हथियारों के वैश्विक व्यापार में अमेरिकी कंपनियों का वर्चस्व बरकरार – यूरोपियन अभ्यास गुट ‘सिप्री’ की रपट

स्टॉकहोम – रशिया और यूक्रेन के जारी युद्ध की पृष्ठभूमि पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियारों की मांग लगातार बढ़ती दिख रही है। वर्ष २०२२ में रक्षा क्षेत्र की १०० बड़ी कंपनियों ने लगभग ६०० अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री की है। इसमें अमेरिकी कंपनियों का वर्चस्व बना रहा है और ४२ अमेरिकी कंपनियों ने इस कारोबार में ३०० अरब डॉलर से भी अधिक कमाए हैं। यूरोपियन अभ्यास गुट ‘सिप्री’ ने जारी किए नए रपट से यह जानकारी सामने आयी है।

हथियारों के वैश्विक व्यापार में अमेरिकी कंपनियों का वर्चस्व बरकरार - यूरोपियन अभ्यास गुट ‘सिप्री’ की रपट‘द सिप्री टॉप १०० आर्म्स प्रोड्युसिंग ॲण्ड मिलिटरी सर्विसेज कंपनीज्‌, २०२२’ नामक रपट हाल ही में जारी किया गया। इसमें रक्षा क्षेत्र में सबसे अधिक मुनाफा प्राप्त करने वाली विश्व की १०० प्रमुख कंपनियों की सुचि दर्ज़ है। अमेरिका की ‘लॉकहीड मार्टीन कॉर्प’ विश्व में सबसे ज्यादा हथियार बेचने वाली कंपनी बनी है। वर्ष २०२२ में इस कंपनी ने ५९.३९ अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं। इसके बाद दूसरें क्रमांक पर रही ‘रेथॉन टेक्नॉलॉजीस्‌ ’ने ३९.५ अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री की है।

सबसे अधिक हथियार बेचने वाली दस प्रमुख कंपनियों में से पांच अमेरिकी, तीन चीनी और ब्रिटेन और रशिया की एक एक कंपनी का सावेश है। इसके अलावा पहली ५० बड़ी कंपनीयों में इस्रायल, फ्रान्स, जर्मनी, इटली, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, भारत और ताइवान की कंपनियां शामिल हैं। विश्व की इन प्रमुख कंपनियों ने वर्ष २०२२ में ५९७ अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री करने की जानकारी ‘सिप्री’ ने इस रपट में साझा की है।

वर्ष २०२०-२१ में फैली कोरोना की महामारी के चलते विश्व में सप्लाई चेन बाधित हुई थी। विश्व के कई उद्योग क्षेत्रों पर हुआ इसका बड़ा असर अभी भी दिख रहा है। लेकिन, रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को इससे ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है, यही वर्ष २०२२ के यह आंकड़े दर्शा रहे हैं।

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