नेताजी – १०४

नेताजी – १०४

हरिपुरा काँग्रेस के अध्यक्षपद पर से किये हुए क्रान्तिकारी भाषण के कारण सुभाषबाबू की पुरोगामी विचारधारा से सभी भली-भाँति परिचित हो ही चुके थे। अब उनके चाहनेवालों में महज़ भारतीय जनता ही नहीं, बल्कि विचारक, छात्र, शास्त्रज्ञ एवं अर्थविशेषज्ञ भी शामिल होने लगे थे। सुभाषबाबू ने अपने भाषण में जिन जिन मुद्दों का ज़िक्र किया […]

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नेताजी- १०३

नेताजी- १०३

हरिपुरा अधिवेशन में अपने प्रागतिक एवं क्रान्तिकारी विचारों से भरे अध्यक्षीय भाषण को समाप्त कर सुभाषबाबू जब अपने आसन पर विराजमान हुए, तब का़फी देर तक तालियों की कड़कड़ाहट को साथ जयघोष के नारे गूँज रहे थे। बूढ़ी माँ-जननी तृप्त दृष्टि से उन्हें निहार रही थीं। गाँधीजी भी कौतुक के साथ उन्हें देख रहे थे। […]

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नेताजी- १०२

नेताजी- १०२

सुभाषबाबू को अपने साथ लेकर शोभायात्रा हरिपुरा में बसायी गयी ‘विठ्ठलभाई पटेल नगरी’ में आ गयी। परिपाटी के अनुसार वहाँ पर ध्वजवन्दन का समारोह हुआ। उस समय भूतपूर्व अध्यक्ष जवाहरलालजी ने अध्यक्षपद के सूत्र सुभाषबाबू को सौंप दिये। उसके बाद सुभाषबाबू ने विश्राम किया। उस दिन देर रात तक रेल्वे द्वारा मुहैया कराये गये डिस्काऊंट […]

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नेताजी-१०१

नेताजी-१०१

११ फरवरी १९३८ को सुभाषबाबू बाँबे मेल से हरिपुरा जाने निकले। सुभाषबाबू इस रेलगाड़ी में स़फर कर रहे हैं, यह ख़बर आगे फैल चुकी थी। अतः वे जहाँ भी जाते, वहाँ लोग अपने इस नवनिर्वाचित ‘राष्ट्रपति’ को देखने के लिए बड़े प्यार से इकट्ठा होते, मार्गदर्शन के तौर पर चार लब्ज़ बोलने का आग्रह उनसे […]

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नेताजी-१००

नेताजी-१००

हरिपुर काँग्रेस अधिवेशन के अध्यक्षपद पर नियुक्त किये जाने की ख़बर सुनने के बाद सुभाषबाबू को सोच-विचार के लिए अब दिन के चौबीस घण्टे भी कम पड़ने लगे थे। १७ जनवरी १९३८ को उन्होंने हवाई जहाज़ का स़फर शुरू किया और प्राग, रोम, नेपल्स, अथेन्स, बसरा रुकते हुए २३ जनवरी को सुभाषबाबू का कराची हवाई […]

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नेताजी – ९९

नेताजी – ९९

आख़िर सन १९३७ के अन्त में सुभाषबाबू को इंग्लैंड़ जाने की अनुमति मिल ही गयी और उन्हें इस बात की काफी खुशी हुई। जिसे हासिल करने के लिए पिछले युरोप वास्तव्य में काफी पसीना बहाने के बावजूद भी जो उन्हें नहीं मिल सकी थी, वह अब उन्हें इस तरह बड़ी आसानी से मिल गयी।अब वे […]

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नेताजी-९८

नेताजी-९८

पाँच साल की खींचातानी के बाद आख़िर १७ मार्च १९३७ को सुभाषबाबू को गिऱफ़्तारी एवं स्थानबद्धता इनके सिलसिले से बिनाशर्त मुक्त कर दिया गया। अब वे आज़ाद थे। कोलकाता की जनता ने उस दिन को किसी त्योहार की तरह मनाया। भारतीय स्वतन्त्रतासंग्राम में पुनः सक्रिय बनने के लिए सुभाषबाबू की भुजाएँ फड़क रही थीं। उनका […]

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नेताजी-९७

नेताजी-९७

सुभाषबाबू की बीमारी के ज़ोर पकड़ने के बावजूद भी सरकार उनके प्रति अड़ियल रवैया अपनाकर उन्हें रिहा करना नहीं चाहती है, यह देखकर उनकी गिऱफ़्तारी के खिला़फ छिड़ चुका जन-आन्दोलन दिनबदिन उग्र स्वरूप धारण करने लगा। उनकी सेहत को का़फी नाज़ूक हो ही चुकी थी और साथ ही उनका वज़न भी तेज़ी से घट रहा […]

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नेताजी- ९६

नेताजी- ९६

आन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका प्रस्तुत करने का कार्य युरोप में सन्तोषपूर्वक चल रहा है, यह देखकर अब सुभाषबाबू के मन में भारत लौटने की आस जागृत हुई। यह सारा कार्य शारीरिक पीड़ा से व्यथित रहने के बावजूद भी उन्होंने केवल स्वयं के प्रचण्ड मनोबल से किया था। इस कार्य के लिए किसी से […]

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नेताजी-९५

नेताजी-९५

जवाहरलालजी की मुश्किल की घड़ियों में उनका साथ निभाकर सुभाषबाबू फिर से आराम के लिए कार्ल्सबाड लौटे। वहाँ के गरम पानी के झरनों के कारण उनके स्वास्थ्य में अब तेज़ी से सुधार आने लगा। लेकिन तीन-चार महीनों में ही उन्हें ख़बर मिली कि कमला नेहरूजी की तबियत काफी बिगड़ गयी है। इसलिए भारत में कारावास […]

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