अमरिकी रक्षाबल अंतरिक्ष में ‘लेज़र’ परीक्षण करेगा

केप कैनावेरल – सैन्य वाहन, विध्वंसक और विमान से ‘लेज़र’ परीक्षण करने के बाद अमरिकी रक्षाबल ने अंतरिक्ष में ‘लेज़र’ इस्तेमाल करने की तैयारी जुटाई है। लेकिन, इस परीक्षण के बाद ‘लेज़र’ का इस्तेमाल सैन्य स्तर पर नहीं, बल्कि असैनिक स्तर पर किया जाएगा, ऐसा अमरिकी नौसेना और स्पेस फोर्स ने स्पष्ट किया। पृथ्वी एवं अंतरिक्ष में ईंधन के विकल्प के तौर पर यह ‘लेज़र’ परीक्षण अहम होगा, ऐसा दावा अमरिकी रक्षाबल और इस परीक्षण का हिस्सा बनी यंत्रणा कर रही हैं। लेकिन, अंतरिक्ष में लेज़र का इस्तेमाल अन्य चुनौतियों को भी आमंत्रित करेगा, ऐसा इसारा सैन्य विश्लेषक दे रहे हैं।

दो दिन पहले फ्लोरिडा स्थित अड्डे से ‘ड्रैगन कार्गो’ नामक अंतरिक्ष यान ने उड़ान भरी। अमरिकी रक्षा विभाग से जुडी सात यंत्रणा इसका हिस्सा बनी हैं। अमरीका की अंतरिक्ष संस्था ‘नासा’ रक्षा विभाग के साथ ही नामांकित उद्यमी और निवेशक एलॉन मस्क भी इसमें योगदान दे रहे हैं। अमरीका की नौसेना और स्पेस फोर्स इस प्रयोग पर काम कर रहे हैं और उन्होंने साझा की हुई जानकारी के अनुसार ‘स्पेस वायरलेस एनर्जी लेज़र लिंक’ (एसडब्ल्यूईएलएल) नामक लेज़र यंत्रणा का अंतरिक्ष में परीक्षण होगा।

‘एसडब्ल्यूईएलएल’ यानी ‘स्वेल’ नामक यह यंत्रणा अभी भी प्राथमिक स्तर पर होने का दावा अमरिकी नौसैनिक लैब कर रही है। अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रहों पर लगे सोलार पैनल पर संग्रहित सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करके लेज़र बिम का परीक्षण किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर यह परीक्षण होगा। ‘स्वेल’ से प्रवाहित हुआ ‘लेज़र बिम’ उपग्रह के माध्यम से ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लहरों के माध्यम से सीधे धरती की दिशा में छोड़ा जाएगा। लेज़र बिम ने प्रवाहित की हुई यह ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लहरें’ ऊर्जा के स्वरूप में धरती पर स्थित ठिकानों पर संग्रहित की जाएगी और आगे इसका इस्तेमाल ऊर्जा के तौर पर किया जाएगा, यह जानकारी अमरिकी नौसेना और स्पेस फोर्स ने साझा की।

लेज़र बिम के एक उपकरण से १ से १० मिलीवैट ऊर्जा का निर्माण होता हैं, ऐसा फोर्बस्‌‍ पत्रिका ने अपनी रपट में कहा था। गौरतलब है कि, अमरीका के तटीय क्षेत्र पर लगाए पवनचक्की से महज २.५ से ३ मिलीवैट ऊर्जा निर्माण होती है। ऐसे में लेज़र बिम की ऊर्जा काफी सहायक और किफायती होने का दावा अमरिकी यंत्रणा कर रही हैं। इस लेज़र बिम का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष के उपग्रह लंबे समय तक चलाए जा सकते हैं। काफी दूरी के अंतरिक्ष अभियान भी इससे चलाए जा सकते हैं और चंद्रमा पर ऊर्जा संग्रहित करना मुमकिन हो सकता हैं, इसपर अमरिकी यंत्रणा ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

लेकिन, अंतरिक्ष में लेज़र का इस्तेमाल उपग्रहों की सुरक्षा के लिए चुनौती साबित हो सकता है, इसपर अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इस मोर्चे पर अकेली अमरीका ही नहीं, बल्कि चीन भी अंतरिक्ष में ‘लेज़र बिम’ का इस्तेमाल करने की तैयारी जुटा रहा हैं। साथ ही साल २०३० तक अंतरिक्ष में ऊर्जा प्रकल्प स्थापित करने की तैयारी भी चीन जुटा रहा हैं।

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