‘पीओके’ में ‘काला दिन’; पाकिस्तानी सेना को ‘पीओके’ से हटाने की प्रदर्शनकर्ताओं की माँग

मुझ्झफराबाद, दि. २३ (पीटीआय)- सन १९४७ में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में किये आक्रमण की याद दिलानेवाले दिन के तौर पर, ‘पीओके’ के लोगों ने शनिवार को ‘काला दिन’ मनाया| इस वक्त गिलगिट-बाल्टिस्तान समेत पूरे ‘पीओके’ में से पाकिस्तान अपनी सेना को हटायें, यह माँग करते हुए प्रदर्शन किये गये|

‘काला दिन’‘युनायटेड कश्मीर पीपल्स नॅशनल पार्टी’ (युकेपीएपी) ने इन प्रदर्शनों का आयोजन किया था| २२ अक्तूबर यह दिन पाकिस्तान के इतिहास में ‘काला दिन’ है, यह ‘युकेपीएपी’ के नेता झामील मसूद ने कहा| ‘पाकिस्तान इस इलाके में चलायी छुपी जंग बंद करें और भारत के साथ बातचीत करने को प्राथमिकता दें’ यह माँग मसूद ने की है| पाकिस्तान अपनी सेना को इस इलाके से हटा दें, यह चेतावनी भी मसूद ने दी है|

इस समय, बाकी नेताओं और प्रदर्शनकर्ताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ़ नाराज़गी जतायी गयी| ‘पाकिस्तान ने ‘पीओके’ और ‘गिलगिट-बाल्टिस्तान’ प्रांत जबरदस्ती से कब्ज़े में कर लिये हुए हैं और आंतर्राष्ट्रीय समुदाय तथा मानवी अधिकारों के लिए लड़नेवाले सामाजिक संगठनों द्वारा पाकिस्तान पर, सैनिक पीछे हटाने के लिए दबाव डाला जाना चाहिए’ ऐसा ‘युकेपीएपी’ के नेता अफ्ताफ खान ने कहा|

पाकिस्तान तथाकथित ‘आज़ाद कश्मीर’ का इस्तेमाल सिर्फ अपने व्यूहरचनात्मक संबंधो के लिए कर रहा है| इधर मानवी हक के लिए कोई जगह नहीं है| इस इलाके में काफी ‘नॉन स्टेट ऍक्टर्स’ प्रशिक्षण लेते हैं और उनको पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों का अभय है, यह इल्ज़ाम भी खान ने लगाया|

पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्ताव का पालन करते हुए ‘पीओके’ से अपने सैनिक वापस ले लें, यह माँग ‘युकेपीएपी’ के एक और नेता नाझीर अझीज खान ने की| सिर्फ ‘पीओके’ में ही नहीं, बल्कि ब्रिटनसमेत युरोप के बाकी शहरों में भी ‘युकेपीएपी’ द्वारा ऐसे ही प्रदर्शन आयोजित किये गये थे| इससे, कश्मीर का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करते हुए भारत को दिक्कत में डालने की पाकिस्तान की कोशिशों को ज़बरदस्त झटका लगते हुए दिखाई दे रहा है|

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