थमी अर्थव्यवस्था और जिनपिंग के एकतरफा निर्णयों की पृष्ठभूमि पर चीन के धनिकों ने विदेशों में बढ़ाया निवेश – अमेरिकी अखबार का दावा

बीजिंग – चीन की अर्थव्यवस्था को पिछले छह महीनों में दो बार ‘स्टैग्नेशन’ से नुकसान पहुंचा था। धीमे विकास दर और अंदरुनि मांग में हुई गिरावट के कारण यह स्थिति उभरी है, ऐसा कहा जा रहा है। साथ ही राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने ई-कॉमर्स, गेमिंग, एज्युटेक और रिअल इस्टेट जैसें क्षेत्रों के विरोध में कार्रवाई करना शुरू किया। इस वजह से चीन के नव धनिक और उच्च वर्ग में ड़र का माहौल हैं और उन्होंने अपने ज्यादातर पैसे विदेशों में निवेश करना शुरू किया है। इसके लिए सोना खरीद ने के साथ ही विदेशों में घर खरीद करना और विदेशों की बैंक में खाता शुरू करने पर यह लोग जोर दे रहे हैं। अमेरिका के शीर्ष अखबार ने इससे संबंधित वृत्त प्रसिद्ध किया है।

थमी अर्थव्यवस्था और जिनपिंग के एकतरफा निर्णयों की पृष्ठभूमि पर चीन के धनिकों ने विदेशों में बढ़ाया निवेश - अमेरिकी अखबार का दावाचीन के ‘अप्पर मिडल क्लास’ कहे जा रहे धनिक नागरिकों का वर्ग बेचैन होने का दावा अमेरिका के ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ अखबार ने किया है। पिछले साल से चीन की अर्थव्यवस्था को लगातार झटके लग रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था की रिड़ होने वाले निर्यात सहित उत्पाद, रिअल इस्टेट और रिटेल जैसे सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन नकारात्मक रहा है। इस वजह से चीन के विकास दर की गिरावट शुरू है और वह पांच प्रतिशत तक फिसलने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है।

थमी अर्थव्यवस्था और जिनपिंग के एकतरफा निर्णयों की पृष्ठभूमि पर चीन के धनिकों ने विदेशों में बढ़ाया निवेश - अमेरिकी अखबार का दावासाथ ही राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के तहत चीन के कुछ शीर्ष क्षेत्रों पर कार्रवाई करना शुरू किया है। इनमें रिअल इस्टेट और आयटी क्षेत्र से जुड़े उद्योग हैं। इससे चीन के नव धनिक और उच्च वर्ग को नुकसान पहुंचना शुरू हुआ है। इस वजह से इन नागरिकों में बेचैनी है और अपने पैसे चीन से बाहर निकलाने की बड़ी कोशिश शुरू हुई है।

वर्ष २०२३ के पहले दस महीनों में चीन से औसतन ५० अरब डॉलर विदेशों में जा रहे हैं, ऐसा अमेरिकी अखबार ने कहा है। चीन की अर्थव्यवस्था फिलहाल १७ ट्रिलियन डॉलर का है और पैसे विदेश पहुंचने की गति कायम रही तो अर्थव्यवस्था के साथ शासक कम्युनिस्ट हुकूमत भी मुश्किलों से घिर सकती है, ऐसा दावा ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ ने किया है।

थमी अर्थव्यवस्था और जिनपिंग के एकतरफा निर्णयों की पृष्ठभूमि पर चीन के धनिकों ने विदेशों में बढ़ाया निवेश - अमेरिकी अखबार का दावाचीन की जनता पर पैसे बाहर भेजने पर बड़े प्रतिबंध हैं। इस वजह से नागरिकों ने पैसे बाहर भेजने के लिए विभिन्न प्रावधान अपनाना शुरू किया है। इनमें ‘गोल्ड बार’ की खरीद, अमेरिका के साथ ब्रिटेन और जापान में ‘लक्झरी अपार्टमेंटस्‌’ खरीदना, ज्यादा ब्याज दे रहे विदेशी बैंकों में खाता शुरू करना, इन्श्युरन्स पॉलिसी और विदेशी शेअर बाजारों में निवेश करने का प्रावधान है। सीर्फ अमेरिका में घर खरीद रहे विदेशी नागरिकों की मात्रा बढ़कर १३ प्रतिशत होने की जानकारी सामने आयी है। चीन में गोल्ड बार की कीमत पिछले कुछ महीनों में सात प्रतिशत बढ़ी है।

कुछ महीने पहले जिनपिंग के नेतृत्व में आर्थिक सुधार का अभियान खत्म होगा और शासन केंद्रीत अर्थव्यवस्था का दौर शुरू होगा एवं चीन से मध्यम वर्ग नाम के लिए भी नहीं बचेगा, ऐसा ड़र भी विश्लेषकों ने जताया था। अमेरिकी अखभार से सामने आयी जानकारी इसकी पुष्टी करती दिख रही है।

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