अमरीका-रशिया एकसाथ आने के लिए यह ‘सर्वोत्तम’ समय – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प

वॉशिंग्टन/मॉस्को, (वृत्तसंस्था) – कोरोनावायरस की महामारी की पृष्ठभूमि पर अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर चर्चा संपन्न हुई। यह सर्वसाधारण चर्चा न होकर, इसे बहुत बड़ा राजकीय तथा सामरिक महत्त्व है, ऐसा दोनों देशों की प्रतिक्रियाओं पर से स्पष्ट हो रहा है। रशिया के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए यह सर्वोत्तम समय है, ऐसा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने कहा है। वहीं, दूसरे विश्वयुद्ध के दौर में अमरीका और रशिया समान शत्रु के विरोध में एकसाथ आये थे, ऐसे लक्ष्यवेधी उद्गार रशिया ने कहे हैं। कोरोना का संक्रमण चीन के कारण ही फैला रहा होने का आरोप करके अमरीका चीन को सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है; और ऐसे में, रशिया के क्रेमलिन ने, दूसरे विश्वयुद्ध में अमरीका एवं रशिया ने बनाये मोरचे का यह संदर्भ सूचक साबित हो रहा है।

दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मन नाझी सैनिकों ने मित्रदेशों के सामने शरणागति का स्वीकार किया था। इस विजय की याद में रशिया में ‘व्हिक्टरी डे’ मनाया जाता है। इसका औचित्य साधकर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने गुरुवार को अमरीका, फ्रान्स और अन्य देशों के राष्ट्रप्रमुखों के साथ फोन पर चर्चा की। इस चर्चा के सारे तफ़सील सामने नहीं आये हैं। लेकिन द्विपक्षीय सहयोग, कोरोनावायरस, क्षेपणास्त्र सहयोग करार इन मुद्दों पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष के साथ चर्चा संपन्न हुई होने की जानकारी अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने दी। ‘अमरीका और रशिया दोनों सामर्थ्यशाली देश होकर, इन दोनों देशों में सहयोग स्थापित होना आवश्यक है। लेकिन सन २०१६ के अमरिकी चुनावों में रशिया का हस्तक्षेप होने के झूठे आरोप होने के कारण अमरीका और रशिया के बीच के संबंधों का काफ़ी नुकसान हुआ। लेकिन अब सत्य सामने आ रहा होकर अमरीका और रशिया ने एकसाथ आने का यह सर्वोत्तम समय है’, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने स्पष्ट किया।

कोरोनावायरस की महामारी की पृष्ठभूमि पर, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने चीन के विरोध में आक्रमक भूमिका अपनायी है। इस संक्रमण का उद्गम चीन में से ही हुआ होने का आरोप राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने किया है। शुरू शुरू में जब आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर से चीन की आलोचना हो रही थी, तब रशिया ने चीन का साथ दिया था। लेकिन हाल में रशिया ने चीन का समर्थन नहीं किया है। कोरोनावायरस के संक्रमण से जब रशिया की बड़ी हानि होने लगी है, तब रशिया की भूमिका में बदलाव आया होने के संकेत मिल रहे हैं। रशिया ने खुलेआम इस संक्रमण के लिए चीन को दोषी क़रार नहीं दिया है। मग़र, रशियन सरकार से जुड़े संशोधकों ने, कोरोनावायरस का उद्गम चीन की वुहान लॅब से ही हुआ होने का दावा किया है।

ऐसे में, अमरीका और रशिया के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई चर्चा महत्त्वपूर्ण साबित होती है। इस चर्चा में, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने की हुई, दोनों सामर्थ्यशाली देशों को एकसाथ आने के लिए यही सर्वोत्तम समय होने की घोषणा अलग ही संकेत देनेवाली है। वहीं, रशिया के क्रेमलिन ने भी, दूसरे विश्वयुद्ध के दौर में समान शत्रु के विरोध में अमरीका और रशिया ने की हुई कार्रवाई की दी हुई मिसाल सूचक साबित होती है। रशिया और अमरीका एकसाथ आने पर, सामरिक स्थिरता निर्माण होगी। साथ ही, आतंकवादविरोधी कार्रवाई, क्षेत्रीय संघर्ष और महामारी के संकट का भी मुक़ाबला किया जा सकेगा, ऐसा दावा क्रेमलिन ने किया है।

इसी बीच, अमरीका, ब्रिटन, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने कोरोनावायरस की महामारी की तहकिक़ात करने की माँग कर चीन की घेराबंदी करने की शुरुआत की है} ये देश चीन से ज़बरदस्त मुआवज़ा वसूलने की तैयारी में होने की चर्चा आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुई है। ऐसी परिस्थिति में, रशिया की भूमिका को बहुत बड़ा महत्त्व प्राप्त हुआ है। रशिया ने यद्यपि इस चीनविरोधी मोरचे में सहभागी न होते हुए तटस्थ रहने का फ़ैसला किया, तो भी चीन को बड़ा झटका लग सकता है। ऐसे हालातों में, अमरीका के साथ सहयोग के संकेत देकर रशियन नेतृत्व ने चीन को बेचैन किया दिखायी दे रहा है।

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