प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की चर्चा ने विश्‍लेषकों का ध्यान किया आकर्षित

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत हुई| राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कुछ दिन पहले ही भारत की यात्रा की थी| इस दौरान दोनों देशों ने लगभग २८ समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे| इनमें से कुछ समझौते गोपनीय होने की जानकारी रशियन अफसरों ने साझा की थी| भारत का चीन के साथ और रशिया का अमरीका-नाटो के साथ तनाव है, ऐसे में भारत और रशिया के सहयोग को काफी बड़ी रणनीतिक अहमियत प्राप्त हुई है| इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की सोमवार को हुई चर्चा ध्यान आकर्षित कर रही है|

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन‘हमारे मित्र राष्ट्राध्यक्ष पुतिन से हमारी बातचीत हुई| इस चर्चा से द्विपक्षीय सहयोग, खाद की आपूर्ति के साथ बहुपक्षीय रंगमंचों पर दोनों देशों का समन्वय एवं अंतरराष्ट्रयी स्तर पर जारी गतिविधियों पर विचार हुआ’, यह जानकारी प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदान की है| प्रधानमंत्री के दफ्तर ने इस चर्चा की जानकारी प्रदान करते हुए रशिया के अति पूर्वीय क्षेत्र के ईंधन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के मुद्दे पर दोनों नेताओं की बातचीत होने का बयान किया है| साथ ही भारत और रशिया के रक्षा सहयोग के नए अवसरों पर भी इस दौरान चर्चा होने की जानकारी प्रधानमंत्री के दफ्तर ने प्रदान की है|

भारत यात्रा के दौरान भारत की मेहमान नवाज़ी से हम गदगद हुए, यह बयान रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने किया होने की जानकारी रशियन यंत्रणाओं ने प्रदान की| इसी बीच रशिया ने भारत को प्रदान की हुई प्रगत हवाई सुरक्षा यंत्रणा ‘एस-४००’ की पंजाब में तैनाती होने की खबरें सामने आ रही हैं| इसी बीच भारत अब रशिया से ‘एस-४००’ से भी प्रगत ‘एस-५००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीदने की तैयारी में होने की चर्चा हो रही है| इस यंत्रणा का पहला खरीदार भारत ही होगा, यह दावा रशिया के उप-प्रधानमंत्री ने हाल ही में किया था| ‘एस-४००’ के समझौते पर आपत्ति जताकर भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रही अमरीका के लिए यह झटका साबित होता है| चीन और पाकिस्तान भी इस सहयोग से बेचैन होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं|

इसके साथ ही कुछ लोग रशिया ने भारत और चीन के विवाद में मध्यस्थाता करने के लिए गतिविधियॉं शुरू की है, ऐसा कहा है| राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने भारत दौरे के बाद चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के साथ वर्चुअल चर्चा की थी| इसके बाद राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी की फिर से फोन पर चर्चा हुई है, यह महज़ संजोग नहीं है| बल्कि यह भारत और चीन अपने इन दोनों मित्रदेशों में सुलह करने के लिए रशिया की कोशिश होने के दावे कुछ लोग कर रहे हैं|

इसी दौरान अफ़गानिस्तान में गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की चर्चा की अहमियत अधिक बढ़ रही है| भारत आगे अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करने की सोच में है और इसके लिए रशिया, ईरान और मध्य एशियाई देशों की सहायता प्राप्त कर रहा है, ऐसी खबर पाकिस्तान के एक पत्रकार ने प्रसिद्ध की थी| ऐसा हुआ तो अफ़गानिस्तान पर भारत का प्रभाव फिर से काफी बढ़ेगा, इस संभावना से पाकिस्तान को दहला हुआ है| इसी कारण पाकिस्तान ने हम तालिबान के लिए काफी कुछ कर रहे हैं, यह दिखाने के लिए ‘ओआईसी’ की बैठक का आयोजन किया था| लेकिन, इस बैठक से तालिबान के हाथ कुछ भी नहीं लगा, बल्कि इस बैठक में तालिबान के विदेशमंत्री का अपमान हुआ था| इससे तालिबान के नेता पाकिस्तान पर काफी गुस्सा हैं और उनके गुस्से की दाहकता पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से महसूस होने लगी है|

इस वजह से प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की चर्चा में अफ़गानिस्तान का मुद्दा सबसे ऊपर रहा होगा, यह संभावना भी सामने आ रही है|

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