जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान में बहनेवाले पानी पर भारत के चार सिंचाई प्रकल्प

नई दिल्ली/श्रीनगर, दि. २३ (पीटीआय) – पाकिस्तान में बह जानेवाले पानी में से अधिक से अधिक पानी जम्मू-कश्मीर में सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने की दिशा में भारत सरकार ने काम शुरू किया है| जम्मू-कश्मीर में चार प्रकल्प हाथ में लिये गये होकर, ये प्रकल्प जल्द ही पूरे हो जायेंगे| उरी में आतंकी हमले के बाद ‘सिंधू जलवितरण समझौते’ पर फिर से एक बार सोचने के संकेत भारत ने दिये थे| इस पृष्ठभूमि पर इन प्रकल्पों का काम हाथ में लिया गया है|

जम्मू-कश्मीरउरी हमले के बाद ‘पानी और खून एकसाथ बह नहीं सकते’, इन शब्दों में भारत ने पाकिस्तान को खरी खरी सुनायी थी| साथ ही, भारत में आतंकी हमले करनेवाले आतंकी संगठन और उनके नेताओं पर पाकिस्तान कार्रवाई करें, ऐसी सीधी माँग भारत ने पाकिस्तान के पास की थी| लेकिन आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के मसले पर घेरा जाने के बावजूद भी पाकिस्तान ने आतंकवादियों को बचाने की नीति छोड़ी नहीं है| इस पृष्ठभूमि पर, इसके आगे पाकिस्तान के बारे में किसी भी प्रकार की राहत नहीं दिखाई जाएगी ऐसे संकेत, जम्मू-कश्मीर में हाथ में लिए प्रकल्पों के द्वारा भारत दे रहा है|

फिलहाल भारत ने चार प्रकल्प हाथ में लिये हैं| इनमें पुलवामा के ‘त्राल सिंचाई प्रकल्प’, कारगील में ‘प्रकाचिक खोस नहर’, जम्मू के सांबा और कथुआ में मुख्य ‘रावी नहर’ के पुनर्जीवन और आधुनिकीकरण और अन्य प्रकल्प शामिल हैं| ये तीनों प्रकल्प मार्च तक पूरे करने का लक्ष्य सामने रखा गया है| इन तीनों प्रकल्पों का काम ते़ज़ी से शुरू किया गया है| इसके अलावा ‘राजपोरा लिफ्ट इरिगेशन’ प्रकल्प अगले दो साल में पूरा किया जाएगा|

पहले तीन प्रकल्पों की वजह से १.४५ लाख एकर जमीन पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल की जाएगी| इसी तरह ‘राजपोरा लिफ्ट इरिगेशन’ प्रकल्प की वजह से ५९ हजार ३०५ एकर जमीन सिंचाई के लिए इस्तेमाल की जाएगी| ‘सिंधू जलवितरण समझौते’ के तहत भारत जितना पानी इस्तेमाल कर सकता है, उसी में जम्मू-कश्मीर राज्य में १३ लाख एकर जमीन पानी के नीचे आएगी| लेकिन भारत ने यह पानी अबतक इस्तेमाल किया नहीं| इसलिए यह पानी पाकिस्तान में बहकर जा रहा था| लेकिन अब ज़्यादा से ज़्यादा पानी की बचत होनेवाला है|

‘जम्मू-कश्मीर में छह नदियों का पानी अन्य प्रकल्पों द्वारा रोककर, वहाँ की ज़्यादा से ज़्यादा ज़मीन सिंचाईं में लाने की योजना सरकार ने बनायी है| इससे पहले सिंधू, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलज इन नदियों का अधिकतम पानी पाकिस्तान में बहकर जाता था| इन नदियों के पानी पर पाकिस्तान की ८० प्रतिशत खेती और पीने के पानी की व्यवस्था आधारित है| इस वजह से, इन प्रकल्पों के ज़रिये यदि भारत द्वारा पीने के पानी का अधिकाधिक इस्तेमाल किया गया, तो पाकिस्तान को मिलनेवाले पानी पर मर्यादा आनेवाली है| इस कारण पाकिस्तान में सूखा पड़ सकता है| पाकिस्तान में अराजकता मच सकती है, ऐसा डर विशेषज्ञ जता रहे हैं|

इसलिए पाकिस्तान बहोत डरा हुआ है| पाकिस्तान पर आ रहा दबाव, पिछले कुछ दिनो से पाकिस्तान से आनेवालीं धमकियों से साफ दिखाई दे रहा है| भारत ‘सिंधु जलवितरण समझौता’ एकतरफ़ा फ़ैसला करके तोड़ नहीं सकता| भारत ने यदि ऐसा किया तो उसे ‘युद्ध की घोषणा’ माना जायेगा, ऐसा पाकिस्तान ने कहा था| भारत ने यदि ‘सिंधु जलवितरण समझौते’ का भंग किया, तो पाकिस्तान उसके खिलाफ़ उचित दिशा में कार्रवाई करने से नहीं हटेगा, ऐसी धमकी पिछले ही हफ्तें पाकिस्तान द्वारा दी गई थी|

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