जर्मनी पर टूटे आर्थिक संकट के लिए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ज़िम्मेदार – चान्सलर शोल्झ का दावा

बर्लिन/मास्को – जर्मन अर्थव्यवस्था को सता रही समस्याओं के लिए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ज़िम्मेदार होने का दावा चान्सलर ओलाफ शोल्झ ने किया है। कोरोना के संकट काल से जर्मनी बाहर निकल ही रहा था तभी रशिया ने यूरोप में संघर्ष शुरू किया। इसके बाद रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने जर्मनी की ईंधन सप्लाइ बंद कर दी और इससे जर्मन अर्थव्यवस्था को बड़ी उथल पुथल का सामना करना पड़ा, यह कहकर चान्सलर शोल्झ ने देश के आर्थिक संकट के लिए पुतिन को दोषी बताया है। शोल्झ यह दावा कर रहे थे तभी ‘फाइनान्शियल टाईम्स’ ने यह अनुमान जताया है कि, वर्ष २०२४ में ‘यूरोझोन’ को आर्थिक मंदी का सामना करना होगा।

जर्मनी पर टूटे आर्थिक संकट के लिए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ज़िम्मेदार - चान्सलर शोल्झ का दावारशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले यूरोपिय देश ३० प्रतिशत से भी अधिक ईंधन रशिया से आयात कर रहे थे। लेकिन, बाद में रशियन अर्थव्यवस्था को लक्ष्य करने के लिए पश्चिमी देशों ने भारी मात्रा में प्रतिबंध लगाए। इसमें रशिया के ईंधन क्षेत्र पर भी प्रतिबंध लगाए गए। यूक्रेन की सहायता करने के लिए कई यूरोपिय देशों ने रशियन ईंधन की आयात करना बंद किया। रशिया से जर्मनी को ईंधन सप्लाइ करने के लिए बनाई ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाया गया।

रशियन ईंधन का स्रोत बंद होने से यूरोपिय देशों को अमेरिका एवं अन्य देशों से अधिक कीमत चुकाकर महंगे ईंधन की आयात करनी पड़ी। कुछ यूरोपिय देश ईंधन का ‘रेशनिंग’ करने के लिए भी मज़बूर हुए। जर्मनी सहित कई यूरोपियन देशों में बिजली का दर डेढ़ से दो गुना बढ़ाना पड़ा। बिजली की बढ़ती कीमत अप्राप्य होने से जर्मनी में कई उद्योग बंद पड़े। कुछ उद्योगों ने अन्य देशों में कारोबार शुरू का निर्णय किया। ईंधन और ऊर्जा की लागत अधिक बढ़ने से अन्य उत्पादनों की मांग कम हुई और इससे विकास दर पर नकारात्मक परिणाम हुआ।

जर्मनी पर टूटे आर्थिक संकट के लिए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ज़िम्मेदार - चान्सलर शोल्झ का दावारशिया से प्राप्त हो रहे ईंधन की आयात रोकने का निर्णय यूरोपियन नेताओं ने किया था। इस वजह से यूरोपिय देशों को सता रही आर्थिक समस्याओं के लिए स्थानीय नेतृत्व ि ज़िम्मेदार होने के बावजूद जर्मनी जैसे शीर्ष देश इसके लिए रशिया और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन को ज़िम्मेदार बताते दिख रहे हैं। चान्सलर ओलाफ शोल्झ का बयान भी उसी का हिस्सा है। शोल्झ अपनी नाकामी का ठिकरा रशिया पर फोड़ रहे हैं और ऐसे में अब यूरोपिय देशों को मंदी का सामना करना होगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

‘फाइनान्शियल टाईम्स’ ने लगभग ४८ आर्थिक विशेषज्ञों से बातचीत करके ‘यूरोझोन’ की आर्थिक स्थिति को लेकर अनुमान जताया है। वर्ष २०२४ में यूरोझोन को आर्थिक मंदी का सामना करना होगा, यह इशारा दिया गया है। भू-राजनीतिक अस्थिरता, बढ़ते ब्याज दर और ईंधन क्षेत्र में हुई उथल पुथल के कारण यह संकट खड़ा होगा, ऐसा ‘फाइनान्शियल टाईम्स’ ने अपने वृत्त में कहा है।

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