‘ब्रेक्झिट की वजह से ‘ब्रिटन-चीन’ के बीच व्यापार के नये अवसर’ : चीन के भूतपूर्व ‘बँकर’ का दावा

बीजिंग, दि. २७ : ‘ब्रेक्झिट के बाद चीन और ब्रिटन में मुक्त व्यापार के लिये नया मार्ग खुला हो जायेगा| वर्तमान में ब्रिटन युरोपीय महासंघ की सबसे खुली बाज़ारपेठ है| ब्रेक्झिट के बाद चीन और ब्रिटन में व्यापार और भी खुला हो सकता है| खास तौर पर आर्थिक सेवा के क्षेत्र में ज़्यादा अवसर है’ ऐसा दावा चीन के ‘एक्झिम बैंक’के भूतपूर्व प्रमुख ली रुओगु ने किया| पिछले सालभर में ब्रिटन और चीन इन दोनो देशों में नज़दीकियाँ बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं| ब्रिटन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने सन २०१६ में की चीन यात्रा में द्विपक्षीय सहकार्य का ‘सुवर्णयुग’ शुरू होने का भरोसा दिलाया था|

‘ब्रिटन-चीन’चीन के हैनान प्रांत में ‘बीएओ फोरम’ की बैठक शुरू है| इस बैठक में हुए एक परिसंवाद के दौरान चीन के भूतपूर्व बैंकर ली रुओगो ने ब्रिटन और चीन के बढ़ते सहयोग की पुष्टि की| ‘चीन में आर्थिक विकास का नया पड़ाव शुरू हो रहा है, इसके अंतर्गत सरकारी उपक्रमों की पुनर्रचना और बाज़ारपेठ में सुधार लाने को प्राथमिकता दी है| इसके कारण आर्थिक क्षेत्र में ब्रिटन के साथ नया अवसर उपलब्ध होने के आसार हैं, ऐसा रुओगो ने कहा|

ब्रिटन यह क्षेत्रफल से और आबादी के मामले में बड़ा देश ना होकर भी, आर्थिक सेवा क्षेत्र में अन्य देशों की तुलना में सबसे आगे होने का दावा चीन के इन पूर्व बैंकर ने किया| चीन की महत्त्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट, वन रोड’ योजना में ब्रिटन भी शामिल है, ऐसा कहकर, ‘यह योजना दोनों देशों के बीच सहयोग अधिक बढ़ाने के लिए उपयुक्त साबित होगी’ ऐसा भरोसा रुओगो ने दिलाया| चीन के अधिकारी द्वारा किये बयानों पर, परिसंवाद में उपस्थित अन्य लोगों ने भी सहमति दर्शायी है, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी|

‘ब्रिटन-चीन’दो साल पहले चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने ब्रिटन यात्रा की थी| इस यात्रा में जिनपिंग का शाही स्वागत किया गया था| ब्रिटन द्वारा चिनी राष्ट्राध्यक्ष को दिया गया ‘रेड कार्पेट’ और राजघराने द्वारा हुई उनकी मेहमाननवाज़ी यह चर्चा का विषय बना था| युरोपीय महासंघ और चीन में कई मसलों पर तनाव रहते समय, ब्रिटन द्वारा चीन को दिया जाने वाला सम्मान ग़ौरतलब साबित हुआ| इसके बाद ब्रिटन और चीन के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं, यह कई घटनाओं से दिखाई दे रहा है| इतना ही नहीं, बल्कि इसके लिये दोनों देशों ने खास प्रयास भी शुरू किये हैं|

ब्रिटन ने चीन की पहल से शुरू हुए ‘एआयआयबी’ इस बैंक की सदस्यता का स्वीकार किया था| वहीं, चीन ने युआन चलन के रोख व्यवहार के लिये प्रमुख केंद्र बतौर लंडन का चयन किया था| चीन और ब्रिटन के दौरान पिछले सालभर में लगभग ४० अरब पौंड से अधिक मूल्यों के द्विस्तरीय व्यापारी तथा निवेशसंबंधित समझौते हुए हैं| इसके साथ ही, साल की शुरूआत में चीन ने माल यातायात के लिये शुरू की खास रेल्वेसेवा के अंतर्गत एक मालगाड़ी ब्रिटन में दाखिल हुई थी|

ब्रिटन के ‘ग्रँट थार्टन’ इस अभ्यासगुट ने जारी किये एक अहवाल में, ब्रिटन में कार्यरत रहनेवालीं चिनी कंपनियों के महसूल में करीब तीन प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई, ऐसा कहा गया है| ब्रिटन में फिलहाल चिनी मालिक़ियत वालीं २८० कंपनियाँ कार्यरत हैं, ऐसा रिपोर्ट में दर्ज किया गया है| इस पृष्ठभूमि पर, चीन की ‘गीलि’ इस वाहननिर्माण करने वाली कंपनी ने ब्रिटन में करीब ३० करोड़ पौंड निवेश का ऐलान करने की बात भी सामने आयी है|

दूसरी तरफ ब्रिटन ने चीन से नजदीकियाँ बढ़ाने की तेज़ी से शुरुआत की है| इस महीने की आखिर में ब्रिटन के अग्रसर अभ्यासगुट ‘रॉयल इन्स्टिट्यूट’ ने ‘चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ में ब्रिटन को शामिल किये जाने के मामले में एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया है| उसी समय, ब्रिटन सरकार और ‘मेरिटाईम युके’ के द्वारा चीन में पहली ही बार व्यापारी प्रतिनिधिमंडल भेजा जाने वाला है| ब्रिटन की ‘लैकेस्टर युनिवर्सिटी’ ने चीन के पंजिन शहर में ‘कैम्पस’ शुरू करने का ऐलान किया| वहीं, ब्रिटन के जानेमाने उद्योजक सर जेम्स डायसन ने एक कार्यक्रम में, ब्रिटीश उद्योग को युरोप के बाहर ज्यादा अवसर उपलब्ध होने का दावा किया होकर, इसमें चीन का विशेष ज़िक्र किया है|

ब्रिटन सरकार और उद्योगक्षेत्र भले ही चीन से नजदीकियाँ बढ़ाने के लिये जानतोड़ प्रयास कर रहे हों, लेकिन युरोप और दुनिया के अन्य इलाकों में गँवाया हुआ व्यापार चीन की सहायता से प्राप्त होगा, ऐसे भ्रम में ब्रिटन ना रहें, ऐसी चेतावनी ब्रिटन के भूतपूर्व अधिकारी ने तथा विश्‍लेषकोंने दी है|

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