अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने की तालिबान से चर्चा

वॉशिंग्टन – अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने सोमवार के दिन तालिबान से चर्चा करने की बात सामने आयी है। कतार में स्थित तालिबान के प्रवक्ता सोहेल शाही ने यह जानकारी प्रदान की। इस चर्चा के दौरान तालिबान ने अफ़गानिस्तान की सरकार के हिरासत में होनेवाले 400 से अधिक बंदियों की रिहाई का मुद्दा उपस्थित किया है, यह जानकारी तालिबान के प्रवक्ता ने साझा की। अमरिकी विदेशमंत्री ने तालिबान के साथ चर्चा करने का यह बीते दो महीनों में दूसरा अवसर है।

America-Talibanकुछ दिन पहले आतंकी ‘आयएस’ संगठन ने अफ़गानिस्तान के जलालाबाद में स्थित जेल पर हमला किया था। इसी जेल में ‘आयएस’ एवं तालिबान के आतंकियों को रखा गया था। इस हमले के दौरान कुछ आतंकी भाग निकलने की बात कही जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी विदेशमंत्री ने तालिबान से की हुई चर्चा ध्यान आकर्षित कर रही है।

विदेशमंत्री पोम्पिओ ने सोमवार के दिन कतार में तालिबानी के उपनेता के तौर पर जाने जा रहे मुल्लाह अब्दुल गनी बरदार के साथ वीडियो कान्फरन्सिंग के माध्यम से चर्चा की। इस चर्चा में तालिबान ने अफ़गान सरकार के हिरासत में होनेवाले 400 से अधिक कैदियों की रिहाई का मुद्दा उपस्थित किया। अफ़गानिस्तान की सरकार और अन्य संबंधितों से चर्चा शुरू करने के मुद्दे पर भी बातचीत होने की जानकारी तालिबान के प्रवक्ता ने साझा की। अमरिकी विदेश विभाग ने सोमवार के दिन हुई इस चर्चा पर कोई भी बयान या निवेदन जारी नहीं किया है।

कतार स्थित दोहा में 9 फ़रवरी के दिन तालिबान और अमरीका के बीच शांति समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार तालिबान ने अफ़गानिस्तान में जारी हमले बंद करने की बात स्वीकारी थी। तब अमरीका ने अपने सैनिकों को पीछे हटाने की तैयारी दिखाई थी। अमरीका और तालिबान में हुए समझौते में शामिल ना होने के बावजूद अफ़गानिस्तान की सरकार ने तालिबान के पांच हज़ार बंदियों को रिहा करने के लिए मंजूरी दी थी। तालिबान ने अफ़गानिस्तान की सरकार से संबंधित एक हज़ार लोगों को रिहा करने की शर्त स्वीकार की थी।

America-Talibanइसके अनुसार अफ़गानिस्तान की सरकार ने अब तक तालिबान के करीबन 4.5 हज़ार बंदियों को रिहा किया है। लेकिन, अन्य कैदी बम विस्फोट और आतंकी हमलों जैसे गंभीर अपराधिक मामलों में शामिल होने का दावा करके राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने इनकी रिहाई से इन्कार किया है। यह मुद्दा अफ़गान सरकार और तालिबान में संभावित शांति वार्ता के बीच अड़ंगा साबित हुआ है। इससे तालिबान ने अब इसी मुद्दे पर जोर देना शुरू किया है और अमरीका के सामने भी इसी से संबंधित माँग रखने की बात सोमवार के दिन हुई चर्चा से सामने आयी है।

बीते महीने में तालिबान के साथ हुई चर्चा में अमरिकी विदेशमंत्री ने बढ़ रही हिंसा के मुद्दे पर इशारा दिया था। तालिबान 29 फ़रवरी के दिन किए शांति समझौते का पालन करे और अफ़गानिस्तान में अमरिकी नागरिकों पर हमले ना करे, यह इशारा भी अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने दिया था। पोम्पिओ ने तालिबान को शांति समझौते के दौरान तय किए गए शर्तों की याद भी दिलाई थी। इसके कुछ दिन बाद ही अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने अफ़गानिस्तान में तालिबान की हिंसा में बढ़ोतरी होने की बात कबूल की थी। अमरीका और तालिबान में हुए शांति समझौते के बाद तालिबान ने की हुई हिंसा में मारे गए या घायल हुए लोगों की संख्या 10 हज़ार होने की जानकारी भी राष्ट्राध्यक्ष गनी ने साझा की थी।

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