रशिया विरोधी युद्ध में यूक्रेन की हार होने का असर नाटो पर भी होगा-नाटो के प्रमुख स्टोल्टनबर्ग की अमेरिका को चेतावनी

किव/बर्लिन-यूक्रेन विरोधी युद्ध में यदि रशिया की जीत हुई तो वह सीर्फ यूक्रेन का दुर्भाग्य नहीं होगा। यूक्रेन की हार के बुरे परिणाम नाटो को भी भुगतने पड़ेंगे, ऐसी चेतावनी नाटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने दी है। अमेरिका और नाटो के अन्य सदस्य देश इस युद्ध में यूक्रेन को सहायता प्रदान कर रहे थे। यह सहायता वादों को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि इस युद्ध से अपने हितसंबंध जुड़े हैं, इसका अहसास होने से ही प्रदान की गई थी, ऐसा स्टोल्टनबर्ग ने कहा। जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस के साथ संयुक्त वार्तापरिषद को संबोधित करते समय नाटो के प्रमुख ने यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर अमेरिका को तीव्र संदेश दिया।

रशिया ने यूक्रेन पर हो रहे हमलों की तीव्रता अधिक बढ़ाई हैं और यूक्रेन के पास पर्याप्त सैनिक नहीं रहे, यह दावा भी किया जा रहा है। इसके साथ ही अमेरिका और नाटो सदस्य देशों ने मुहैया किए हथियार और बारूद भी कम पड़ने से इस युद्ध में यूक्रेन के हालात बड़े खराब हुए हैं। ऐसी स्थिति में रशिया ने यूक्रेन की राजधानी किव पर मिसाइल हमले करना शुरू किए हैं। शनिवार के दिन रशिया ने किव पर बैलेस्टिक ‘इस्कंदर-एम’ मिसाइल से हमला किया। इस मिसाइल को हवा में ही नष्ट करने की जानकारी यूक्रेन ने प्रदान की। लेकिन, पिछले दो महीने बाद रशिया ने पहली बार यूक्रेन की राजधानी पर हमले किए हैं। इस वजह से रशिया आगे के समय में यूक्रेन के विरोध में बड़ा जोर लगाने के आसार दिखने लगे हैं।

ऐसी स्थिति में अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियां ने यह घोषित किया है कि, यूक्रेन को अधिक सहायता मुहैया करना आगे संभव नहीं होगा। रशिया विरोधी युद्ध में यूक्रेन की हार होने का असर नाटो पर भी होगा-नाटो के प्रमुख स्टोल्टनबर्ग की अमेरिका को चेतावनीअमेरिकी संसद में रिपब्लिकन पार्टी ने यूक्रेन के लिए अधिक सहायता प्रदान नहीं कर सकते, ऐसी पुख्ता भूमिका अपनाई है। ऐसे में अब आगे के समय में अमेरिका यूक्रेन को अधिक सहायता प्रदान नहीं कर सकेगी, ऐसा इन अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था। इसकी तीव्र गूंज सुनाई दे रही हैं। अमेरिका का पूरा सहयोग प्राप्त होने के बावजूद यूक्रेनी सेना रशिया के सामने खड़ी नहीं रह सकी थी। ऐसे में यदि अमेरिका ने यूक्रेन को आवश्यक सहायता प्रदान नहीं की तो यूक्रेनी सेना रशियन हमले के सामने खड़ी भी नहीं रह सकेगी, ऐसा निरिक्षक कह रहे हैं।

इस पृष्ठभूमि पर जर्मनी की राजधानी बर्लिन में जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस के साथ आयोजित संयुक्त वार्ता परिषद में नाटो के प्रमुख स्टोल्टनबर्ग ने यूक्रेन युद्ध की सच्चाई बयान की। इस युद्ध में यूक्रेन की हार हुई तो वह नाटो के हित में नहीं होगा। क्यों कि, इसके खराब परिणाम नाटो को भी भुगतने पडेंगे। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इससे अधिक ताकतवर होंगे और ऐसे ताकतवर तानाशाह अंतरराष्ट्रीय कानून को पैरो के नीचे रौंदकर उन्हें जो चाहिये वही करवा सकते हैं, ऐसी चिंता स्टोल्टनबर्ग ने जताई है। साथ ही सीर्फ यूक्रेन के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका और नाटो अपने रक्षा संबंधित हितसंबंधों के लिए ही यूक्रेन को अबतक सहायता प्रदान कर रहे हैं, इस मुद्दे पर भी स्टोल्टनबर्ग ने ध्यान आकर्षित किया है। इसके साथ ही अमेरिका ने यूक्रेन को पीठ दिखाई तो भी उत्तर अमेरिका और यूरोपिय देश इस युद्ध में यूक्रेन को सहायता करते रहेंगे, ऐसा विश्वास स्टोल्टनबर्ग ने व्यक्त किया है।

अमेरिका में सियासी स्थिति बदल रही हैं और अमेरिकी सिनेट में रिपब्लिकन पार्टी का वर्चस्व स्थापित हुआ है। रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने यूक्रेन युद्ध के लिए अरबों डॉलर की सहायता प्रदान कर रहे बायडेन प्रशासन का विरोध किया था। इस्रायल-हमास युद्ध छिड़ने के बाद रिपब्लिकन पार्टी के नेता यह मांग कर रहे है कि, अमेरिका इस्रायल को हर मुमकिन सहायता प्रदान करें। रशिया विरोधी युद्ध में हार होना तय होने के बावजूद यूक्रेन को अधिक सहायता प्रदान करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा। इसके बजाय बायडेन प्रशासन इस्रायल को हर मुमकिन सहायता प्रदान करें, ऐसा रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों का कहना हैं। शासक डेमोक्रैट पार्टी के सांसद में इसी विचार का समर्थन कर रहे हैं। इस वजह से बायडेन प्रशासन मुश्किलों से घिरा हैं और इच्छा होने के बावजूद यूक्रेन को सहायता मुहैया कराना बायडेन प्रशासन के लिए कठिन हो रहा हैं। लेकिन, अमेरिका ने इसके आगे सहायता नहीं प्रदान की तो भी यूक्रेन रशिया के विरोध में शुरू यह युद्ध रोकेगा नहीं, ऐसा दावा यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की ने किया है।

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