रशिया के साथ सहयोग बढ़ा रहे इजिप्ट की अमरीका द्वारा घेराबंदी – इजिप्ट की सैन्य सहायता रोकने के लिए अमरीका के सिनेट में प्रस्ताव

घेराबंदीवॉशिंग्टन – राष्ट्राध्यक्ष अब्देल फताह अल-सीसी के नेतृत्व में इजिप्ट में मानव अधिकारों का उल्लंघन बढ़ रहा हैं। इस वजह से इस देश की सैन्य सहायता रोका जाए, ऐसा प्रस्ताव अमरिकी सिनेट में पेश किया गया है। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के डेमोक्रेटिक पार्टी के ११ सांसदों ने यह मांग उठाई है। राष्ट्राध्यक्ष सीसी ने रशिया में राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके सुएज नहर के करीब औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण करने के मुद्दे पर चर्चा की। इसके बाद अमरीका की यह प्रतिक्रिया सामने आयी है।

खाड़ी क्षेत्र का मित्र देश और विश्व के सबसे अहम समुद्री यातायात पर नियंत्रण रखने वाले इजिप्ट को हर वर्ष अमरीका से सैन्य सहायता प्रदान होती थी। लेकिन, पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा के कार्यकाल में इजिप्ट के लिए मुहैया की गई सैन्य सहायता पर रोक लगाई गई थी। इजिप्ट की मुस्लिम ब्रदरहूड की सरकार हटाकर सीसी ने इजिप्ट की सत्ता हाथों में ली थी और इसके बाद ओबामा सरकार ने यह कार्रवाई की थी। इजिप्ट मानव अधिकारों का उल्लंघन कर रहा हैं, यह आरोप भी लगाया गया था।  

घेराबंदीडोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्राध्यक्ष होने के बाद इजिप्ट की सैन्य सहायता फिर से शुरू की गई। लेकिन, बायडेन के राष्ट्राध्यक्ष होते ही पिछले तीन सालों से इजिप्ट की यह सैन्य सहायता रोक दी गई है। बायडेन प्रशासन ने भी मानव अधिकारों का मुद्दा उठाकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। इजिप्ट ने भी अमरीका की सैन्य सहायता पर बनी निर्भरता कम करने के लिए फ्रान्स और रशिया से रक्षा सामान खरीदना शुरू किया है।

दो दिन पहले इजिप्ट के राष्ट्राध्यक्ष रशिया में आयोजित अफ्रीका समिट के लिए उपस्थित रहे। इस बैठक से पहले रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और इजिप्ट के राष्ट्राध्यक्ष सीसी की मुलाकात हुई। इस दौरान सुएज नहर के करीब औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण करने पर चर्चा हुई। आने वाले वर्ष के अन्त तक यह प्रकल्प पूरा होगा, ऐसा दावा रशिया कर रही हैं।

इसके कुछ घंटे बाद ही अमरिकी सिनेट में शासक डेमोक्रेटिक पार्टी के ११ सांसदों ने इजिप्ट विरोधी प्रस्ताव पेश किया। मानव अधिकारों का उल्लंघन कर रहे इजिप्ट को अमरीका किसी भी तरह से सैन्य सहायता प्रदान ना करें, ऐसा इस प्रस्ताव में कहा गया है। अमरीका एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के २० संगठनों ने भी बिल्कुल यही मांग उठाई है।

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