रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान भारत-रशिया १० समझौते करेंगे

नई दिल्ली/मास्को – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच लगभग दस सहयोग समझौते होंगे| इनमें से कुछ समझौते गोपनीय होंगे, यह जानकारी रशियन राष्ट्राध्यक्ष के दफ्तर ने प्रदान की| इन समझौतों में सैन्य और तकनीक से जुड़े सहयोगों का समावेश होने की बात कही जा रही है| इसकी तैयारी के लिए रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव रविवार के दिन ही भारत पहुँचेंगे| सहयोग के इस समझौते के साथ ही दोनों देशों के बीच पहली बार हो रही ‘टू प्लस टू’ चर्चा भी बड़ी अहम मानी जा रही है|

१० समझौतेयूक्रैन के मसले पर रशिया के अमरीका और यूरोपिय देशों के संबंधों में तनाव निर्माण हुआ है| चीन को लेकर सौम्य नीति अपनानेवाला अमरीका का बायडेन प्रशासन रशिया के खिलाफ बिल्कुल आक्रामक भूमिका अपना रहा है| इस वजह से रशिया ने सैन्य एवं राजनीतिक स्तर पर अपनी गतिविधियॉं तीव्र की हैं| इस पृष्ठभूमि पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष की भारत यात्रा सामरिक एवं रणनीतिक नज़रिये से अहमियत रखती है| राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के इस भारत दौरे की अहमियत रेखांकित करते हुए रशियन राजनीतिक अधिकारी युरी उशाकोव ने दोनों देशों के बीच दस समझौते होंगे, यह जानकारी साझा की|

इनमें से कुछ समझौते किस हद तक गोपनीय होंगे और इन पर अभी चर्चा जारी होने की जानकारी उशाकोव ने प्रदान की| बहुत अलग-अगल क्षेत्रों में भारत और रशिया का द्विपक्षीय सहयोग मज़बूत करने के लिए यह समझौते बड़े उपयुक्त साबित होंगे, ऐसा उशाकोव ने कहा| भारत और रशिया के इस सहयोग की ओर अमरीका, चीन और पाकिस्तान भी आशंका से देख रहे हैं| अमरीका ने भारत और रशिया के ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा के व्यवहार पर आपत्ति जताई थी| यह व्यवहार करने पर अमरीका भारत पर प्रतिबंध लगा सकती है, यह इशारा बायडेन प्रशासन ने दिया था| लेकिन, भारत ने इसे नजरअंदाज किया|

१० समझौते‘एस-४००’ खरीदने के बाद भारत अब रशिया से ‘एस-५००’ खरीदेगा, ऐसी खबरें प्राप्त हो रही हैं| इसकी अधिकृत स्तर पर पुष्टी नहीं हुई है| लेकिन, इस खबर से अमरीका, चीन और पाकिस्तान परेशान होते हुए स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं| जैसा देश एक ही समय पर अमरीका और रशिया इन प्रतिद्वंद्वि देशों के साथ संतुलन कैसे बनाए रख सकता है, अन्य देशों को यह मुमकिन क्यों नहीं होता, यह सवाल पाकिस्तान के विश्‍लेषक कर रहे हैं|

इसी बीच, चीन भी अब भारत-रशिया के इस सहयोग पर नाखुश है| रशिया को भी इसका अहसास है| लेकिन, चीन ने इस पर आपत्ति जताकर दबाव ड़ालने की कोशिश की तो इसका विपरीत असर होगा, इसका अहसास चीन को है, यह बात रशियन राजनीतिक अधिकारी ने पहले ही स्पष्ट की थी|

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय चर्चा के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग को नई उंचाई दिलाने के लिए एवं रणनीतिक भागीदारी अधिक मज़बूत करने पर बातचीत होगी| साथ ही क्षेत्रिय और अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर भी दोनों नेता विचार-विमर्श करेंगे, ऐसा कहा जा रहा है| स्पष्ट तौर पर ज़िक्र नहीं किया गया है, लेकिन अफ़गानिस्तान की गतिविधियों पर भी इन दोनों नेताओं की चर्चा होने की उम्मीद जताई जा रही है|

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