताजी की पत्नी नल्ली सेनगुप्ता भी थीं। साथ ही अन्य स्वयंसेवक […]

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नेताजी-३९

नेताजी-३९

१७  नवम्बर को युवराज के भारत के आगमन के उपलक्ष्य में भारत भर में कड़ी हरताल की गयी। कोलकाला में इस हरताल की कार्यवाही स्वयंसेवक दल के माध्यम से की गयी। इस हरताल की सफलता के लिए दासबाबू के मार्गदर्शन में सुभाषबाबू के कन्धे से कन्धा मिलाकर जे. एम. सेनगुप्ता जैसे रेलमजदूर नेता के साथ […]

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नेताजी-३८

नेताजी-३८

भारत का स्वतन्त्रतासंग्राम यह जगन्नाथ के रथ की तरह है और अपने आप को भारतमाता की संतान माननेवाले हर एक का हाथ इस रथ को अवश्य लगना ही चाहिए, ऐसा सुभाषबाबू का प्रामाणिक मत था। अत एवं समाज के सभी स्तर के लोग एकमन से स्वतन्त्रतासंग्राम में शामिल हों, इस सर्वसमावेशक राय के सुभाषबाबू ने, […]

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नेताजी-३७

नेताजी-३७

देशबन्धु के साथ हुई पहली ही मुलाक़ात में सुभाषबाबू और उनके दिल एक-दूसरे से मिल गये और उन्होंने मन ही मन में देशबन्धु को अपना ‘गुरु’ मान लिया। गुरु की खोज का सफर  आज पूरा हो गया। दोनों ने जी भरके बातें कीं। सुभाषबाबू ने इंग्लैंड़ से उन्हें भेजे हुए दूसरे ख़त में काँग्रेस में […]

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नेताजी-३६

नेताजी-३६

पूरे दो साल बाद घर लौटे सुभाष से घर के सभी सदस्य जी भरके बातें करना चाहते थे। लेकिन सुभाषबाबू का मन कहीं और था। अब वे उत्सुक थे बंगाल के उस सिंह से – दासबाबू से मिलने के लिए। उनके कदम अपने आप ही मुसा रोड़ स्थित दासबाबू के घर की दिशा में बढ़े। […]

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नेताजी-३५

नेताजी-३५

गाँधीजी के जवाब से पूरी तरह सन्तुष्ट न हुए सुभाषबाबू के मन में वहाँ से निकलते हुए – या तो मैं गाँधीजी की भूमिका को ठीक से समझ नहीं पाया हूँ या फिर   गाँधीजी की उनकी सभी योजनाओं को नियोजित समय से पहले उद्घाटित करने की ख्वाहिश नहीं है, यह विचार आया। इस १  उलझी […]

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