यूक्रेन नाटो का हिस्सा होने से रशिया के अस्तित्व को खतरा – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन

रशिया के अस्तित्वमास्को – सोवियत रशिया के विभाजन के बाद यूक्रेन आज़ाद हुआ। उस समय यूक्रेन किसी के भी पक्ष में खड़ा नहीं होगा और तटस्थ रहेगा, यही शर्त रखी गई थी। इसका पालन यूक्रेन ने नहीं किया हैं। यूक्रेन का नाटो में शामिल होना रशिया के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा। इसी वजह से रशिया को यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी, ऐसा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने फिर से स्पष्ट किया। साथ ही यूक्रेन से बातचीत करने के लिए रशिया तैयार हैं, लेकिन यूक्रेन ने ही चर्चा करने से इनकार किया है, इस बात पर भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने ध्यान आकर्षित किया।

यूक्रेन ने रशियन शहरों पर मिसाइल हमले करने की खबरें प्राप्त हुई हैं। वही, रशिया ने भी यूक्रेन पर जारी हमलों की तीव्रता बढ़ाने की बात स्पष्ट हुई है। ऐसी स्थिति में भी ‘रशिया-अफ्रीका समिट’ का आयोजन हुआ हैं और सेंट पिटर्सबर्ग में आयोजित इस समिट में ४९ अफ्रीकी देश के नेता शआमिल हुए हैं। अपनी भूमिका रखने के लिए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इस परिषद का प्रभावी इस्तेमाल करते दिख रहे हैं। यूक्रेन पर कार्रवाई करने के लिए रशिया क्यों मज़बूर हुई, इसका खुलासा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने इस परिषद में किया।

सोवियत रशिया का विभाजन होने के बाद यूक्रेन को आज़ादी मिली और उससे पहले यूक्रेन के सामने तटस्थ रहने की शर्त रखी गई थी। यह स्वीकार करने के बाद यूक्रेन को आज़ादी मिली और यूक्रेन की संप्रभूता स्वीकार करके रशिया ने भी यूक्रेन की राजधानी किव से अपनी सेना हटाई थी। लेकिन, बाद में नाटो ने यूक्रेन को अपनी संगठन का हिस्सा बनाने की तैयारी की। नाटो ऐसा क्यों कर रहा हैं, यह समझ नहीं आया। लेकिन, यूक्रेन के नाटो में शामिल होने से रशिया के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा और रशिया इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती, ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यूक्रेन पर जारी सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया।  

इसके साथ ही यूक्रेन से बाचतीत करने के लिए रशिया तैयार हैं, लेकिन यूक्रेन ही इस चर्चा के लिए तैयार ना होने के मुद्दे पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने ध्यान आकर्षित किया। पिछले कुछ हफ्तों से अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों के अपने खिलाफ जारी प्रचार पर प्रत्युत्तर देने के लिए रशिया ने बड़ी जोरदार गतिविधियां शुरू की थी। यूक्रेन की सेना ने बड़े जोरों शोरों से शुरू किए जवाबी हमलें यानी ‘काउंटर ऑफएन्सिव’ पुरी तरह से विफल होने के मुद्दे पर रशियन नेता ध्यान खिंच रहे हैं। इसके अलावा मुर्खता से बनाए अपने इस सैन्य अभियान के कार यूक्रेन ने अपने २६ हज़ार से भी अधिक सैनिकों को खोया है, ऐसा आरोप रशिया ने लगाया था। साथ ही कुछ लोगों के संकिर्ण स्वार्थ के लिए अपने जान की बाज़ी क्यों लगानी हैं, इसका विचार यूक्रेनी जनता और यूक्रेन के लिए लड़ने वाले करें, यह आवाहन भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने किया था।

अब यूक्रेन युद्ध के पीछे की अपनी भूमिका अफ्रीकी महाद्वीप के देशों के सामने रखते हुए राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों की साम्राज्य वादी नीति पर कड़ी आलोचना की। साथ ही अफ्रीकी देशों को अनाज़ की मुफ्त आपूर्ति करने का ऐलान करके राष्ट्राध्यक्ष पुतिन पश्चिमी देशों पर हावी होते दिख रहे हैं। अमरीका और यूरोपिय देशों ने अफ्रीकी देशों को अपनी ओर खींचने की गतिविधियां शुरू की हैं और यह देश रशिया की ओर रुख ना करें, इसके लिए अमरीका की कोशिश हो रही हैं। लेकिन, फिलहाल रशिया के राष्ट्राध्यक्ष अफ्रीकी देशों को प्रभावित करने में कामयाब होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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