नेताजी-३४

नेताजी-३४

१६  जुलाई १९२१ को सुभाष की बोट भारत के किनारे पर दाखिल हुई। सुभाष ने दो साल की अवधि के बाद फिर  एक बार अपनी मातृभूमि में कदम रखा था। दो साल की अवधि दुनिया के इतिहास की दृष्टि से देखा जाये, तो बहुत ही छोटी है, लेकिन यह कालावधि सुभाष की संवेदनाएँ परिपक्व होने […]

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नेताजी-३३

नेताजी-३३

गुरुदेव रवीन्द्रनाथजी टागोर के सान्निध्य में बोट के सफर  के वे पच्चीस-तीस दिन का समय कैसे बीत गया, इसका सुभाष को पता ही नहीं चला। उन प्रतिभावान महापुरुष की प्रज्ञा से प्रकाशित हुए ज्ञानकणों का सुभाष उत्कटतापूर्वक संग्रह कर रहा था। बोट पर अचानक प्राप्त हुए गुरुदेवजी के वैचारिक सान्निध्य के कारण उसकी मनोभूमिका अब […]

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नेताजी-३२

नेताजी-३२

आख़िर ‘वह’ दिन आ ही गया। सुभाष, दिलीप और किटीश बन्दरगाह पर निःशब्द रूप से खड़े तो थे, लेकिन उस मौन में भी उनके बीच बातचीत हो रही थी। बोट बन्दरगाह में आ चुकी थी। हमारा मित्र अब हमें छोड़कर जानेवाला है, इस कल्पना से ही सुभाष के मित्र उदास हो गये थे; वहीं मेरा […]

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नेताजी-३१

नेताजी-३१

पिताजी की बीमार हालत बयान करनेवाला, सुभाष को भेजा शरदबाबू का खत पढ़कर दिलीप ने उसे फिर से आय.सी.एस. से इस्तीफा देने के उसके फैसलेपर पुनर्विचार करने के बारे में छेड़ा। लेकिन तब तक मन में उठा अनिश्चितता का कोहरा दूर होकर आगे का मार्ग स्पष्ट रूप से देख रहे सुभाष ने उसे निर्धारपूर्वक ना […]

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नेताजी-३०

नेताजी-३०

तत्कालीन भारतीयों द्वारा स्वर्गीय मानी जानेवाली आय.सी.एस. की नौकरी से सुभाषचंद्र बोस नाम के एक भारतीय युवक ने इस्तीफा  दिया है, यह पता चलते ही इंडिया ऑफिस में खलबली मच गयी। आय.सी.एस. के इतिहास में यह पहली बार हो रहा था। भारतीयों के प्रति हमेशा ग़ुलामी का ऩजरिया ही रखनेवाले अँग्रे़जों की भारतीय हुकूमत की […]

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नेताजी-२९

नेताजी-२९

दासबाबू को लिखे हुए ख़त में आय.सी.एस. में पढ़े अँग्रे़जी, इतिहास, भूगोल, तत्त्वज्ञान, लॉ, संस्कृत इत्यादि विषयों के बारे में संक्षेप में लिखकर, आपके कॉलेज में मैं इन विषयों को पढ़ा सकता हूँ, यह सुभाष ने स्पष्ट किया था; वहीं, दासबाबू नये सिरे से जिस ‘स्वराज्य’ समाचारपत्र की शुरुआत करनेवाले थे, उसकी अँग्रे़जी एड़िशन के […]

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नेताजी-२८

नेताजी-२८

आय.सी.एस. की सनद का स्वीकार न करते हुए देशसेवा करने भारत लौटने के मेरे कुछ अजीबोंग़रीब प्रतीत होनेवाले निर्णय के समर्थन में घरवालों को मनाने की कोशिशों में सुभाष का ख़त  भेजना शुरू ही था कि अचानक मेरा निर्णय ग़लत नहीं है यह यक़ीन उसके मन को दिलानेवालीं कुछ घटनाएँ आसपास के विश्‍व में हो […]

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नेताजी-२७

नेताजी-२७

आय.सी.एस. की सनद का स्वीकार न करने के निर्णय के कारण सुभाष अकेला पड़ चुका है, इसका एहसास उसे शरदबाबू के ख़त से हुआ। लेकिन वह किसी भी बात के बारे में केवल गुणात्मक (‘ओन्ली ऑन इट्स ओन मेरिट’) विचार ही करता था, संख्यात्मक दृष्टि की उसके लिए कोई अहमियत नहीं रहती थी। किसी भी […]

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नेताजी-२६

नेताजी-२६

आय.सी.एस. की सनद को अस्वीकार करने का सुभाष का फैसला सुनते ही भौंचक्का हो चुका दिलीप उसे समझाने लगा कि ऐसा पागलपन मत करो। आय.सी.एस. के अब तक के इतिहास में जो कभी किसी ने नहीं किया है, वह करने की मूर्खता भला तुम क्यों कर रहे हो? पहले सनद का स्वीकार कर भारत तो […]

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नेताजी-२५

नेताजी-२५

सुभाष के दोस्त उसकी इस कामयाबी से काफी  खुश हुए थे और उसके जीवन के भावी पड़ावों के बारे में दिल खोलकर बातें कर रहे थे – ‘अब क्या, सिर्फ प्रोबेशन की कालावधि को पूरा करना, घुड़सवारी जैसीं एकाद-दो परीक्षाओं में पास होना इतना ही बस अब बाक़ी है और घुड़सवारी में तो सुभाष को […]

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