चीन में बेरोजगार युवक सियासी नज़रिये से खतरा बन सकते हैं – चीन के वरिष्ठ सलाहकारों की चेतावनी

बीजिंग – चीन में बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या सही ढ़ंग से संभाली नहीं तो आर्थिक स्तर के आगे जाकर इसके सामाजिक स्तर पर गंभीर परिणाम होंगे। बेरोजगार युवक सियासी नज़रिये से खतरा बन सकते हैं, ऐसी चेतावनी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के आर्थिक सलाहकारों ने दी है। कोरोना की महामारी के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरोसा खोने वाले चीन से बहुराष्ट्रीय कंपनियां पीछे हट रही हैं। इससे चीन में कारखाने, कंपनियां और कारोबार बंद होने लगे हैं। साथ ही कोरोना की महामारी के कारण देश में मांग भी कम हुई है और चीन की निर्यात भी कम हुई है। इसके कारण चीन में बेरोजगारी बढ़ रही है और अगले दशक में भी चीन को इस संकट का सामना करना होगा, ऐसी चेतावनी विश्लेषक दे रहे हैं। बेरोजगारी की इश समस्या के कारण चीन में सियासी उथल-पुथल होगी और कम्युनिस्ट हुकूमत को झटके लग सकते हैं, इसका अहसास यह आर्थिक सलाहकार देते दिख रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों से अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक, अभ्यास गुट चीन के फिसलते विकास दर को लेकर चिंता जता रहे थे। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की गलत आर्थिक नीति और असफल हुए निर्णय इस देश की अर्थव्यवस्था को डुबो रहे हैं, यह दावा विश्लेषकों ने किया था। चीन की इस आर्थिक गिरावट के झटके एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के देशों के साथ पूरे विश्व को भुगतने पड़ेंगे, ऐसी चेतावनी इन अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने दी थी। लेकिन, फिसलता विकास दर, विदेशी निवेशकों का पीछे हटना और बंद पड़े कारखाने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए खतरा साबित होंगे, ऐसी चेतावनी इस देश के आर्थिक सलाहकार ही देने लगे हैं।

चीन की सरकार ने बढ़ती बेरोजगारी के मसले के ध्यान से संभालने की आवश्यकता है, ऐसी चेतावनी ‘रेन्मीन युनिवर्सिटी ऑफ चाइना’ नामक अभ्यास गुट के विश्लेषक और वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार लियू युआनशून ने दी है। बढ़ रही यह बेरोजगारी चीन की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती ही साबित होगी। इसका परिणाम सामजिक स्तर पर भी होंगे। इससे राजनीतिक खतरे बढ़ेंगे, ऐसा युआनशून ने कहा। बेरोजगारी का संकट थोड़े ही समय में भयानक हो जाएगा और यह संकट पूरे दशक तक चीन पर कायम रहेगा, यह भी युआनशून ने कहा हैं।

‘चाइना माइक्रोइकॉनॉमी फोरम’ की बैठक में बोलते हुए युआनशून ने इससे संबंधित रपट जारी की। चीन में १६ से २४ वर्ष के उम्र गुट के युवकों में से २१ प्रतिशत युवक बेरोजगार होने की बात इस रपट में कही गई है। साथ ही कोरोना की महामारी के बाद जिनपिंग ने थोपी ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ देश के आर्थिक विकास के लिए बाधा बनी है, ऐसा बयान इसमें स्पष्ट किया गया है। ११० पन्नों की इस रपट के स्क्रिन शॉटस्‌ चीन के सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध हुए हैं और बेरोजगारी एवं राजनीतिक संकट के इशारे के कारण चीनी जनता की चिंता बढ़ रही हैं, ऐसे संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।

इसी बीच, पिछले वर्ष इसी समय के दौरान चीन में राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के विरोध में असंतोष सामने आया था। ज़ीरो कोविड पॉलिसी के कारण चीन की राजधानी बीजिंग से अन्य शहरों में भी जिनपिंग के खिलाफ आलोचना हुई थी। कुछ लोगों ने सड़कों पर उतरकर निजपिंग का निषेध किया और उनके इस्तीफे की मांग भी की थी। इसके अलावा चीन के राष्ट्राध्यक्ष को पद से हटाने के लिए बगावत करने की कोशिश भी हुई थी। अपने खिलाफ हो रही ऐसी सभी गतिविधियों को रोककर सत्ता में बने रहे में जिनपिंग कामयाब भी हुए थे। लेकिन, इससे चीन की जनता में उनकी हुकूमत के खिलाफ होने वाले असंतोष का अहसास पूरे विश्व को हुआ था। कम्युनिस्ट हुकूमत के आर्थिक सलाहकारों ने दी हुई चेतावनी भी चीन में दबे असंतोष का स्पष्ट अहसास दे रही है।

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