रशिया-यूक्रैन युद्ध की वजह से अमरीका और नाटो कमज़ोर हुए – ईरान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी का दावा

तेहरान – रशिया-यूक्रैन युद्ध की वजह से अमरीका, नाटो और यूरोप का सामर्थ्य काफी कमज़ोर हुआ है, यह दावा ईरानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने किया| इस युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रशिया की छबि कुछ हद तक बाधित हुई है| इसकी वजह से सत्ता की स्पर्धा में चीन अधिक प्रभावी साबित होने लगा है, यह दावा ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस् के मेजर जनरल याह्या रहीम सफावी ने किया है|

russia-ukraine-war-nato-usईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी के सैन्य सलाहकार मेजर जनरल याह्या रहीम सफावी ने बुधवार को राजधानी तेहरान में सैन्य अधिकारियों की बैठक को संबोधित किया| फिलहाल अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों का ध्यान रशिया-यूक्रैन युद्ध पर लगा हुआ है और इस युद्ध को लेकर मेजर जनरल सफावी ने अपने विचार रखे| इस युद्ध को लेकर अमरीका, यूरोपिय देश और पश्मिची माध्यम कर रहे दावे सफावी ने खारिज किए|

इस युद्ध की वजह से अमरीका, नाटो और यूरोप का सामर्थ्य कमज़ोर होने का दावा ईरान के वरिष्ठ सेना अधिकारी ने किया|  रशिया ने यूक्रैन पर हमला करने के बाद अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया पर सख्त प्रतिबंध लगाए| लेकिन, इन प्रतिबंधों से सिर्फ रशिया को नुकसान नहीं पहुँचेगा, बल्कि इन प्रतिबंधों की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कीमत अमरीका और यूरोपिय देशों को भी चुकानी पड़ेगी, इस पर मेजर जनरल सफावी ने ध्यान आकर्षित किया|

इस युद्ध से रशिया को निश्चितरूप से नुकसान पहुँच रहा है| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रशिया की प्रतिमा भी किसी हद तक बाधित होने की बात जनरल सफावी ने स्वीकारी| इसके साथ ही चीन को इस युद्ध से सबसे बड़ा लाभ हो रहा है, यह दावा ईरान के वरिष्ठ सेना अधिकारी ने किया| ‘मौजूदा अंतरराष्ट्रीय स्थिति में वैश्विक सत्ता का गणित चीन के पक्ष में जा रहा है| चीन उभरती हुई सत्ता है’, यह दावा मेजर जनरल सफावी ने किया| इस युद्ध के कारण बनी स्थिति का ईरान को भी बड़ी चालाकी से इस्तेमाल करना पड़ेगा, यह आवाहन खामेनी के सैन्य सलाहकार सफावी ने किया|

अमरीका और नाटो का ध्यान यूक्रैन युद्ध पर लगा हुआ है| इस युद्ध के कारण ईंधन से लेकर अनाज तक की किल्लत का सामना कई देशों को करना पड़ रहा है| कुछ देशों में ईंधन एवं अनाज़ की किल्लत और कीमतों में हुए उछाल के कारण प्रदर्शन हो रहे हैं| इससे इन देशों की सरकारों को नुकसान पहुँचने लगा है| ऐसी स्थिति में ईंधन की समस्या का हल निकालने के लिए अमरीका ने खाड़ी देशों के सामने ईंधन का उत्पादन बढ़ाने की मॉंग रखी थी| इन देशों ने इस पर इन्कार करने के बाद अमरीका अब ईरान से परमाणु समझौता करके ईरान का ईंधन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उतारने की गतिविधियॉं कर रही है| यह स्थिति ईरान के लिए अनुकूल होने की बात पर मेजर जनरल सफावी ने ध्यान आकर्षित किया है|

तथा यूक्रैन युद्ध में व्यस्त अमरीका अब ईरान के परमाणु कार्यक्रम के विरोध में अधिक आक्रामक भूमिका नहीं अपना सकेगी, यह अनुमान मेजर जनरल सफावी पेश करते हुए दिख रहे हैं| इसका लाभ उठाने की तैयारी ईरान को करनी होगी, यह सुझाव भी मेजर जनरल सफावी दे रहे है|

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