‘….तो रशिया अफगानिस्तान में सैनिकी हस्तक्षेप करेगा’ : पाकिस्तान की अमरीका को चेतावनी

इस्लामाबाद, दि. ७ : अफगानिस्तान में ‘आयएस’ और तालिबान का प्रभाव ऐसे ही बढ़ता रहा, तो रशिया अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किए बिना चुप नहीं बै़ठेगा, ऐसी चेतावनी पाकिस्तान ने अमरिकी लष्करी अधिकारियों को दी है| एक पश्‍चिमी देश के दैनिक के पास पाकिस्तानी लष्कर के सूत्रों ने इस संदर्भ की जानकारी ज़ाहिर की| अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहगार जेमस् मॅटिस और अफगानिस्तान स्थित अमरिकी सेना के प्रमुख जनरल जॉन निकोल्सन के साथ पाकिस्तान इस संदर्भ में चर्चा कर रहा है, ऐसा दावा इस दैनिक ने किया है|

रशिया अफगानिस्तानसिरिया में लष्करी हस्तक्षेप करके रशिया ने इस देश की अस्साद हुकूमत को बचाया था| अफगानिस्तान में भी रशिया दखलअंदाजी कर सकता है| अफगानिस्तान में ‘आयएस’ और तालिबान का बढ़ता प्रभाव हमारी सुरक्षा के लिए खतरेमंद साबित हो सकता है, यह वजह बताकर रशिया अफगास्तिान में कार्रवाई करेगा, ऐसा पाकिस्तानी सेना का कहना है| अमरीका ने अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण प्रस्थापित कर ‘आयएस’ और तालिबान को रोकना चाहिए, ऐसी माँग पाकिस्तान की ओर से की जा रही है| फिलहाल अफगानी सेना तालिबान के सामने बेअसर होती दिखाई दे रही है, इस बात को अफगानिस्तान स्थित अमरिकी सेना के जनरल निकोल्सन ने मान लिया था| लेकिन अफगानी सेना का प्रदर्शन  इस से भी खराब है, ऐसा दावा पाकिस्तानी सेना के अधिकारी कर रहे हैं|

अफगानिस्तान की सेना की संख्या ३ लाख ५० हजार है| लेकिन इनमें से केवल २० हजार सैनिक ही लड़ने के क़ाबिल हैं| अफगानी सेना में अधिकारियों की संख्या एक हजार है, लेकिन इन अधिकारियों का चयन उनकी क्षमता और काबिलियत पर नहीं, बल्कि अफगानी गुटों में उनका जो स्थान है, उसी के आधार पर हुआ है| ऐसे हालातों में, अफगानी सेना आतंकवादियों का सामना नहीं कर सकती, ऐसा दावा पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने किया है| इसीलिए अमरीका पर जिम्मेदारी बढ़ी है, ऐसा कहते हुए, अमरीका को चाहिए कि वह आयएस और तालिबान को रोकें, ऐसा इस अधिकारी ने कहा|

‘अमरीका यदि यह ज़िम्मेदारी नहीं उठाती, तो रशिया अफगानिस्तान में हस्तक्षेप करेगा’ यह पाकिस्तान की चेतावनी नहीं, बल्कि धमकी है ऐसा दिखाई दे रहा ह| वास्तविक पाकिस्तान ही अफगानिस्तान में आतंकवादी कारनामें करने के लिए तालिबान को पूरी तरह सहायता कर रहा है|

लेकिन ‘अफगानिस्तान की भूमि में ‘आयएस’ और ‘तेहरिक-ए-तालिबान’ के आतंकवादी है और इन आतंकवादियों पर अफगानी सेना और अमरीका ने कारवाई करनी चाहिए’ ऐसी उम्मीद पाकिस्तान जता रहा है| ‘इन्हीं आतंकवादियों की वजह से हमारी भूमि में आतंकी हमले किए जा रहे हैं’ ऐसा पाकिस्तान का कहना है|

पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान की मीडिया में, रशिया और पाकिस्तान के बीच के सहयोग का पुरस्कार किया जा रहा है, ऐसा दिखाई दे रहा है| रशिया ने भी पिछले महीने में अफगानिस्तान कें संदर्भ में परिषद का आयोजन किया था| साथ ही रशिया ने तालिबान के साथ चर्चा शुरू की थी ऐसा स्पष्ट हुआ था| लेकिन यह चर्चा सिर्फ ‘आयएस’ को रोकने तक सीमित थी, ऐसा खुलासा रशिया की ओर से किया जा रहा है| अफगानिस्तान में ‘आयएस’ ने यदि अपनी जड़ें मज़बूत कीं, तो उसे उसके भयानक परिणाम सहन करने पड़ सकते हैं और इस वजह से रशिया अस्थिर हो सकता है, यह डर रशिया को सता रहा है| इसी वजह से रशिया ‘आयएस’ को रोकने के लिए अफ़गानिस्तान में लष्करी हस्तक्षेप करेगा, इस ओर पाकिस्तान अमरीका का ध्यान खींच रहा है|

पिछले कुछ हप्तों से, अमरीका के ट्रम्प प्रशासन ने, आतंकवाद के प्रति रहनेवाली पाकिस्तान की दोमुँही नीति की वजह से पाकिस्तान पर निशाना साधा है और अमरिकी सिनेटर्स ने पाकिस्तान को दी जा रही मदद रोकने की माँग की है| इस पृष्ठभूमि पर पाकिस्तान ‘अफगानिस्तान में रशिया की सहायता करके अमरीका को मात दे सकता है’ यह संदेश देने की तैयारी में है| पाकिस्तानी सेना के सूत्रों द्वारा किया गया दावा इसी का हिस्सा है ऐसा दिखाई दे रहा है| लेकिन फिलहाल तो पाकिस्तान के इस दबावतंत्र का अमरीका की नीति पर परिणाम होने की संभावना नहीं है|

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