अफगानिस्तान में होने वाला संघर्ष सीरिया से भी भयानक होगा – विश्लेषक और अभ्यास समूहों का दावा

काबुल: अफगानिस्तान के फराह प्रान्त में तालिबानी आतंकवादियों ने अफगानी लष्कर पर किए हमले में ३७ लोगों की जान गई है, जिसमें २९ सैनिकों का समावेश है। तालिबान और आईएस के हमलों की घटनाओं में हुई यह बढ़ोत्तरी चिंताजनक है और अफगानिस्तान में शुरु यह संघर्ष सीरिया से भी अधिक भयानक साबित होगा, ऐसा दावा अमरिका के विश्लेषक और अभ्यास समूहों ने किया है।

राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने दी शांति चर्चा के प्रस्ताव को ठुकराकर तालिबानी आतंकवादियों ने अफगानिस्तान में हमले जारी रखे हैं। अफगानिस्तान के एक तिहाई भूभाग पर तालिबान का वर्चस्व है और अफगानी पुलिस और सैनिक इन आतंकवादियों के निशाने पर हैं, ऐसा पिछले कुछ महीनों में हुए हमलों से पता चलता है। पिछले कुछ महीनों में तालिबान ने अफगानिस्तान में किए जाने वाले हमलों में बढ़ोत्तरी की है।

अफगानिस्तान, संघर्ष, सीरिया, भयानक होगा, विश्लेषक, अभ्यास समूहों, दावा, काबुल, तालिबान, आईएसअफगानिस्तान का संघर्ष सत्रहवे साल में पहुंचा है और तालिबान विरोधी संघर्ष अभी तक खत्म नहीं हुआ है। उल्टा अफगानिस्तान के संघर्ष में मारे जाने वालों की संख्या हर वर्ष बढती जाने का दावा ‘यूनाइटेड स्टेटस इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस’ (युएसआईपी) इस अध्ययन समूह के विश्लेषक जॉनी वॉल्श ने किया है। सीरिया में आतंकवादी संगठनों का प्रभाव कम हो गया है और वहां का संघर्ष खत्म होने जा रहा है, ऐसा दावा वॉल्श ने किया है।

उसीके साथ ही इस साल अफगानिस्तान का संघर्ष सीरिया से भी अधिक भीषण है, ऐसा ‘इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप’ के सलाहकार ग्रैमी स्मिथ ने कहा है। सन २०१८ में तालिबान के हमलों में २० हजार से अधिक लोगों के मारे जाने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही अफगानिस्तान के संघर्ष में मारे गए अफगानी जवानों की निश्चित जानकारी सामने नहीं लाइ गई है। इस साल में सीरिया के संघर्ष में १५ हजार से अधिक लोगों की जान जा सकती है। पिछले वर्ष भी अफगानिस्तान में लगभग २० हजार लोगों की जान गई थी। इस वजह से अफगानिस्तान का संघर्ष सीरिया से भी खतरनाक होने का दावा स्मिथ में किया है।

तालिबान के इस बढ़ते प्रभाव के लिए सन २०१४ में अफगानिस्तान से नाटो के लष्कर की वापसी यही वजह है, ऐसा ‘अपसैल कंफ्लिक्ट डाटा प्रोग्राम’ (युसीडीपी) इस स्वीडन स्थित अध्ययन समूह ने कहा है। अमरिका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने भी अफगानिस्तान से सेना को वापस बुलाने की घोषणा की थी। सेना की इस वापसी की वजह से अफगानिस्तान की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई पर असर होगा, ऐसा कहा जा रहा था। लेकिन इस बात को नजरअंदाज करके ओबामा सेना की वापसी पर कायम रहे। लेकिन पिछले वर्ष अमरिका के विद्यमान राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान से सेना की वापसी रद्द करके आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के लिए ‘सीआईए’ को अतिरिक्त अधिकार दिए थे।

दौरान, अमरिका ने अफगानी लष्कर की सहायता से तालिबान और आईएस के खिलाफ संघर्ष शुरू किया है। लेकिन इन आतंकवादियों को विदेश से सहायता मिलने का आरोप अफगान सरकार और अमरिका कर रहा है। पाकिस्तानी लष्कर से तालिबान को समर्थन मिलने का आरोप अफगान सरकार ने लगाया है। रशिया भी अफगानिस्तान के आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति करता है, ऐसे आरोप अमरिका के अधिकारियों ने किए थे।

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