अमरीका और यूरोपिय देशों द्वारा दक्षिण अफ्रीका पर दबाव बनाने की कोशिश – रशिया को हथियारों की आपूर्ति करने का दावा कर रहे राजदूत ने मांगी माफी

जोहान्सबर्ग/वॉशिंग्टन/बर्लिन – रशिया-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन का समर्थन ना कर रहें देशों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश अमरीका और यूरोपिय देशों ने शुरू की हैं। पिछले २४ घंटे में ‘ब्रिक्स’ गुट के सदस्य और रशिया के साथ सहयोग जारी रखनेवाले दक्षिण अफ्रिका को लक्ष्य किया गया है। दक्षिण अफ्रीका में नियुक्त अमरीका के राजदूत ने ऐसा आरोप लगाया था कि, यह देश रशिया को हथियार प्रदान कर रहा हैं। इसपर दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने आक्रामक भूमिका अपनाकर यह आरोप ठुकराए थे। इसके बाद अमरिकी राजदूत मांफी मांगने के ळिए मज़बूर हुए। लेकिन, यह वृत्त सामने आ रहा था तभी जर्मनी के विदेश मंत्री रशिया के मुद्दे को लेकर दक्षिण अफ्रीक को चेतावनी देते दिखाई दिए।  

अमरीका और यूरोपिय देशोंपिछले साल दिसंबर महीने में ‘लेडी आर.’ नामक रशियन जहाज़ दक्षिण अफ्रीका के केपटाऊन बंदरगाह में दाखिल हुआ था। इस जहाज़ से दक्षिण अफ्रीका ने रशिया को हथियार भेजे, यह आरोप अमरिकी राजदूत रुबेन ब्रिगेटी ने लगाया। अमरिकी राजदूत के इस आरोप पर दक्षिण अफ्रीका की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आयी। दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने ब्रिगेटी को समन थमाकर फटकार लगाई। इसके बाद ब्रिगेटी ने अपने बयान के कारण हुई गलतफहम पर माफी मांग रहे हैं, ऐसा निवेदन जारी किया। इसी मुद्दे पर दक्षिण अफ्रीका के वरिष्ठ मंत्री ने अमरीका की आलोचना करते हुए यह कहा कि, अमरीका-रशिया विवाद में बेवजह हमें खींचने की कोशिश ना करें।  

अमरीका और यूरोपिय देशोंअमरिकी राजदूत ने मांगी माफी और दक्षिण अफ्रीकी सरकार के आक्रामक बयान सामने आने के साथ दौरान जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेअरबॉक ने दक्षिण अफ्रीका को आगाह किया। दक्षिण अफ्रीका ने रशिया को हथियारों की आपूर्ति करने के मुद्दे पर अमरीका ने लगाए आरोपों को जर्मनी गंभीरता से देख रहा हैं और अन्य देशों से इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा हैं, ऐसा बेअरबॉक ने कहा। अमरिकी राजदूत की मांफी मांगने के बाद भी जर्मन विदेश मंत्री ने दक्षिण अफ्रीका को सुनाने की कोशिश करने से यह घटना अहम बनती है।

पिछले कुछ सालों में दक्षिण अफ्रीका ने रशिया और चीन के साथ एशियाई देशों से सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है। दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स गुट का सदस्य देश हैं और अगले कुछ महीनों में इस गुट की बैठक का दक्षिण अफ्रीका में आयोजन होगा। इस बैठक में ‘ब्रिक्स’ कुछ अहम निर्णय करेगा, ऐसे संकेत दिए गए हैं। इस पृष्ठभूमि पर अमरीका और जर्मनी ने एक के बाद एक दक्षिण अफ्रीका पर आरोप लगाना ध्यान आकर्षित कर रहा हैं। अमरीका ने पहले भी दक्षिण अफ्रीका में आयोजित नौसैनिक युद्धाभ्यास को लेकर इस देश को लक्ष्य करने की कोशिश की थी। 

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