परमाणु समझौते के मुद्दे पर अमरीका और ईरान की एक-दूसरे को चेतावनी – अप्रत्यक्ष चर्चा जारी होने का अमरिकी सुरक्षा सलाहकार का दावा

वॉशिंग्टन/तेहरान – ईरान के परमाणु समझौते को लेकर वास्तव में गंभीर है तो, अमरीका को पहले ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने होंगे और वर्ष २०१५ में किए गए परमाणु समझौते का पालन करना होगा’, ऐसा इशारा ईरान ने फिर से दिया है। कुछ भी किए बगैर हम परमाणु समझौते में शामिल हो सकेंगे, यह धारणा यदि ईरान ने रखी है तो वह गलत है, यह बयान अमरिकी विदेश मंत्रालय ने किया था। इस पर ईरान ने यह प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। अमरीका और ईरान ने परमाणु समझौते को लेकर एक-दूसरे पर ज़िम्मेदारी थोपना शुरू किया है और ऐसे में ईरान के साथ परमाणु समझौते पर गंभीरता से चर्चा करने के लिए मात्र दस हफ्तों का समय शेष बचा है। क्योंकि, इसके बाद ईरान में चुनाव होंगे, ऐसा इशारा अमरीका के पूर्व ऊर्जामंत्री ने दिया है।

iran-usअमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने परमाणु समझौते के मुद्दे पर ईरान के साथ अप्रत्यक्ष चर्चा शुरू होने की बड़ी अहम जानकारी प्रदान की। यूरोपिय एवं अन्य मध्यस्थों के ज़रिये ईरान के साथ परमाणु समझौते पर बातचीत जारी है। इसके द्वारा अमरीका की भूमिका ईरान तक पहुँचाई जा रही है, यह दावा सुलिवन ने किया। यह अप्रत्यक्ष चर्चा जारी होते हुए अमरीका और ईरान ने एक-दूसरे को सख्त शब्दों में चेतावनी देकर अंतरराष्ट्रीय माध्यमों का ध्यान आकर्षित किया हुआ दिख रहा है। अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने यह इशारा दिया है कि, परमाणु समझौते को लेकर ईरान गलतफहमी में ना रहे।

ईरान ने परमाणु समझौते का पालन किए बगैर ईरान के साथ परमाणु समझौता करने के लिए अमरीका शामिल नहीं होगी। यह परमाणु समझौता करने के लिए हमें किसी भी शर्त का पालन करना नहीं होगा, इस गलतफहमी में ईरान ना रहे। इस परमाणु समझौते को लेकर अमरीका एकतरफा निर्णय नहीं करेगी। इसके लिए ईरान को उचित दिशा में कोशिश करनी ही होगी, यह संदेश भी नेड प्राईस ने दिया है। इस पर जवाब में ईरान के विदेशमंत्री ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। ईरान के विदेशमंत्री जवाद ज़रिफ ने यूरोपिय महासंघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल को दिए खत की जानकारी ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रदान की। इस खत में परमाणु समझौते को लेकर अमरीका से जो उम्मीदें हैं वे ईरान के विदेशमंत्री ने स्पष्ट तौर पर रखी हैं।

iran-usअमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के दौरान परमाणु समझौते से पीछे हटकर समझौते का उल्लंघन किया था। अमरीका परमाणु समझौते को लेकर गंभीर हो तो पहले इस गलती को सुधारके परमाणु समझौते का पालन करने के लिए पहला कदम अमरीका उठाए, यह माँग ईरान के विदेशमंत्री ने इस खत के ज़रिये कही है। वर्ष २०१५ में हुए परमाणु समझौते में ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने की बात स्वीकारी गई थी। इसका दाखिला भी ईरान द्वारा दिया जा रहा है। प्रतिबंध हटाए बगैर परमाणु समझौता मुमकिन ना होने की भूमिका ईरान ने अपनाई है। वहीं, ईरान निर्धारित सीमा से बाहर जाकर यूरेनियम का संवर्धन करके परमाणु समझौते का उल्लंघन कर रहा है, यह आरोप लगाया जा रहा है। पहले ईरान यह उल्लंघन बंद करे, यह माँग अमरीका कर रही है। इस वजह से फिलहाल परमाणु समझौते के मुद्दे पर अमरीका और ईरान खुलेआम समझौता करने के लिए तैयार ना होने की बात दिखती है।

iran-usदोनों देश भले ही ऐसे दावे कर रहे हों, लेकिन परमाणु समझौते के मसले पर दोनों देशों की अप्रत्यक्ष बातचीत जारी होने की बात कहकर अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इसे अलग ही मोड़ दिया है। इस समझौते की सफलता या विफलता पर ही ईरान के परमाणु समझौते का भविष्य तय होगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसी बीच वर्ष २०१५ में परमाणु समझौता करने में अहम भूमिका निभानेवाले अमरीका के पूर्व ऊर्जामंत्री अर्नेस्ट मोनिज ने इस परमाणु समझौते पर गंभीर चर्चा करने के लिए मात्र दस हफ्तों का समय शेष होने का दावा किया।

इन दस हफ्तों के बाद ईरान में चुनाव होंगे। उससे पहले परमाणु समझौते को लेकर सहमति नहीं हुई तो ईरान में नई सरकार बनने के बाद नए से चर्चा शुरू करनी पड़ेगी, यह दावा मोनिज ने किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.