ईरान के परमाणु समझौते को लेकर अमरीका और युरोपीय दोस्तराष्ट्रों में मतभेद

लंडन, दि. २२ : अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, ईरान पर लगाये हुए प्रतिबंधों और परमाणु समझौता तोड़ने के बारे में संकेत देने के बाद अमरीका और युरोपीय देशों के बीच मतभेद बढ़े हैं, ऐसा दिखाई देता है| अमरीका ईरान के साथ परमाणु समझौता ना तोड़ें, ऐसा आवाहन युरोपीय देशों ने किया| लेकिन यह माँग ठुकराते हुए अमरीका ने ईरान पर और भी नये प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है|

परमाणु समझौतादस दिन पहले राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, ईरान पर नये प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी| ईरान ने प्रक्षेपास्त्र परीक्षण लेते हुए आंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों की मर्यादा भंग की, ऐसी आलोचना अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने की थी| ईरान पर लदे इन प्रतिबंधों को हफ़्ता भी नहीं हुआ थी कि तभी अमरिकी सिनेट के वरिष्ठ सदस्यों ने भी ईरान पर और प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है| इसके अलावा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, ‘सन २०१५ में ईरान के साथ किया परमाणु समझौता यह सबसे बड़ी भूल थी’ ऐसा कहा था| साथ ही, ‘अमरीका इस परमाणु समझौते से पीछे हटेगी’ ऐसी घोषणा भी अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने की थी|

परमाणु समझौतालेकिन युरोप के अधिकांश नेताओं ने, ईरान के साथ किए परमाणु समझौते का जोर-शोर से समर्थन किया है| संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षापरिषद द्वारा किए गए इस परमाणु समझौते का राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प आदर करें, ऐसा आवाहन युरोपीय देशों द्वारा किया जा रहा है| लेकिन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष इस परमाणु समझौते को तोड़ने पर अड़िग हैं| इस्रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू के साथ हुई चर्चा में भी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, ईरान के परमाणु समझौते से पीछे हटने के संकेत दिए थे| वहीं, अमरीका यदि परमाणु समझौते से पीछे हटी, तो ईरान फिर से परमाणु कार्यक्रम शुरू कर सकता है, ऐसी चेतावनी युरोपीय देश दे रहे हैं|

अमरीका ने यदि ईरान के साथ हुआ परमाणु समझौता तोड़ दिया, तो उसका सीधा असर, युरोपीय देशों ने ईरान में जो आर्थिक एवं व्यापारी निवेश किया है, उसपर होने की संभावना है| पिछले डेढ़ साल में, ईरान पर के आंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध शिथिल करने के बाद युरोपीय देशों ने ईरान में बड़ी मात्रा में निवेश शुरू किया था| साथ ही, ईंधन और गॅस के व्यापार में भी ईरान के साथ युरोपीय देशों के सहयोग बढ़े हैं|

अमरीका यदि परमाणु समझौते से पीछे हटती है, तो उसका फ़ायदा ईरान स्थित चरमपंथी गुट उठा सकते हैं, ऐसा दावा युरोप के विशेषज्ञ कर रहे हैं| ये चरमपंथी गुट फिर ईरान पर अपनी पकड़ मज़बूत कर सकते हैं| यदि ऐसा हुआ, तो ईरान में सत्ताबदलाव की संभावना झुठलाई नहीं जा सकती| आनेवाले मई महीने में ईरान में चुनाव होनेवाले हैं| इस चुनाव में यदि नर्ममिजाज़ एवं उदारमतवादी नेता ऐसी पहचान बने हुए रोहानी की सरकार जीतती है, तो युरोपीय देशों के आर्थिक हितसंबंध सुरक्षित रहेंगे| लेकिन उसके लिए ईरान के साथ किया हुआ परमाणु समझौता बरक़रार रहना महत्त्वपूर्ण है| इसीलिए युरोपीय देश इस परमाणु समझौते को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसा दावा ‘युरोपीयन कौंसिल फॉर फॉरेन रिलेशन्स’ इस अभ्यासगुट की विश्‍लेषिका ‘एली गेरानमाय’ ने किया है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.