अफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना के हटने का चीन और रशिया उठाएँगे लाभ

वॉशिंग्टन – पिछले साल अमरीका ने गैरज़िम्मेदाराना तरीके से अफ़गानिस्तान में तैनात सेना को हटाने से वहां पर बड़ा खालीपन निर्माण हुआ है। साथ ही बायडेन प्रशासन ने अफ़गानिस्तान की अरबों डॉलर्स की निधि भी रोक रखी है और तालिबान की हुकूमत के साथ कारोबार करने के लिए भी राज़ी नहीं है। इस वजह से तालिबान के साथ अफगान जनता का भी अब अमरिका पर भरोसा नहीं रहा। चीन और रशिया बिल्कुल इसी का लाभ उठाकर अफ़गानिस्तान में बड़ा अवसर प्राप्त कर सकते हैं, ऐसी चेतावननी अमरीका के विश्लेषक दे रहे हैं।

चीन और रशियातालिबान ने अफ़गानिस्तान में हुकूमत स्थापित किए हुए एक साल पूरा हुआ है। इस अवसर पर अमरीका के पूर्व अधिकारी एवं सैन्य और सामरिक विश्लेषक अफ़गानिस्तान को लेकर गलत निर्णयों की आलोचना कर रहे हैं। तथा यहां से सेना हटाने की वजह से अमरीका के लिए चुनौतियाँ और खतरों में वृद्धि हुई है, इस पर यह विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे में यहां से सेना हटाकर अमरीका ने क्या पाया, यह सवाल भी अमरिकी अधिकारी उठा रहे हैं।

फॉक्स न्यूज नामक अमरिकी समाचार चैनल से बोलते हुए पूर्व राजनीतिक अधिकारी एवं नामांकित अध्ययन मंडल के विश्लेषकों ने अफ़गानिस्तान संबंधित किए गए गलत निर्णय की वजह से अमरीका को बड़ा सामरिक खतरा हो सकता है, यह चेतावनी दी। चीन, रशिया जैसे अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देश तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति दिए बिना ही कारोबार कर रहे हैं। इसमें भी चीन ने तालिबान की हुकूमत को अधिकृत स्वीकृति नहीं दी है, फिर भी तालिबानी प्रतिनिधियों के साथ बैठक और मुलाकात जारी रखी है। अमरीका की वापसी के बाद अफगानिस्तान में भारी मात्रा में निवेष करने का ऐलान करनेवाला चीन जल्द ही इस देश में अपने इंजिनियर्स, कर्मचारी भेज सकता है, इस ओर भी ‘इन्स्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर’ नामक अध्ययन मंडल के विश्लेषक पीटर मिल्स ने ध्यान आकर्षित किया।

चीन और रशियाऐसे में अमरीका के पूर्व राजनीतिक अधिकारी लीसा कर्टिस ने सवाल ही उपस्थित किया है कि, अफ़गानिस्तान से वापसी करने से लेकर अब तक अपनाई गई अफ़गानिस्तान संबंधी भूमिका से अमरीका क्या हासिल किया? तालिबानी नेताओं से चर्चा नहीं करनी, इस नीति से हम अमरीका को काफी बड़ा नुकसान पहुँचा रहे हैं, ऐसी तीखी आलोचना कर्टिस ने की। तालिबान से चर्चा करके चीन अफ़गानिस्तान में अपने उद्देश्य पूरे करेगा तथा मध्य एशिया में अपने पैर जमाने की कोशिश करेगा। अफ़गानिस्तान की आर्थिक कमज़ोरी का लाभ उठाकर चीन अपना उद्देश्य पूरा करेगा, ऐसी चेतावनी कर्टिस ने दी।

रशिया यूक्रेन के साथ युद्ध में व्यस्त है, और ऐसे में अमरीका ने अफ़गानिस्तान पर अपना ध्यान देना और वहां से आगे मध्य एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाना काफी अहम होगा, ऐसी चेतावनी कर्टिस ने दी। रशिया और चीन के प्रभाव के साथ स्पर्धा करने के लिए मध्य एशियाई देशों में अमरीका का निवेष और इसके लिए अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत के साथ संबंध भी उतने ही अहमियत रखते हैं, यह दावा कर्टिस ने किया।

यूक्रेन युद्ध में रशिया की व्यस्तता की स्थिति में चीन को अफ़गानिस्तान की स्थिति का सबसे अधिक लाभ उठाने का अवसर प्राप्त हुआ है और चीन इससे लाभ उठा रहा है, ऐसा अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा की पूर्व अधिकारी रेबेका कोफलर ने स्पष्ट किया। रशिया आज भी तालिबान को आतंकी संगठन ही मानती है। फिर भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन तालिबान के साथ चर्चा करने के निर्णय पर कायम है। अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देश भी बिल्कुल यही कर रहे हैं और इसी में अमरीका पिछड रही है, ऐसी आलोचना कोफलर ने की।

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