रशिया से एस-400 की खरीद करनेवाले भारत पर अमरीका के प्रतिबंधों का खतरा टला नहीं है – पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी के संकेत

वॉशिंग्टन – जल्द ही रशिया भारत को एस-400 ट्रायम्फ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की सप्लाई करनेवाला है यह खबर आने के बाद, उस पर अमरीका ने चिंता ज़ाहिर की है। यह अमरीका के लिए चिंताजनक बात साबित होती है। लेकिन उसपर निश्चित रूप से क्या करना है यह अभी अमरीका ने तय नहीं किया है, ऐसा अमरीका के रक्षा मुख्यालय पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है। भारत ने अगर रशिया के साथ यह व्यवहार किया, तो प्रतिबंध लगाने की धमकी देनेवाली अमरीका ने अभी भी भारत पर प्रतिबंध थोंपने का विचार छोड़ नहीं दिया है, ऐसा संदेश किर्बी के बयान से दिया जा रहा है।

जॉन किर्बीसन २०१७ में अमरीका ने ‘काऊंटरिंग अमेरिकाज् अ‍ॅडव्हर्सरीज् थ्रू सँक्शन्स अ‍ॅक्ट-सीएएटीएसए-कॅट्सा’ नामक कानून मंजूर किया था। इस कानून के अनुसार, रशिया से हथियारों की खरीद करनेवाले देशों पर अमरीका कड़े प्रतिबंध लगा सकती है। रशिया से एस-400 की खरीद करनेवाले तुर्की को अमरीका के इन प्रतिबंधों का झटका लग रहा है। लेकिन इस यंत्रणा के लिए रशिया के साथ पाँच अरब डॉलर्स से अधिक रकम का समझौता करनेवाले भारत पर अमरीका ने ‘कॅट्सा’ के प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। बायडेन प्रशासन ने वैसा करने की धमकी भारत को देकर देखी थी, लेकिन भारत में उसकी परवाह न करते हुए, रशिया के साथ यह समझौता संपन्न किया ।

एक तरफ रशिया से एस-400 की खरीद करनेवाले तुर्की पर प्रतिबंध लगानेवाली अमरीका, इसी कारण के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार नहीं, ऐसी आलोचना तुर्की से हो रही है। पाकिस्तान जैसे देश भी इसके लिए अमरीका पर नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। लेकिन अगर अमरीका ने भारत पर कॅट्सा के प्रतिबंध लगाए ही, तो उससे भारत की अपेक्षा अमरीका का ही अधिक नुकसान होगा, इस बात पर अमरीका के लोकप्रतिनिधि तथा विद्यमान और पूर्व लष्करी तथा राजनीतिक अधिकारी गौर फरमा रहे हैं। अब तक भारत रक्षा सामग्री और हथियारों के लिए रशिया पर निर्भर था। आज भी पहले खरीद किए हुए हथियार और रक्षासामग्री इनके पूर्जों के लिए और रखरखाव के लिए भारत बड़े पैमाने पर रशिया पर निर्भर है। यह निर्भरता कम करने के लिए भारत ने कदम उठाए हैं। लेकिन इस बारे में यकायक फैसला करना भारत के लिए संभव नहीं है। इसी कारण अमरीका कॅट्सा के प्रतिबंधों से भारत को हटायें, ऐसा अमरीका के लोकप्रतिनिधि तथा विद्यमान और पूर्व लष्करी तथा राजनीतिक अधिकारी बता रहे हैं।

ऐसा होने के बावजूद भी बायडेन प्रशासन, भारत पर कॅट्सा के प्रतिबंध नहीं लगाएंगे, ऐसा घोषित करने के लिए तैयार नहीं है। अगर इन प्रतिबंधों का दबाव भारत पर बनाए रखा, तो भारत रशिया के साथ नया रक्षा सहयोग नहीं करेगा, ऐसा तर्क शायद इसके पीछे होगा। लेकिन अमरीका की इन प्रतिबंधों की धमकियों की भारत कुछ ख़ास दखल नहीं ले रहा है, ऐसा दिख रहा है। फिलहाल भारत अमरीका से लगभग तीन अरब डॉलर्स इतनी रकम के (लगभग २२ हजार करोड़ रुपये) एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन्स की खरीद करने की तैयारी में है। जल्द ही भारत सरकार का डिफेन्स अ‍ॅक्विझेशन कौंसिल-डीएसी इस बारे में फैसला करेगा, ऐसी जानकारी जारी हुई है।

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