यूक्रैन का युद्ध आर्क्टिक तक ना पहूँचे – रशिया के विशेषदूत का इशारा

मास्को – पिछले महीने से रशिया-यूक्रैन में जोरदार युद्ध जारी है। नाटो इस युद्ध में सीधे नहीं उतरा है, लेकिन यूक्रैन एवं रशिया के पड़ोसी देशों तक सैन्य तैनाती कर ली है। ऐसी स्थिति में यूक्रैन के युद्ध की दाहकता आर्क्टिक क्षेत्र तक ना पहूँचे, ऐसा इशारा रशिया ने दिया है। ‘आर्क्टिक में हमेशा शांति, स्थिरता और सहयोग स्थापित होना चाहिये। अन्य क्षेत्रों के तनाव का असर आर्क्टिक क्षेत्र पर दिखाई ना दे’, ऐसी उम्मीद रशिया ने व्यक्त की। लेकिन, पिछले दो हफ्तों से इस क्षेत्र में नाटो सेना की गतिविधियाँ चिंताजनक होने का दावा किया जा रहा है।

यूक्रैन का युद्ध आर्क्टिक तक ना पहूँचे - रशिया के विशेषदूत का इशारारशिया ने ४० दिन पहले यूक्रैन के साथ युद्ध शुरू किया था। इसके जवाब में अमरीका और पश्‍चिमी देशों ने रशिया पर अलग अलग तरह के प्रतिबंध लगाए हैं और अंतराष्ट्रीय संगठनों से रशिया को बाहर कर दिया। आर्क्टिक क्षेत्र से संबंधित देशों की ‘आर्क्टिक काऊन्सिल’ संगठन से भी रशिया को बाहर कर दिया गया था। इसमें रशिया के साथ अमरीका, कनाड़ा, डेन्मार्क, फिनलैण्ड, आईसलैण्ड, नॉर्वे और स्वीड़न जैसे आठ देशों का समावेश है। इस संगठन से निकाले जाने की वजह से ‘आर्क्टिक काऊन्सिल’ में रशिया के विशेषदूत निकोलाव कोर्शूनोव ने पश्‍चिमी देशों की कड़ी आलोचना की।

२५ वर्ष पहले स्थापित हुई ‘आर्क्टिक काऊन्सिल’ संगठना पूरी तरह से बिगर राजनीतिक है। सैन्य सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को इस काऊन्सिल में बिल्कुल स्थान नहीं मिलेगा, ऐसा स्पष्ट कहा गया है, इसकी याद भी कोर्शूनोव ने दिलायी। इसके बावजूद यूक्रैन युद्ध की गूंज इस संगठन में सुनाई देना निंदा का मुद्दा है, ऐसी फटकार कोर्शूनोव ने अमरिकी पत्रिका से बोलते हुए लगायी। पश्‍चिमी देशों ने रशिया को इस संगठन से बाहर निकालने की वजह से आर्क्टिक क्षेत्र की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है, ऐसी चिंता रशिया के विशेषदूत ने व्यक्त की।

यूक्रैन का युद्ध आर्क्टिक तक ना पहूँचे - रशिया के विशेषदूत का इशाराआर्क्टिक काऊन्सिल से रशिया को हटाने के बाद नाटो ने आर्क्टिक के करीबी देशों में शुरू की हुई सैन्य गतिविधियाँ रशिया की चिंता की वजह बनने का दावा किया जा रहा है। दो हफ्ते पहले नाटो ने आर्क्टिक क्षेत्र के करीब बड़े युद्धाभ्यास का आयोजन किया था। रशिया-यूक्रैन युद्ध शुरू होने के दौरान नॉर्वे में आयोजित किए ‘कोल्ड रिस्पॉन्स २०२२’ नामक युद्धाभ्यास का नाटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने स्वागत किया था। साथ ही नाटो, आर्क्टिक संगठन होने का ऐलान भी स्टोल्टनबर्ग ने किया था।

तथा, आर्क्टिक के पड़ोसी फिनलैण्ड और स्वीडन को नाटो की सदस्यता के लिए स्टोल्टनबर्ग की जोरदार कोशिश जारी है। चौबीस घंटे पहले स्टोल्टनबर्ग ने फिनलैण्ड और स्वीड़न को शीघ्रता से नाटो में शामिल करने के संकेत दिए थे। स्वीडन के प्रधानमंत्री ने भी नाटो की सदस्यता के लिए उत्सुक होने का बयान किया था। आर्क्टिक क्षेत्र में नाटो की इन गतिविधियों पर रशिया अपना गुस्सा व्यक्त कर रही है। इसी कारण यूक्रैन का युद्ध आर्क्टिक क्षेत्र तक ना पहुँचे, यह इशारा रशिया ने नाटो और यूरोपिय देशों को दिया हुआ दिख रहा है।

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