‘अमरीका और नाटो अफगानिस्तान से वापसी नहीं कर सकते’ : अमरिकी सेना अधिकारी की चेतावनी

वॉशिंग्टन, दि. २८: अमरीका और नाटो अफगानिस्तान की सैनिकी मुहिम समेटकर वापसी नहीं कर सकते, ऐसा ज़ोर देकर कहते हुए अफगानिस्तान स्थित अमरिकी जनरल जॉन निकोल्सन ने, और पाँच हजार सैनिकों की तैनाती की माँग की है| जनरल निकोल्सन और अमरीका के सैनिकी अधिकारी और अमरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मॅटिस द्वारा अफगानिस्तान स्थित अमरीका और नाटो की तैनाती के बारे में की जा रहीं घोषणाएँ सूचक होने का दावा किया जाता है| बराक ओबामा के प्रशासन ने अफगानिस्तान के बारे में स्वीकारी हुई नीति बदलने के संकेत राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन दे रहा है, ऐसा दावा कुछ विशेषज्ञ कर रहे हैं|

पिछले कुछ हफ्तों से जनरल जॉन निकोल्सन अफगानिस्तान की परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं| तालिबान अफगानिस्तान में तेज़ी से घुसता चला आ रहा है| ऐसी ही स्थिति बरकरार रही, तो फिर यह देश फिर से तालिबान के कब्ज़े में जाने का खतरा है, इस ओर जनरल निकोल्सन ने ध्यान खींचा है| अमरीका पर हुए ९/११ हमले के बाद अफगानिस्तान का युद्ध शुरू हुआ था, यह कभी भूला नहीं जा सकता| यदि अमरीका ने अफगानिस्तान से सेना वापस बुलायी, तो यह देश फिर एक बार आतंकियों के कब्ज़े में जाएगा और सारी दुनिया को इसका बड़ा खतरा झेलना पड़ सकता है, ऐसी चिंता जनरल निकोल्सन ने एक पश्‍चिमी अखबार को दिये इंटरव्यू के दौरान बताया|

अभी अफगानिस्तान की सरकार का महज ६२ प्रतिशत जनता और ५७ प्रतिशत इलाके पर कब्ज़ा है| बचे इलाकों पर तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों का कब्ज़ा है, ऐसा कहते हुए जनरल निकोल्सन ने अफगानिस्तान की स्थिति का एहसास कराया| ऐसे हालातों के रहते, अफगानिस्तान स्थित अमरीका और नाटो की सैनिकी मुहीम समेट कर निकल जाने की स्थिति नहीं है| उलटे अफगानिस्तान में अब जो तालिबान की जीत हो रही है, उसे बदलने के लिए अमरीका और नाटो की सेना को अधिक पाँच हज़ार जवानों को तैनात करने की ज़रूरत पड़ेगी, ऐसा जनरल निकोल्सन का कहना है| कुछ ही हफ्तें पहले जनरल निकोल्सन ने अमरिकी सिनेट की ‘आर्म्ड सर्विस कमिटी’ के सामने भी यहीं माँग रखी थी|

अमरीका की विदेशस्थ सैनिकी मुहिमों की जिम्मेदारी उठाने वाले वरिष्ठ सेना अधिकारी जनरल जोसेफ वोटेल ने अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में अलग ही मसला उपस्थित किया| अफगानिस्तान मे रशिया का प्रभाव बढ़ रहा है, जो अमरीका की चिंता बढ़ानेवाली घटना है, ऐसा जनरल वोटल ने कहा था| रशिया ने अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए सीधे तालिबान से बातचीत शुरू की है| इतना ही नहीं, बल्कि किसी ज़माने में तालिबान के खिलाफ होने वाले रशिया और ईरान भी अब इस आतंकी संघठन की सक्रिय सहायता कर रहे हैं, ऐसा दावा अमरिकी सेना अधिकारी कर रहे हैं| इन स्थितियों में अमरीका अफगानिस्तान की मुहिम से पिछे हटने का विचार भी ना करें| अन्यथा इसके विपरित परिणाम सहने होंगे, ऐसी चेतावनी इन अधिकारियों ने दी|

रशिया, चीन और ईरान जैसे, अमरीका के हितसंबंधों को चुनौती देनेवाले देश, अमरीका की अफगानिस्तान से सेना वापसी के बाद निर्माण हुए अवकाश को भर देगें| इसलिए अमरीका अपने हितसंबंधों का विचार करते हुए इस बारे में फैसला करें, ऐसा सेना के अधिकारियों का कहना है| अमरीका के रक्षामंत्री जेन्स मॅटिस की नीति भी इस संदर्भ में स्पष्ट होकर, राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प भी अफगानिस्तान में अमरिकी सेना की तैनाती पर कायम हैं, ऐसा दिखाई देता है| इसी कारण, ओबामा प्रशासन ने घोषित की हुई, अफगानिस्तान से सेना वापस लेने की नीति में बदलाव दिखाई देंगे| इसके बजाए, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर ड्रोन तथा हवाई हमले कर ट्रम्प प्रशासन, अफगानिस्तान में आतंकवादविरोधी संघर्ष अब और भी तीव्र होगा, ऐसा संदेश अलग अलग मार्गों से दे रहा है|

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