म्यांमार में लष्करी हुकूमत के विरोध में आंदोलन की तीव्रता बढ़ी

नेप्यितौ – म्यानमार की लष्करी हुकूमत लोकतंत्रवादी आंदोलन को कुचलने के लिए बड़े पैमाने पर दमनतंत्र का इस्तेमाल कर रही है और ऐसे में आंदोलन की तीव्रता दिन-ब-दिन बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। म्यानमार के आंदोलकों के गुट ने, सन १९८८ में लष्करी हुकूमत के खिलाफ किए गए प्रदर्शनों का जिक्र करके, आंदोलन की धार अधिक तेज करने की चेतावनी दी है। इसी बीच, फिलहाल अमरीका में होनेवाले म्यानमार के नागरिकों को अस्थायी समय के लिए संरक्षित दर्जा दिया जा रहा होने की घोषणा अमरीका के अंतर्गत सुरक्षा विभाग ने कई है।

protests-myanmarम्यानमार के लष्कर ने पिछले महीने में लोकतंत्रवादी सरकार का तख़्तापलट कर सत्ता हथियाई थी। लष्कर की इस कार्रवाई से खौल उठी म्यानमार की जनता सड़कों पर उतर आयी है। राजधानी नेप्यितौ समेत यांगून और अन्य प्रमुख शहरों में होनेवाले प्रदर्शनों की व्याप्ति अधिक ही बढ़ी होकर, सरकारी कर्मचारियों ने शुरू किए और सरकार आंदोलन को भी बढ़ता प्रतिसाद मिला दिखाई दे रहा है।

protests-myanmarइस बढ़ते प्रतिसाद के कारण म्यानमार की लष्करी हुकूमत अधिक ही आक्रामक बनी दिख रही है। पिछले कुछ दिनों में म्यानमार के लष्कर ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ युद्ध की रणनीतियों का इस्तेमाल करने की शुरुआत की होने का दावा स्वयंसेवी संगठनों ने किया है। प्रदर्शनकारियों को लक्ष्य करने के लिए ‘स्नायपर रायफल्स’ का इस्तेमाल किया हुआ भी सामने आ रहा है। उसी समय, प्रदर्शन जारी होनेवाले इलाकों के घरों पर लष्करी पथकों द्वारा हमले किए होने की जानकारी भी स्थानिक सूत्रों ने दी है।

protests-myanmarम्यानमारी लष्कर की इन आक्रामक हरकतों के कारण पिछले छः हफ्तों में लगभग ७० से भी अधिक प्रदर्शनकारियों की मृत्यु हुई होकर, सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। लेकिन उसके बाद भी प्रदर्शनों की तीव्रता कम नहीं हुई है, बल्कि उसमें जनता का सहभाग लगातार बढ़ रहा सामने आ रहा है। म्यानमार के अधिकांश प्रमुख शहरों में छात्र, सरकारी कर्मचारी, महिलाएँ और बौद्ध भिक्खुओं के गुट हररोज जुलूस निकालते दिखाई दे रहे हैं। इसकी व्याप्ति बढ़ाने के लिए अब लोकतंत्रवादी गुटों ने, सन १९८८ में हुए आंदोलन की याद कराते हुए, संघर्ष अधिक तीव्र करने की गुहार लगाई है।

सन १९८८ में हुए लोकतंत्रवादी आंदोलन को, म्यानमार की लष्करी हुकूमत को मिली सबसे बड़ी चुनौती के रूप में जाना जाता है। इसी आंदोलन में से म्यानमार की लोकतंत्रवादी नेता आँग सॅन स्यू की का नेतृत्त्व सामने आया था। म्यानमार की लष्करी हुकूमत को यह आंदोलन कुचलने में कामयाबी मिली थी। इस समय की गई कार्रवाई में लगभग तीन हज़ार से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी।

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