रशिया और चीन को रोकने के लिए अमरीका आर्क्टिक में सैन्य तैनाती बढ़ाएगी – अमरीका की नई ‘आर्क्टिक स्ट्रैटेजी’ का ऐलान

वॉशिंग्टन – रशिया और बाद चीन ने आर्क्टिक क्षेत्र में अपनी गतिविधियाँ बडे पैमाने पर बढ़ाई हैं और इन्हें रोकने के लिए इस क्षेत्र की सैन्य तैनाती और निवेष बडे पैमाने पर बढ़ाया जाएगा, ऐसा ऐलान अमरीका ने किया है। शुक्रवार को वाईट हाऊस ने नई ‘नैशनल स्ट्रैटेजी फॉर द आर्क्टिक रीजन’ जारी की। इसमें सन २०२२ से २०३२ तक अमरीका की आर्क्टिक में होनेवाली गतिविधियों की नीति का प्लैन पेश किया गया है। पिछले महीने अमरीका के रक्षा विभाग ने आर्क्टिक को काफी शांत क्षेत्र बताकर वहां की शांति बरकरार रखने के लिए अमरीका कुछ भी करने कर सकती है, यह इशारा दिया था।

उत्तरी हिस्से के आर्क्टिक क्षेत्र पर रशिया की तरह अमरीका, कनाड़ा, नॉर्वे, स्वीडन, डेन्मार्क, फिनलैण्ड और आईसलैण्ड अपना-अपना अधिकार जता रहे हैं। इनमें से आर्क्टिक के ५० लाख चौरस किलोमीटर क्षेत्र पर रशिया का नियंत्रण है। बैट समुद्र से कारा समुद्र, लाप्तेव समुद्र, पूर्व सैबेरियया समुद्र और बेरिंग की खाड़ी तक रशिया का वर्चस्व है। रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में आर्क्टिक क्षेत्र को सामरिक प्राथमिकता घोषित किया था। आर्क्टिक क्षेए से रशिया बडे पैमाने पर ईंधन और ईंधन वायु का खनन कर रही है। केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सैन्य, आर्थिक, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और खनिज संपत्ति के नज़रिये से आर्क्टिक की अहमियत बढ़ने की बात राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने रेखांकित की थी।

रशिया के बाद चीन ने भी इस क्षेत्र की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया है। पिछले कुछ सालों से चीन ने ‘नियर आर्क्टिक’ नीति अपनाकर इस क्षेत्र में हस्तक्षेप बढ़ाया है। चीन के नौसैनिक एवं व्यापारी जहाज़ों के आर्क्टिक में सफर करने की मात्रा बढ़ी है और इस क्षेत्र की खनिज संपत्ति के लिए बड़ा निवेष करने का ऐलान चीन ने किया है। रशिया और चीन की इन  बढ़ती हुए गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर अमरीका ने आर्क्टिक के लिए पहल करना शुरू किया है और नई नीति इसी का हिस्सा माना जा रहा है।

‘नैशनल स्ट्रैटेजी फॉर द आर्क्टिक रीजन’ में आर्क्टिक के अन्य देशों से सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए गए हैं। सुरक्षा, पर्यावरण का संरक्षण, आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसी चतुर-सूत्री नई नीति की नींव होगी, ऐसा अमरीका ने कहा है। इसके लिए इस क्षत्र में बड़ा निवेष किया जाएगा, साथ ही अन्य देशों के साथ युद्धाभ्यास का दायरा भी बढ़ाया जाएगा, ऐसा इस नीति में कहा गया है। फिलहाल अलास्का और ग्रीनलैण्ड में अमरीका के रक्षा स्थान हैं और वहां पर २२ हज़ार से अधिक सैनिक तैनात हैं। 

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