रशिया और भारत अमरिकी लोकतंत्र के जाल में ना फंसे – चीन के विदेशमंत्री का आवाहन

बीजिंग – ‘अमरीका ने बिछाए हुए लोकतंत्र के जाल में रशिया और रशिया समेत भारत भी ना फंसे’, ऐसा आवाहन चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने किया| रशिया-भारत-चीन के ‘आरआईसी’ नामक त्रिदलीय बैठक में शामिल हुए चीन के विदेशमंत्री का यह बयान ध्यान आकर्षित करता है| अमरीका ने ‘डेमोक्रसी समिट’ का आयोजन किया है और सौ से अधिक देशों को इसका न्यौता भेजा है| चीन और रशिया इन लोकतंत्र व्यवस्था ना अपनानेवाले देशों को इससे दूर रखा गया है| लेकिन ताइवान को इस समिट का न्यौता देकर अमरीका ने चीन पर दबाव ड़ाला हुआ दिख रहा है| चीन के विदेशमंत्री के इस आवाहन से यह बात स्पष्ट हुई है|

अमरिकी लोकतंत्रचीन ने ताइवान के खिलाफ लष्करी गतिविधियॉं तीव्र की हैं| चीन के लड़ाकू विमान लगातार ताइवान की हवाई सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं और चीन किसी भी क्षण ताइवान पर हमला करेगा, ऐसी धमकी चीन दे रहा है| केवल इतना ही नहीं बल्कि, ताइवान के समर्थन में खड़ी हुई अमरीका एवं अन्य पश्‍चिमी देशों को भी चीन धमका रहा है| ताइवान से राजनीतिक ताल्लुकात स्थापित करने की तैयारी रखनेवाले देशों को चीन इशारे और धमकियॉं दे रहा है और इन देशों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, यह भी चीन कह रहा है| चीन की इन अनियंत्रित गतिविधियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया दर्ज़ हो रही है| चीन समर्थक के तौर पर कुप्रसिद्घ अमरीका का बायडेन प्रशासन भी इसका संज्ञान लेने के लिए मज़बूर हुआ|

इस पृष्ठभूमि पर अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने ‘द समिट फॉर डेमोक्रसी’ का आयोजन किया है और ९ एवं १० दिसंबर के दिन इस लोकतांत्रिक देशों की समिट का आयोजन होगा| इसके लिए सौ से अधिक देशों को न्यौता भेजा गया है, तथा इसमें कुछ संगठनों का भी समावेश है| रशिया और चीन इन लोकतांत्रिक व्यवस्था ना अपनानेवाले देशों के खिलाफ अमरीका का यह कदम होने की आलोचना इन दोनों देशों में हो रही है| खास तौर पर इस समिट के लिए अमरीका ने ताइवान को आमंत्रित करके चीन की बेचैनी बढ़ाई है|

चीन के सरकारी माध्यमों ने इसके लिए अमरीका की कड़ी आलोचना की है। और इससे अमरीका को कोई भी लाभ नहीं होगा, यह दावे किए हैं| लेकिन, वास्तव में इस समिट से चीन पर अभी से भारी दबाव ड़ालने की बात स्पष्ट हो रही है| ‘आरआईसी’ यानी रशिया, भारत और चीन के विदेशमंत्रियों की वर्चुअल बैठक में बोलते समय चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने अमरीका द्वारा आयोजित किया हुआ यह समिट दरार निर्माण करने के लिए है, यह आलोचना की है| इस समिट की वजह से विश्‍व में दरार निर्माण होने की संभावना है और इसके नकारात्मक असर सामने आएँगे, ऐसा वैंग ई ने कहा|

इसी वजह से अमरीका के इस कथित लोकतंत्र के जाल में रशिया, चीन और भारत को फंसना नहीं चाहिये, यह उम्मीद चीन के विदेशमंत्री ने व्यक्त की| इसके साथ ही इस समिट के खिलाफ रशिया और भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए चीन तैयार है, यह प्रस्ताव भी चीन के विदेशमंत्री ने दिया| इस सहयोग के लिए पांच मुद्दों के प्रस्ताव का प्लैन भी वैंग ई ने इस दौरान पेश किया| इसमें बहुस्तंभीय विश्‍व के लिए कोशिश करना, देशों के वैध अधिकारों के लिए काम करना, वैक्सीन का अनुसंधान एवं उत्पादन के लिए सहयोग, आदि मुद्दों का समावेश है|

एक ओर भारत के ‘एलएसी’ पर उकसानेवाली हरकतें करके चुनौती देने वाला चीन दूसरी ओर भारत से सहयोग बढ़ाने की भाषा बोल रहा हैं| लेकिन, भारत ने समिट ऑफ डेमोक्रसी पर अभी अधिकृत प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की है| लेकिन, ज़िम्मेदार लोकतांत्रिक देश के तौर पर भारत की इस समिट में शामिल होने की कड़ी संभावना है|

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