वैश्विक स्तर के आरक्षित मुद्रा भंड़ार में अमेरिकी डॉलर का हिस्सा कम हुआ-अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश की रपट

वॉशिंग्टन- वैश्विक स्तर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा बंड़ार में अमेरिकी डॉलर का हिस्सा कम होने की जानकारी साझा की है। वर्ष २०२३ में विदेशी मुद्रा भंड़ार में अमेरिकी डॉलर का हिस्सा फिसलकर ६० प्रतिशत से भी कम हुआ है, ऐसा मुद्राकोश की जानकारी है। वर्ष २००० में वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों के मुद्रा भंड़ार में अमेरिकी डॉलर की मात्रा ७० प्रतिशत थी। इस बीच, मौजूदा वर्ष के अंतरराष्ट्रीय ईंधन व्यापार में २० प्रतिशत कारोबार अमेरिकी डॉलर को दूर रखकर किए गए हैं, ऐसी जानकारी ‘जे पी मॉर्गन’ नामक शीर्ष वित्त संस्था ने साझा की है।

वैश्विक स्तर के आरक्षित मुद्रा भंड़ार में अमेरिकी डॉलर का हिस्सा कम हुआ-अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश की रपटकुछ दिन पहले ही रशिया और ईरान इन दो देशों के बीच व्यापार में स्थानीय मुद्रा का इस्तेमाल करने से संबंधित समझौता हुआ था। उससे पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर के आर्थिक विशेषज्ञ, निवेशक, उद्यमी एवं विश्लेषक भी ‘डि-डॉलराइजेशन’ के मुद्दे पर लगातार ध्यान खींच रहे थे। विश्व की कुछ सेंट्रल बैंक ने अमेरिकी डॉलर की निर्भरता क्या उचित होगी, इस मुद्दे पर शुरू किए सोच विचार की ओर अमेरिकी अभ्यास गुट ने ध्यान आकर्षित किया था। वहीं, रशिया की शीर्ष बैंक ‘व्हीटीबी’ के प्रमुख ने लंबे समय से शुरू अमेरिकी डॉलर के ऐतिहासिक प्रभाव का अन्त शुरू हुआ है, यह इशारा हाल ही में दिया था।

वैश्विक स्तर के आरक्षित मुद्रा भंड़ार में अमेरिकी डॉलर का हिस्सा कम हुआ-अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश की रपटदो दशक पहले सेंट्रल बैंकों के भंड़ार का ७० प्रतिशत हिस्सा रखने वाले अमेरिकी डॉलर का यही हिस्सा अब कम होकर महज ५९.२ प्रतिशत हुआ है, यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश की रपट में हैं। डॉलर के साथ अब यूरो का हिस्सा भी कम होकर २० प्रतिशत तक पहुंचा हैं। वहीं जापानी येन और चीन के युआन का हिस्सा बढ़ने का संज्ञान मुद्रा कोश की रपट में लिया गया है। विश्व स्तर की ‘स्विफ्ट’ यंत्रणा ने भी युआन के बढ़ते हिस्से का ज़िक्र किया है। नवंबर महीने में किए गए अंतरराष्ट्रीय कारोबार में चीन के युआन का हिस्सा ४.६१ प्रतिशत था, यह ‘स्विफ्ट’ ने कहा है।

इस बीच, अंतरराष्ट्रीय स्तर के ईंधन कारोबार में भी अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल कम होने की जानकारी सामने आ रही हैं। ‘जे पी मॉर्गन चेस’ ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार वर्ष २०२३ में किए गए ईंधन कारोबार में २० प्रतिशत कारोबार डॉलर को दूर करके अन्य मुद्राओं के माध्यम से किए गए हैं। वर्ष २०२३ में किए गए सबसे बड़े ईंधन कारोबार में से १२ कारोबार ‘नॉन-डॉलर करन्सीज्‌‍’ के ज़रिये होने की ओर ‘जे पी मॉर्गन चेस’ ने ध्यान खींचा हैं। यह कारोबार करने में रशिया, चीन, भारत, यूएई का समावेश होने की जानकारी भी इस वित्त संस्था ने साझा की है।

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