मज़बूत और आक्रामक भारत आज की भूराजनीतिक वास्तविकता है

बीजिंग – ‘भारत स्वयं को हमेशा से विश्व की महाशक्ति समझता रहा है। लेकिन, पिछले दस सालों में भारत ने वैश्विक महाशक्तियों के संबंधों में संतुलन बनाने से इन महाशक्तियों के साथ सहयोग विकसित करने तक का सफर तय किया है। मौजूदा समय में तो भारत बहु स्तंभीय विश्व में स्वयं को अहम स्तंभ के तौर पर विकसित कर रहा हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति के इतिहास में शायद ही किसी देश को इतनी बड़ी तेज़ी से प्रगति करता देखा जा सकता है’, ऐसी सराहना चीन के एक विश्लेषक ने की है। चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ के विश्लेषक ‘झांग जियाडाँग’ का लेख प्रसिद्ध किया है और इसमें भारत की ऐसी सराहना की गई है। हमेशा से भारत को लक्ष्य करते रहे चीन के मुखपत्र ने भारत की ऐसी सराहना करना अहमियत रखता है।

मज़बूत और आक्रामक भारत आज की भूराजनीतिक वास्तविकता हैचीन की फुदान स्थित ‘सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडिज्‌’ नामक युनिवर्सिटी के संचालक के तौर पर ‘जांग जियाडाँग’ की पहचान है। वहीं, भारत की लगातार आलोचना करने के लिए चीन का सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स प्रसिद्ध है। ऐसे अखबार में भारत की नीति की तारीफ करने वाला जियाडाँग का लिखा लेख प्रसिद्ध हुआ है और इसमें उन्होंने पिछले चार सालों से हमने कड़े बदलाव देखे होने का दावा किया है। चीन के व्यापार में हो रहे घाटे के लिए चीन को ज़िम्मेदार बताने वाला भारत अब अपनी निर्यात बढ़ाने को लेकर बड़े आत्मविश्वास से विचार करने लगा है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद इस युद्ध में किसी के भी पक्ष में खड़े हुए बिना तटस्थ रहने की भूमिका भारत ने अपनाई और पश्चिमी देशों का दबाव भी ठुकराया। साथ ही पश्चिमी देशों को लेकर किसी भी तरह की मनोग्रस्ति मन में रखे बिना भारत आत्मविश्वास से इन देशों से संबंध बढ़ाकर सहयोग स्थापित कर रहा हैं, इसका संज्ञान भी झांग जियाडाँग ने लिया है।

साथ ही भारत में काफी बड़े आर्थिक और सामाजिक बदलाव हो रहे हैं और प्रमुख देशों में सबसे तेज़ विकसित हो रही अर्थव्यवस्था बनकर भारत आगे आ रहा है, इसका ज़िक्र भी इस लेख में किया गया है। ‘भारत नैरेटिव’ यानी भारतीय नज़रिये से हर एक मुद्दे को विश्व के सामने पेश किया जाने लगा है। पश्चिमियों के नहीं, बल्कि भारतीय पद्धती के जनतंत्र को भारत बढ़ावा दे रहा हैं। मज़बूत और आक्रामक भारत आज की भूराजनीतिक वास्तविकता हैइससे भारत का आत्मविश्वास सामने आ रहा है, यह विचार झांग जियाडाँग ने व्यक्त किया है।

भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर की लिखी ‘भारत मैटर्स’ किताब प्रकाशित हो रही है और इसमें उन्होंने पूरे विश्व में ‘इंडिया’ के तौर पर पहचान बनाने वाले भारत की भूमिका पेश की है। भारत यह सीर्फ नाम नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे इस देश की ऐश्वर्य से भी सांस्कृति, अध्यात्मिक परंपरा है, इसका अहसास इस किताब के ज़रिये विदेश मंत्री जयशंकर ने कराया है। भारत यानी महान प्राचीन विरासत होने वाला आधुनिक देश होने का बयान विदेश मंत्री जयशंकर कर रहे हैं। इसे अवसर बनाकर झांग जियाडाँग ने ‘भारत नैरेटिव’ का ज़िक्र करना ध्यान आकर्षित करता है।

अपने लेख के अन्त में भारत ने अल्प समय में प्राप्त की हुई प्रगति अंतरराष्ट्रीय राजनीति की इतिहास में एक दुर्लभ घटना होने की ओर भी जियाडाँग ने ध्यान आकर्षित किया। ‘प्रमुख विश्व शक्ति’ के तौर पर उभर रहे भारत के अंदरुनि और विदेश नीति में हो रहे इन बदलावों की चुनौती स्वयं भारत के सामने और विश्व के सामने खड़ी हुई है। बदल रहा, मज़बूत और आक्रामक भारत आज की भूराजनीतिक वास्तविकता बना है और यह मुद्दा कई देशों को ध्यान में रखना होगा, ऐसा तीखा बयान करके झांग जियाडाँग ने अपना यह लेख खत्म किया है।

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