अमेरिका ने आर्क्टिक के ईंधन प्रकल्प पर लगाए प्रतिबंध वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं – रशिया के विदेश मंत्रालय का आरोप

मास्को/वॉशिंग्टन – अमेरिका ने आर्क्टिक क्षेत्र के रशियन ईंधन प्रकल्प पर लगाए प्रतिबंध अस्वीकारार्ह हैं और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरनाक होने का आरोप रशिया के विदेश मंत्रालय ने लगाया है। कुछ दिन पहले अमेरिका ने रशिया के खिलाफ नए प्रतिबंधों का ऐलान किया था। इसमें रशिया के ईंधन क्षेत्र सहित डाइमंड क्षेत्र का भी समावेश था। अमेरिका ने लगाए नए प्रतिबंधों के बाद आर्क्टिक के प्रकल्प से जुड़ी विदेशी कंपनियों ने पीछे हटने का निर्णय किया है।

रशिया ने आर्क्टिक क्षेत्र के ईंधन प्रकल्पों के लिए भारी मात्रा में निवेश किया है। अमेरिका ने आर्क्टिक के ईंधन प्रकल्प पर लगाए प्रतिबंध वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं - रशिया के विदेश मंत्रालय का आरोपमौजूदा समय में रशिया के ‘यामल’ और ‘साखलिन’ यह दो ईंधन प्रकल्प शुरू है और इससे प्राप्त हो रहा ‘एलएनजी’ यूरोप एवं एशियाई देशों को निर्यात होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘एलएनजी’ का उत्पादन कर रहे देशों में रशिया चौथे स्थान पर है। वैश्विक स्तर पर हो रहे ‘एलएनजी’ उत्पादन में रशिया का हिस्सा लगभग आठ प्रतिशत हैं।

यह हिस्सा बढ़ाने के लिए रशिया ने आर्क्टिक का ईंधन क्षेत्र विकसित करने पर जोर दिया है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘कंसोर्टियम’ का निर्माण करने की कामयाबी भी हासिल की है। अमेरिका ने आर्क्टिक के ईंधन प्रकल्प पर लगाए प्रतिबंध वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं - रशिया के विदेश मंत्रालय का आरोप‘आर्क्टिक एलएनजी २’ प्रकल्प में रशिया की ‘नोवाटेक’ कंपनी के साथ ही फ्रान्स, चीन और जापान की कंपनियां भी शामिल हैं। यह प्रकल्प लगभग २१ अरब डॉलर लागत से बना जा रहा है और इन तीन देशों की कंपनियों का इसमें ४० प्रतिशत निवेश होने की बात कही जा रही है।

लेकिन, अमेरिका ने लगाए प्रतिबंधों की वजह से यह प्रकल्प मुश्किलों से घिरा है। फ्रान्स और जापान सहित दो चीनी कंपनियों ने भी इस प्रकल्प से बाहर होने का ऐलान किया है। अमेरिका ने आर्क्टिक के ईंधन प्रकल्प पर लगाए प्रतिबंध वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं - रशिया के विदेश मंत्रालय का आरोपअंतरराष्ट्रीय कंपनियों के पीछे हटने से नोवाटेक कंपनी रो अब यह पूरा प्रकल्प अकेले ही चलाना होगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। अगले साल पहली तीमाही में इस प्रकल्प से ‘एलएनजी’ निर्यात शुरू होनी थी। लेकिन, अमेरिका ने उससे पहले ही प्रतिबंध लगाकर रशिया के लिए मुश्किले खड़ी की है। अमेरिका के पीछे पीछे यूरोपियन युनियन भी इस प्रकल्प पर प्रतिबंध घोषित करेगा ऐसे संकेत माध्यमों ने दिए हैं।

इस वजह से रशिया की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आयी है और अमेरिका ने फिर से एकतरफा निर्णय करके प्रतिबंधों का हथियार की तरह इस्तेमाल किया है, ऐसा इशारा रशियन विदेश विभाग की प्रवक्ता मारिआ झाखारोवा ने दिया है। अमेरिका के निर्णय की वजह से कई देशों में ईंधन का संतुलन बिगड़ने की संभावना होने का दावा भी रशियन प्रवक्ता ने किया।

रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने रशिया के ईंधन क्षेत्र पर भारी मात्रा में प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन, रशिया इन प्रतिबंधों की तीव्रता कम करने में कामयाब होती देखी गई है। रशिया को ईंधन क्षेत्र से प्राप्त हो रही आय युद्ध से पहले के स्तर पर पहुंचने की जानकारी रशिया के वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में साझा की थी।

English

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.