भारत-अमरीका व्यापार बढ़ने से चीन की आंखें खुलीं

मुंबई – चीन को पीछे छोड़कर अमरीका भारत का सबसे बड़ा व्यापारी भागीदार देश बना है। २०२२-२३ के व्यापारी आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद यह बात सामने आयी और इसके बाद चीन की आंखें खुलने लगी हैं। भारत के द्विपक्षीय व्यापार में काफी बड़ा फरक है और चीन से भारत को हो रहे निर्यात के सामने भारत से चीन में हो रहा निर्यात बिल्कुल ना के बराबर होने की बात चीन के ‘काऊन्सिल जनरल’ काँग शिआनहुवा ने स्वीकारी। लेकिन, यह आँकड़े सबकुछ स्पष्ट नहीं करते, मेक इन इंडिया के ज़रिये भारत चीन में निर्यात बढ़ा पाएगा, यह कहकर शिआनहुवा ने अपने देश का बचाव किया।

चीन की आंखेंभारत और चीन के द्विपक्षीय व्यापार में भारत को तकरीबन १०१ अरब डॉलर्स का घाटा उठाना पड़ता है। भारत द्वारा बार-बार मांग करने के बावजूद चीन ने फार्मास्युटिकल्स, आयटी और ऐग्रो क्षेत्र भारतीय उद्योगों के लिए खुला नहीं किया। ऐसा हुआ तो भारत इस क्षेत्र में चीन के बाज़ार पर कब्ज़ा करेगा, ऐसी चिंता इस देश को सता रही है। इसी कारण एक ओर भारतीय बाज़ार का पूरा लाभ उठाने वाला चीन दूसरी ओर भारत को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने नहीं देता। इसी कारण द्विपक्षीय व्यापार चीन की ओर झुका हुआ है।

यह व्यापारी घाटा अब १०१ अरब डॉलर्स तक जा पहुंचने की बात स्पष्ट होने पर चीन को मज़बूरी से इसका संज्ञान लेना पड़ रहा है। ऐसे में अमरीका अब चीन को पीछे छोड़कर भारत से सबसे ज्यादा व्यापार करनेवाला देश बना है। आने वाले समय में अमरीका को भारत में अधिक व्यापार के अवसर मिलेंगे और इससे हमें नुकसान हो सकता है, इसका अहसास चीन को हुआ है। इसकी वजह से व्यापार संबंधी परिषद में बोलते हुए ‘काउन्सिल जनरल’ काँग शिआनहुवा ने ‘मेक इन इंडिया’ का इस्तेमाल करके भारत चीन में निर्यात बढ़ा सकता है, ऐसा लालच दिखाया।

साथ ही चीन के द्विपक्षीय व्यापार में भारत को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है, फिर भी यह आँकड़े सबकुछ स्पष्ट नहीं कहते यह दावा शिआनहुवा ने किया। भारत से अन्य देशों को होने वाले निर्यात के लिए आवश्यक कच्चा सामान चीन से आयात करता है। इसकी वजह से भारत की अन्य देशों को हो रहा निर्यात चीन के कच्चे सामान पर निर्भर है, इस पर शिआनहुवा ने ध्यान आकर्षित किया।

साथ ही भारतीय व्यापारियों से मित्रता के संबंध विकसित किए जाएं, उनका दिल जीतने की कोशिश की जाए, ऐसी सलाह शिआनहुवा ने अपने व्यापारियों को दी है। साथ ही भारत आयटी और सिने क्षेत्र में अग्रीम है, यह कहकर भारत की इस कुशलता का हमें लाभ उठाना चाहिए ऐसा सुझाव उन्होंने चीनी उद्योग क्षेत्र को दिया। इसी बीच चीन की इस गुमराह करनेवाले बयानों से शिकार होकर भारत ने द्विपक्षीय व्यापार में हो रहे अन्याय को अनदेखा किया। लेकिन, आगे के समय में चीन को इससे काफी बड़ा झटका लगेगा, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

गलवान घाटी के संघर्ष के बाद चीन भारतीयों की ईर्षा का विषय बना है। फिर भी पहले के समय में उत्पादन क्षेत्र की ओर हुई अनदेखी से भारत अब काफी हद तक संभला है। लेकिन, यह स्थिति बदलने लगी है और भारतीय उद्योगक्षेत्र पर चीन की निर्भरता घटकी जा रही है। लेकिन, यह प्रक्रिया यकायक नहीं होगी इसके लिए और कुछ समय लगेगा, तब तक चीन भारत से व्यापारीक लाभ उठाएगा। लेकिन, उसके बाद चीन को भारत की व्यापारी उदारता का लाभ नहीं मिलेगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

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