मंदी और आर्थिक अस्थिरता की वजह से वैश्‍विक अर्थव्यवस्था को चार ट्रिलियन डॉलर्स का नुकसान होगा – अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के प्रमुख की चेतावनी

वॉशिंग्टन – वैश्‍विक अर्थव्यवस्था की बुनियादी रचना में बदलाव हो रहे हैं और आर्थिक अस्थिरता और मंदी का खतरा बढ़ रहा है। अस्थिरता और मंदी की वजह से अगले चार सालों में वैश्‍विक अर्थव्यवस्था को चार ट्रिलियन डॉलर्स का नुकसान हो सकता है, यह इशारा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रमुख क्रिस्तालिना जॉर्जिवा ने दिया। इसी बीच, वर्ल्ड बैंक ने अर्थव्यवस्था के बढ़ते हुए ऋण के भार पर ध्यान आकर्षित करते हुए कर्ज़ के कारण उभर रहे आर्थिक संकट की (डेट क्राइसिस) पांचवीं लहर जारी है, यह चेतावनी दी। पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र संगठन की रपट में सन २००७ की मंदी से भी अधिक खराब मंदी का सामना करना पडेगा, यह चेतावनी दी गई थी।

अगले हफ्ते मुद्राकोष की सालाना बैठक होगी। इससे पहले वैश्‍विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति के मुद्दे पर अपनी भूमिका रखते हुए मुद्राकोष के प्रमुख ने गंभीर चेतावनी दी। ‘भू-राजनीतिक स्तर के विभाजन की वजह से कोरोना की महामारी, रशिया-यूक्रेन युद्ध एवं नैसर्गिक आपदाओं के असर का सामना करना अधिक कठिन हो गया है। वैश्‍विक अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढ़ाँचे में बदलाव हो रहे हैं। आर्थिक सहयोग के लिए निर्धारित नियमों का दायरा और इसकी वजह से होनेवाली निश्‍चितता, कम ब्याजदर और घटती हुई महंगाई का स्थान अब नए पर्व में बढ़ती आर्थिक कमज़ोरी ने लिया है’, ऐसा इशारा क्रिस्तालिना जॉर्जिवा ने दिया।

‘नए पर्व में अनिश्‍चितता अधिक बढ़ी है। आर्थिक स्तर की अस्थिरता एवं भू-राजनीतिक संघर्ष भी तीव्र हुए हैं। खतरनाक नैसर्गिक आपदाओं की मात्रा और दायरे बढ़े हैं। इसकी वजह से किसी देश की स्थिति लगातार कमज़ोर हो सकती है। कोरोना की महामारी के बाद लगातार लग रहे झटकों ने अर्थव्यवस्था का चित्र पूरी तरह से बदल दिया है। ईंधन की बढ़ती कीमतों की वजह से विकास पर असर पड़ रहा है। चीन की कोरोना संबंधित नीति, अमरिकी अर्थव्यवस्था की धीमी गति और सेंट्रल बैंकों द्वारा ब्याजदर में बढ़ोतरी की वजह से वैश्‍विक अर्थव्यवस्था के खतरे बढ़ रहे हैं’, ऐसी चेतावनी मुद्राकोष की प्रमुख ने दी। अगले हफ्ते होने वाली बैठक में मुद्राकोष वैश्‍विक अर्थव्यवस्था की मंदी को लेकर स्पष्ट बयान करेगी, ऐसे संकेत भी जॉर्जिवा ने दिए।

मंदी और अन्य खतरों की वजह से वैश्‍विक अर्थव्यवस्था को अगले कुछ सालों में चार ट्रिलियन डॉलर्स का भीषण नुकसान होगा, इस ओर मुद्राकोष के प्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया। यह नुकसान जर्मनी की अर्थव्यवस्था के आकार जितना होगा और विश्‍व के लिए यह काफी बड़ा खतरा होगा, ऐसी चिंता भी उन्होंने इस दौरान व्यक्त की। मुद्राकोष की प्रमुख मंदी और आर्थिक नुकसान पर ध्यान आकर्षित कर रहीं थीं, तो वर्ल्ड बैंक के प्रमुख ने वैश्‍विक अर्थव्यवस्था पर कर्ज़ के भार की वजह से उभर रहे संकट का अहसास कराया।

विश्‍व के अविकसित देशों को कर्ज़ का भुगतान करने के लिए ४४ अरब डॉलर्स से अधिक राशि चुकानी पडेगी और यह बात वैश्‍विक अर्थव्यवस्था पर कर्ज़ के नए संकट की ओर निर्देश करनेवाली साबित होती है, ऐसा इशारा वर्ल्ड बैंक के प्रमुख डेविड मालपास ने दिया। मालपास ने इसे कर्ज़ के संकट की पांचवीं लहर कहा है।

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