अमरीका और यूरोप के बजाय चीन से नज़दिकियाँ बनाना रशिया की बड़ी भूल – अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन का दावा

मास्को/वॉशिंग्टन/बीजिंग – ‘अमरीका और नाटो की नीति रशिया को चीन की ओर नहीं धकेल रही है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्दादिमीर पुतिन ने ही चीन से अधिक नज़दिक जाने की राह चुनी है। यह नज़दिकियाँ रशिया की बड़ी भूल साबित हो सकती है’, ऐसा दावा अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने किया। बीते कुछ वर्षों में रशिया और चीन अधिकाधिक करीब आ रहे है और इन देशों ने अमरीका और पश्‍चिमी देशों के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोलने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

जॉन बोल्टनमार्च में रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव ने चीन का दौरा किया था। इस दौरे में उन्होंने नवीनतम व्यवस्था बरकरार रखने के लिए रशिया और चीन की एकजुट आवश्‍यक होने का इशारा दिया था। इसके बाद जून में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और चीन के शी जिनपिंग की ‘वर्चुअल कान्फरन्स’ हुई थी। इस दौरान रशिया और चीन की ‘फ्रेंडशिप ट्रीटि’ के विस्तार का ऐलान किया गया था। इसके बाद दोनों देशों ने अन्तरिक्ष में ‘मून बेस’ का संयुक्त निर्माण करने का ऐलान भी किया था। अगस्त में दोनों देशों ने व्यापक युद्धाभ्यास के दौरान रशिया और चीन के रक्षामंत्रियों ने लष्करी सहयोग बढ़ाने की जानकारी साझा की थी।

दोनों देशों का यह व्यापक सहयोग अमरीका और यूरोप समेत मित्रदेशों के लिए बड़ी चुनौती साबित होता है, ऐसा स्वर अधिकारी और विश्‍लेषक आलाप रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर बोल्टन ने सरेआम रशिया को चीन से नज़दिकियाँ बढ़ाने का इशारा देना ध्यान आकर्षित करता है। ‘रशिया की सुरक्षा का मुद्दा ध्यान में रखें तो वह पूर्व दिशा के बजाय पश्‍चिमी देशों से अधिक जुड़ी हुई है। रशियन संघराज्य टूटने के बाद रशिया को पश्‍चिमी देशों से नजदीकियां बढ़ाने का बड़ा अवसर था। इस अवसर का रशिया ने लाभ नहीं उठाया और अब समय निकलता जा रहा है’, ऐसा इशारा बोल्टन ने दिया।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने चीन से अधिक नज़दिकियाँ बढ़ाना चाहा है और कोई भी रशिया को उस दिशा में धकेल नहीं रहा, यह दावा भी उन्होंने इस दौरान किया। ‘चीन से बढ़ाई गई नज़दिकियाँ रशिया की काफी बड़ी भूल साबित होती है। रशिया के पास चीन को बेचने के लिए काफी र्इंधन और हथियार मौजूद हैं। लेकिन, यह सबकुछ चीन को प्रदान करने का रशिया का निर्णय काफी बुरा साबित हो सकता है। भविष्य में सदी का शेष पूरा समय चीन के साथ बिताने का निर्णय रशिया के ज्यादा हित में नहीं रहेगा’, यह दावा भी अमरीका के पूर्व सुरक्षा सलाहकार ने किया।

पश्‍चिमी देशों के बजाय चीन का चयन करने से रशिया के पूर्व क्षेत्र के प्रदेश को खतरा हो सकता है, इस ओर बोल्टन ने ध्यान आकर्षित किया। ‘उरल पर्वत के पूर्वीय ओर स्थित रशियन क्षेत्र में नैसर्गिक संपत्ति काफी ज्यादा मात्रा में है, लेकिन, जनसंख्या ज्यादा नहीं है। साथ ही चीन एक काफी बड़ी जनसंख्या और सीमित नैसर्गिक स्रोत वाला देश है। ऐसे में रशिया भविष्य में अपने पूर्वीय क्षेत्र का नियंत्रण खोने की संभावना है’, यह इशारा भी बोल्टन ने इस दौरान दिया। रशिया की नीति तय करनेवालों ने इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देकर चीन से नज़दिकियाँ बढ़ाने का निर्णय करना चाहिए, यह सलाह भी उन्होंने दी।

बोल्टन ने इससे पहले भी चीन को लेकर गंभीर इशारे दिए हैं और यह चेतावनी भी दी थी कि, यह देश पश्‍चिमी विश्‍व के अस्तित्व को खतरा साबित हो सकता है।

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